अमेरिका में हाई सिक्योरिटी में रहती है चीन की लड़की, ट्रंप भी नहीं निकाल पाएंगे, हाथ लगाया तो मचेगा बवाल

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वाशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच एक नया विवाद बढ़ रहा है. यह विवाद है अमेरिका से चीनी छात्रों को निकालने को लेकर. लेकिन इस पूरे विवाद में एक लड़की ऐसी है, जिसके नाम से ही हंगामा मच सकता है. बात हो रही है शी मिंग्जे की, जो हैं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इकलौती बेटी. खबर है कि वह अमेरिका के मैसाचुसेट्स में हाई सिक्योरिटी के बीच रह रही हैं. उनका घर गार्ड्स से घिरा रहता है. परिंदा भी उनके करीब पर नहीं मार सकता. लेकिन अब ट्रंप प्रशासन की नई वीजा नीति ने उनके नाम को सुर्खियों में ला दिया है. उनके डिपोर्टेशन की भी मांग उठ रही है. सवाल है कि क्या अमेरिका ऐसा करेगा और अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा?

कौन हैं शी मिंग्जे?

शी मिंग्जे का नाम किसी रहस्य से कम नहीं है. वह चीन के सबसे ताकतवर नेता शी जिनपिंग और उनकी पत्नी, मशहूर गायिका पेंग लियुआन की बेटी हैं. मिंग्जे ने अपनी जिंदगी को हमेशा लाइमलाइट से दूर रखा है. 2010 से 2014 तक उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, वो भी एक फर्जी नाम के साथ. जी हां, साइकोलॉजी में डिग्री लेने वाली मिंग्जे ने अपनी पहचान को गुप्त रखा. इससे पहले वह चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी और हांगझोऊ फॉरेन लैंग्वेज स्कूल में फ्रेंच पढ़ चुकी हैं.

चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन. (Reuters)

2014 में पढ़ाई पूरी करने के बाद वह चीन लौट गई थीं, लेकिन कुछ खबरों की मानें तो 2019 में वह फिर से हार्वर्ड में ग्रेजुएट स्टडीज के लिए लौटीं. हालांकि, उनकी मौजूदा लोकेशन, करियर या निजी जिंदगी के बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है. फिर भी, कयास लगाए जा रहे हैं कि वह मैसाचुसेट्स में हैं, और वो भी चीनी सरकार की कड़ी सुरक्षा में.

2019 में एक चौंकाने वाली घटना हुई थी. एक टेक्नीशियन, न्यू टेंग्यू, को मिंग्जे की आईडी डिटेल्स लीक करने के आरोप में 14 साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, कई एक्टिविस्ट्स का दावा है कि न्यू को गलत तरीके से निशाना बनाया गया. चीन में मिंग्जे के बारे में कोई भी जानकारी सेंसर कर दी जाती है, जिससे उनके बारे में रहस्य और गहरा हो जाता है.

ट्रंप क्यों चाहते हैं डिपोर्टेशन?

ताजा विवाद की शुरुआत तब हुई, जब अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ऐलान किया कि चीनी स्टूडेंट्स के वीजा को ‘आक्रामक तरीके’ से रद्द किया जाएगा, खासकर उन लोगों के, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है. इसमें खास तौर पर उन स्टूडेंट्स को निशाना बनाया जा रहा है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिफेंस टेक्नोलॉजी या रोबोटिक्स जैसे संवेदनशील विषयों में पढ़ाई कर रहे हैं. इस नीति की आग में घी डालने का काम किया लॉरा लूमर ने, जो एक दक्षिणपंथी एक्टिविस्ट हैं.

उन्होंने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया और मांग की कि शी मिंग्जे को तुरंत डिपोर्ट किया जाए. लॉरा ने दावा किया, ‘शी जिनपिंग की बेटी मैसाचुसेट्स में रहती है और हार्वर्ड में पढ़ी है. मेरे सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना (PLA) के गार्ड्स उसे अमेरिकी जमीन पर प्राइवेट सिक्योरिटी दे रहे हैं.’ इतना ही नहीं, लॉरा ने तो यह भी कहा कि वह मिंग्जे का सामना कैमरे पर करेंगी और उनके पिता की नीतियों पर सवाल उठाएंगी.

चीन के स्टूडेंट्स अमेरिका से निकाले जाएंगे. (AI)

चीन का गुस्सा और जवाब

चीन ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इसे ‘राजनीति से प्रेरित’ कदम बताया और कहा, ‘यह फैसला चीनी स्टूडेंट्स के अधिकारों का हनन करता है और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नुकसान पहुंचाता है.’ उन्होंने अमेरिका के इस कदम की कड़ी निंदा की और आधिकारिक विरोध दर्ज कराया.

आखिर ट्रंप का मकसद क्या है?

अमेरिका का मानना है कि चीन अपने स्टूडेंट्स के जरिए अमेरिकी तकनीक और रिसर्च को चुराने की कोशिश कर रहा है. खासकर STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स) प्रोग्राम्स में चीनी स्टूडेंट्स की भारी मौजूदगी को अब खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी ऐसी नीतियां सामने आई थीं, जहां चीनी स्टूडेंट्स को ‘गैर-पारंपरिक जासूस’ करार दिया गया था, खासकर उन लोगों को, जिनके चीनी सेना या कम्युनिस्ट पार्टी से कथित तौर पर रिश्ते थे.

अमेरिका में करीब 2.8 लाख चीनी स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं, जो कुल विदेशी स्टूडेंट्स का लगभग एक-चौथाई हिस्सा हैं. अगर यह नीति सख्ती से लागू हुई, तो कई स्टूडेंट्स की पढ़ाई और भविष्य खतरे में पड़ सकता है.

क्या शी मिंग्जे पर गिरेगी गाज?

अब सवाल यह है कि क्या ट्रंप प्रशासन शी जिनपिंग की बेटी जैसे हाई-प्रोफाइल शख्स को निशाना बनाएगा? अगर ऐसा हुआ, तो यह दोनों देशों के बीच तनाव को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है. मिंग्जे की मौजूदगी और उनकी सुरक्षा को लेकर पहले से ही रहस्य बरकरार है. अगर अमेरिका ने उन पर कोई कार्रवाई की, तो बीजिंग का गुस्सा सातवें आसमान पर होगा.

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