Last Updated:February 14, 2025, 10:57 IST
ICV Stryker: भारतीय सेना अपने आधुनिकरण के दौर से गुजर रही है. पुराने सैन्य साजो सामान को नए आधुनिक साजो सामान से बदलने की प्रक्रिया जारी है. हम भारतीय सेना की मैकेनाइजड इन्फैंट्री की बात करें तो फिलहाल भारतीय म…और पढ़ें
रूसी BMP को रिप्लेस करेंगे अमेरिकी स्ट्राइकर
हाइलाइट्स
- भारतीय सेना 500 से अधिक ICV स्ट्राइकर खरीदेगी।
- जेवलिन ATGM से लैस स्ट्राइकर चीनी टैंकों पर निशाना साधेगा।
- स्ट्राइकर का लद्दाख में सफल ट्रायल हो चुका है।
ICV Stryker: भारतीय सेना के मैकेनाइजड इन्फैंट्री में 2000 के करीब रूसी ICV BMP-2 मौजूद है. सेना जल्द 500 से ज्यादा इन्फैंट्री कांबेट वेहिकल को अमेरिकी ICV स्ट्राइकर से बदलने जा रही है. पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर बातचीत की. भारत और अमेरिका के बीच जारी साझा बयान में सेना के लिए ICV स्ट्राइकर और जैवलीन ATGM का रास्ता भी साफ कर दिया गया. बयान में कहा गया ‘अमेरिका भारत के साथ अपने मिलिट्र सेल और सह-निर्माण को बढ़ाएगा. इसके साथ यह घोषणा की गई कि इस वर्ष “Javelin” एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल्स और “Stryker” इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के लिए नई खरीद और को-प्रोडक्शन व्यवस्थाओं पर काम किया जाएगा ताकि भारत की रक्षा जरूरतों को तेजी से पूरा किया जा सके.
लद्दाख में हो चुका ट्रायल
सेना के पास दो तरह के इन्फैंट्री कांबेट वेहिकल है. एक ट्रैक्ड यानी की टैंक की तरह ट्रैक पर मूव करने वाले तो दूसरा व्हील्ड यानी पर टायरों वाले. अब भारतीय सेना व्हील्ड इन्फैंट्री कांबेट वेहिकल को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. अमेरीकी कंपनी जनरल डायनामिक्स लैंड सिस्टम्स ICV स्ट्रायकर निर्माण करती हैं. पिछले साल सितंबर अक्टूबर में लद्दाख के हाई एल्टिट्यूड इलाके में सेना को इसका डेमों भी दिया गया. यह डेमो नो कॉस्ट नो कमिटमेंट के तहत अमेरिकी कंपनी ने दिया. यह डेमो 13000 से 18000 फिट की उंचाइ पर हुआ.
ATGM जेवलिन माउंटेड स्ट्राइकर है सेना की पसंद
स्ट्राइकर के अलग अलग वेरिएंट है जिसमें इन्फैंट्री कैरियर, मोबाईल गन सिस्टम, मेडिकल इवैक्यूशन , फायर सपोर्ट , एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल कैरियर और रेकॉनेन्स वेहिकल शामिल है. भारतीय सेना को एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल कैरियर की जरूरत है. सूत्रों के मुताबिक लद्दाख में स्ट्राइकर के डेमो के दौरान जैवलीन ATGM का भी ट्रायल कंपनी ने दिया है. जेवलिन मिसाइल किसी भी टैंक, बख्तरबंद गाड़ी को आसानी नष्ट कर सकती है. जेवलिन मिसाइल अपने टारगेट पर निशाना साधने के लिए इंफ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल करती है. इस ATGM का वजन 22.3 किलों है. इसे नाइट विजन क्षमता के चलते इसका रात में आसानी से निशाना साधा जा सकता है. इस मिसाइल की रेंज 2500 मीटर तक है
क्यों खास है अमेरिकी स्ट्राइकर?
स्ट्राइकर 8 व्हील ड्राइव कॉंबेट वेहिकल है. इसमें 30 mm गन और 105 मोबाइल गन लगी है. इसकी रेंज 483 किलोमीटर है और से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मूव कर सकता है. सैनिकों की सुरक्षा के लिए बोल्ट ऑन सेरेमिक आर्मर्ड प्रोटेकशन से लेस है. यह आसानी से दुशमन के एरियल अटैक , लैंडमाइन और IED से रक्षा कर सकता है. खास बात यह है कि इसे चिनूक हैलिकॉप्टर के जरिए आसानी से हाई ऑल्टिट्यूड इलाके में पहुंचाया जा सकता है.
BMP-2 और स्ट्राइकर में कौन है बेहतर
भारतीय सेना के पास मौजूद BMP-2 एम्फीबियस यानी की नदी नाले को आसानी से पार कर सकती है. स्ट्राइकर में यह खूबी नहीं है. हाई ऑल्टिट्यूड एरिया के कम तापमान में ट्रैक वाली BMP के रखरखाव में खासा मशकक्त करनी पड़ती है लेकिन ICV पहिए वाली हो तो उसका मेंटिनेन्स आसान होता है. भारत की एक नीति साफ है कि अगर स्ट्राइकर इस रेस को जीत जाता है तो मेक इन इंडीया के तहत इन ICV का को-प्रोडक्शन एंड को डेवलपमेंट करना होगा. इसके अलावा क्रिटिकल टेक्नॉलजी ट्रांसफर जैसे की जैवलीन ATGM की तकनीक भी ट्रांसफर करनी होगी. अमेरिका इस बात पर राजी हो गया है.
February 14, 2025, 10:57 IST
LAC पर होगी अमेरिकी स्ट्राइकर की एंट्री, जेवलिन साधेंगे चीनी टैंक पर निशाना
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