रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को तीन साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है, अब तक इसके खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. अब अमेरिका की तरफ से बड़ा संकेत आया है कि अगर शांति वार्ता में जल्द प्रगति नहीं होती, तो वो खुद को इस प्रक्रिया से अलग कर सकता है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने शुक्रवार को साफ शब्दों में कहा कि अगर यूक्रेन युद्ध खत्म करना मुमकिन नहीं लगता, तो अमेरिका ‘कुछ ही दिनों’ में इस प्रयास से हट सकता है.
यह बयान पेरिस में यूरोपीय और यूक्रेनी अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक के बाद आया, जहां रूबियो ने कहा, ‘अब हमें बहुत जल्दी तय करना होगा… और मैं दिनों की बात कर रहा हूं… कि क्या यह मुमकिन है या नहीं.’
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के हालिया बयान ने साफ कर दिया है कि अगर अगले कुछ दिनों में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, तो अमेरिका शांति प्रक्रिया से पीछे हट सकता है.
ट्रंप का झुकाव पुतिन की तरफ!
अमेरिकी प्रशासन के भीतर यह निराशा बढ़ती जा रही है कि पिछले कई महीनों की कोशिशों के बावजूद कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है. ट्रंप प्रशासन ने एक शांति प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिका रूस के क्रीमिया पर नियंत्रण को मान्यता देने को तैयार है.
यह वही क्रीमिया है, जिसे रूस ने 2014 में यूक्रेन से जबरन छीन लिया था. अगर यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो यह पुतिन के लिए एक बड़ी जीत होगी.
जेलेंस्की से ‘मनमुटाव’
दूसरी ओर, यूक्रेन को लेकर ट्रंप प्रशासन का रवैया अब और सख्त होता जा रहा है. ट्रंप ने यह भी साफ कर दिया कि अमेरिका यूक्रेन को अनंतकाल तक फंड नहीं कर सकता और यूरोपीय देशों को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी.
मार्को रूबियो ने साफ तौर पर कहा, ‘यह हमारी जंग नहीं है. हमने यूक्रेन की मदद की है, लेकिन अगर कोई हल नहीं निकलता, तो हम पीछे हट जाएंगे.’
‘सीरियस बनो, वरना निकलो’
अमेरिका समाचार जैनल सीएनएन ने एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया कि रूबियो ट्रंप के विचारों को ही सामने रख रहे हैं. ट्रंप की नजर में अब समय आ गया है कि दोनों पक्ष गंभीरता दिखाएं. ‘अगर कोई पक्ष खेल खेलता रहा, तो ट्रंप साफ कहेंगे – ‘तुम मूर्ख हो, तुम बेकार लोग हो’ – और फिर अमेरिका किनारा कर लेगा.’
ट्रंप ने सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि वह पूरी तरह से बातचीत छोड़ देंगे या यूक्रेन को सैन्य सहायता रोक देंगे, लेकिन उनका लहजा साफ था – ‘अब और सब्र नहीं.’
क्या कह रहा रूस
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय (क्रेमलिन) ने ट्रंप प्रशासन की चिंता को गंभीरता से लिया है. क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि ‘हम समाधान की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया बहुत जटिल है.’ वहीं, रूस के सांसद एवगेनी पोपोव ने अमेरिकी बयान को ‘कीव के लिए अंतिम चेतावनी’ बताया.
इन कूटनीतिक गतिविधियों के बीच, जमीनी सच्चाई यह है कि रूस ने खारकीव शहर पर मिसाइल हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 67 घायल हो गए. इस हमले ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि शांति की कोशिशें अभी अधूरी हैं और युद्ध की आग बुझने से दूर है.
‘मिनरल्स डील’ पर थोड़ी उम्मीद
शुक्रवार को हालांकि एक सकारात्मक खबर भी आई. अमेरिका और यूक्रेन ने एक ‘मिनरल्स डील’ के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता यूक्रेन के पुनर्निर्माण में अमेरिकी निवेश की संभावना को बढ़ाता है. लेकिन इस व्यापारिक समझौते की प्रगति, युद्धविराम की बातचीत को कितनी ऊर्जा देगी, यह कहना जल्दबाजी होगा.
क्यों नाराज है ट्रंप सरकार
ट्रंप प्रशासन इस बात से नाराज़ है कि काफी कोशिशों के बावजूद युद्ध खत्म होने की कोई स्पष्ट दिशा नहीं दिख रही. पुतिन के लिए रियायतें देने के बावजूद, जेलेंस्की की ओर से ‘ज्यादा लचीलापन’ न दिखाना ट्रंप को अखर रहा है. इस स्थिति में ट्रंप अब यह संदेश दे रहे हैं कि अगर अगल-बगल की बातें बंद नहीं हुईं, तो अमेरिका ‘बोल्ड एक्शन’ लेगा और शायद पीस डील से पीछे हट जाएगा.
अगर शांति वार्ता से अमेरिका अलग होता है, तो यूक्रेन की सैन्य क्षमता और यूरोप की तैयारी दोनों सवालों के घेरे में आ जाते हैं. यूरोप अभी भी फ्रंटलाइन पर हथियारों और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, और यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पहले से ही जर्जर है. इस स्थिति में, अमेरिका का हटना कीव के लिए एक कूटनीतिक झटका होगा.
पुतिन को पुचकारना और जेलेंस्की को फटकारना भी अगर काम न आए तो क्या अमेरिका यूक्रेन को उसके हाल पर छोड़ देगा? आने वाले कुछ दिन इस सवाल का जवाब दे सकते हैं.
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