बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों से अमेरिकी हिंदुओं में गुस्सा

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Violence against Minorities in Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार के मामले देखने को मिल रहे हैं. मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार मंदिरों और हिंदूओं पर हो रहे अत्याचारों को रोक नहीं पा रही है. इसे लेकर अब हिंदू अमेरिकी समूहों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की निंदा की है. हिंदू अमेरिकी समूहों ने यह मांग भी की है कि दक्षिण एशियाई देश के लिए अमेरिकी सहायता इस शर्त पर निर्भर होनी चाहिए कि वहां की सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करे.

बांग्लादेश की कुल जनसंख्या 17 करोड़ है, जिसमें अल्पसंख्यक हिंदूओं की आबादी मात्र 8 प्रतिशत है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से देश के 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है. वहीं, इस हफ्ते की शुरुआत में सोमवार (25 नवंबर) को हिंदू आध्यात्मिक नेता और पूर्व इस्कॉन के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद हालात और खराब हो गए. बांग्लादेश की ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस ने चिन्मय दास को ढाका एयरपोर्ट से देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर हिरासत में लिया है. जिसके बाद ढाका, चटगांव समेत कई अन्य शहरों में हिंदू समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए.

बाइडन प्रशासन पर भड़के हिंदू समुदाय के लोग

विश्व हिंदू परिषद, अमेरिका (वीएचपीए) के अध्यक्ष अजय शाह ने कहा कि चिन्मय दास की गिरफ्तारी, चटगांव में काली मंदिर में तोड़फोड़ और बांग्लादेश में हिंदूओं पर बढ़ते हमले की खबरें परेशान कर देने वाली हैं. उन्होंने पूछा, ‘क्या यही वह मानवाधिकार की विरासत है जिसके लिए जो बाइडन प्रशासन याद किया जाना चाहता है?’

वहीं, वीएचपीए महासचिव अमिताभ मित्तल ने कहा, ‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर वैश्विक मीडिया की चुप्पी बहुत ही चौंका देने वाली है. इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय दास की गिरफ्तारी और हिंदू मंदिरों पर हिंसक हमले धार्मिक असहिष्णुता में खतरनाक वृद्धि को दर्शाते हैं. ये घटनाएं भेदभाव के व्यापक चलन का हिस्सा है.’

बांग्लादेश में अमेरिकी फंडिंग रोकने की उठाई मांग

वीएचपीए महासचिव ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा का अभाव अपराधियों के हौसले को और बढ़ाता है और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और आजादी को खतरा पहुंचाता है.’ हिंदू फॉर अमेरिका फर्स्ट (एचएफएएफ) ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक खुला पत्र लिखकर बांग्लादेश में चीन की महत्वकांक्षी परियोजनाओं के संबंध में अमेरिकी फंडिंग को रोकने की मांग की है.

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