कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप…कौन होगा बॉस? दोनों यूं ही नहीं कर रहे जीत का दावा, ये फैक्टर भी तो जान लीजिए

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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज वोटिंग का दिन है. डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर है. अमेरिकी रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप या डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस में से किसी एक को अपना राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट करेंगे. वोटरों के सामने दोनों ने अपनी-अपनी बातें रख दी हैं. अब वोटरों को फैसला करना है कि अमेरिका का नया राष्ट्रपति कौन होगा? सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का इंतजार है. ज्यादातर चुनावी सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर दिखाई गई है. कहा जा रहा है कि अमेरिका के सातों स्विंग स्टेट्स ही हार-जीत तय करेंगे. ये स्विंग स्टेट्स हैं- पेंसिलवेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, नेवादा और एरिज़ोना, जॉर्जिया और कैरोलिना.

क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव इतने नजदीक हैं. ऐसे में बहुत कम वोटों के अंतर से ही हार-जीत होगी. डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस दो या तीन प्वाइंट से ही आगे हो सकते हैं. हालांकि, यह आराम से जीतने के लिए काफी हैं. जब तक वोटिंग नहीं हो जाती और नतीजे नहीं आ जाते, तब ऐसे कुछ कारण हैं, जिनसे लग रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दोनों बाजी मार सकते हैं. कमला हैरिस भी जीत सकती हैं तो डोनाल्ड ट्रंप भी परचम लहरा सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन से कारक हैं, जिसकी वजह से दोनों जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं.

सबसे पहले जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप क्यों और कैसे जीत सकते हैं राष्ट्रपति चुनाव?

1. अमेरिका की मौजूदा स्थिति का लाभ
2020 में डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव के दिन के बाद पहली टेलीविजन नेटवर्क कॉल करने से तीन दिन पहले खुद को विजेता घोषित कर दिया था. वह अंततः अपने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन से हार गए, लेकिन उन्होंने कभी भी नतीजे को स्वीकार नहीं किया और झूठा दावा करते रहे कि व्यापक धोखाधड़ी के जरिए उनसे जीत छीनी गई है. इस हफ्ते, रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह चुनाव के दिन जीत की घोषणा कर पाएंगे, हालांकि चुनाव विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अंतिम परिणाम आने में कई दिन लग सकते हैं, खासकर अगर कुछ प्रमुख क्षेत्रों में वोटों की पुनर्गणना की मांग की जाती है.

हालांकि, देश को और भी बड़े मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि जो बाइडन सत्ता में हैं. अमेरिका में बेरोजगारी दर में अक्टूबर में भारी गिरावट आई है. इसका कारण है तूफान और हड़ताल. यह राष्ट्रपति चुनाव के एकदम करीब आई यह बड़ी आर्थिक खबर है. इस चुनाव में महंगाई को लेकर आम लोगों की चिंता सबसे बड़ा मुद्दा रही है. श्रम विभाग ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में पिछले महीने सिर्फ 12,000 नौकरियां ही आई हैं. जो उम्मीद से काफी कम है. सितंबर में यह आंकड़ा 223,000 था. बेरोजगारी दर 4.1 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही.

ज्यादातर अमेरिकी नागरिकों का कहना है कि वे रोजाना महंगाई से जूझ रहे हैं. कोविड-19 महामारी के बाद अमेरिका में महंगाई 1970 के दशक के बाद के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. इससे पता चलता है कि अमेरिकी मतदाता बदलाव के लिए बेताब हैं. इससे ट्रंप को भी एक मौका मिलता है. वो लोगों से पूछ सकते हैं, ‘क्या अब आप चार साल पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं?’

2. अवैध प्रवासन पर ट्रंप का स्टैंड
अमेरिका में अवैध प्रवासन का मुद्दा जिस तरह गरमाया है, उसे देखते हुए ट्रंप की चेतावनियां सही साबित होती दिख रही हैं. विभिन्न सर्वे के अनुसार, मतदाता आव्रजन संकट को हल करने में डोनाल्ड ट्रंप पर अधिक भरोसा करते हैं. खासकर जब बाइडन के नेतृत्व में मैक्सिकन सीमा पर अवैध घुसपैठ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. इसका असर सीमा से दूर के राज्यों पर भी पड़ा है. कुछ सर्वेक्षणों में यह भी संकेत दिया गया है कि ट्रंप पिछले चुनावों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.

3. ट्रंप को अब भी मिल रहा है जमकर समर्थन
जनवरी 6, 2021 को कैपिटल दंगे के बाद लगे गंभीर आरोपों और कई अभियोगों और अभूतपूर्व आपराधिक सजा के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप को मिलने वाला समर्थन 40 प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है. रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया है. ट्रंप ने एक बार कहा था कि वह राजनीतिक विच-हंट का शिकार” हुए हैं, और कई लोगों ने इस बात पर भरोसा भी किया था. जबकि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन ने उन्हें पद के लिए अयोग्य बताया था. इतने बड़े समर्थन के साथ ट्रंप को बस कुछ अविश्वस्त मतदाताओं का दिल जीतने की जरूरत है.

4. ट्रंप के शासन काल में कोई जंग नहीं हुई
डोनाल्ड ट्रंप अपनी स्पीच में अक्सर कहते रहे हैं कि वो मौजूदा जंग (रूस, यूक्रेन और इजरायल, हमास) को रोक सकते हैं. वो ये भी कहते हैं कि जब वो व्हाइट हाउस में थे, तब कोई बड़ी जंग शुरू नहीं हुई. ट्रंप के बहुत से विरोधी कहते हैं कि वो तानाशाह नेताओं से दोस्ती करके अमेरिका के गठबंधनों को कमजोर कर रहे हैं. अमेरिका के यूक्रेन और इजरायल को अरबों डॉलर भेजने से बहुत से अमेरिकी नाराज हैं. उनका मानना है कि बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका कमजोर हुआ है. ज्यादातर वोटर, खासकर पुरुष जिन्हें ट्रंप ने जो रोगन जैसे पॉडकास्ट के जरिए आकर्षित किया है, मानते हैं कि ट्रंप हैरिस से ज्यादा मजबूत नेता हैं.

कमला हैरिस कैसे जीत सकती हैं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव?

1. ज्‍यादा अमेरिकी अब भी जो कमला-बाइडन को सपोर्ट करते हैं.
डोनाल्‍ड ट्रंप का व्यक्तित्व आज भी लोगों को बांटने वाला है. 2020 में डोनाल्‍ड ट्रंप को रिपब्लिकन उम्मीदवार के तौर पर रिकॉर्ड वोट मिले होंगे. लेकिन उनकी हार हुई थी क्योंकि सात मिलियन यानी 70 लाख ज्यादा अमेरिकियों ने बाइडन को वोट दिया था. बाइडन ने ही कमला हैरिस को राष्‍ट्रपति पद के लिए समर्थन दिया है. अलग-अलग चुनाव प्रचारों, डिबेट और इंटरव्‍यू में कमला हैरिस इस बात पर जोर देती रही हैं कि ट्रंप की वापसी अमेरिका के लिए अच्‍छी नहीं होगी. यहां तक कि उन्‍होंने ट्रंप को फासीवादी, लोकतंत्र के लिए खतरा, तानाशाहों का दोस्‍त जैसे कई नामों से नवाजा है. रॉयटर्स और इप्‍सोस के जुलाई में हुए एक सर्वे के मुताबिक, पांच में से चार अमेरिकियों को लगता है कि देश नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है. ऐसे में कमला हैरिस को उम्‍मीद होगी कि वोटर खास तौर पर नरम रुख वाले रिपब्लिकन और निर्दलीय उन्‍हें एक स्थिर उम्‍मीदवार के तौर पर देखेंगे.

2. गर्भपात पर हैरिस का स्टैंड
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को पलटने के बाद ये पहला राष्ट्रपति चुनाव है. ऐसे में मतदाता, खासकर महिलाएं जो गर्भपात के अधिकारों की रक्षा को लेकर चिंतित हैं, हैरिस का समर्थन कर रही हैं क्योंकि वो उनके अधिकारों की पैरवी कर रही हैं. 2022 के मध्यावधि चुनावों से संकेत लेते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि गर्भपात के अधिकार का मुद्दा चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बार स्विंग स्टेट एरिजोना सहित लगभग 10 राज्यों में मतदाताओं से पूछा जाएगा कि गर्भपात को कैसे नियंत्रित किया जाना चाहिए. इससे हैरिस के पक्ष में मतदान बढ़ सकता है.

3. चुनाव पर खर्च
अमेरिका में 2024 का चुनाव अब तक का सबसे महंगा चुनाव माना जा रहा है. फाइनेंसियल टाइम्स के एक विश्लेषण के मुताबिक, कमला हैरिस ने जुलाई में उम्मीदवार बनने के बाद से ट्रंप से ज्‍यादा चंदा जुटाया है. जबकि ट्रंप जनवरी 2023 से ही इस काम में जुटे हैं. कमला हैरिस के चुनाव अभियान ने विज्ञापन पर लगभग दोगुना खर्च किया है.

4. ट्रंप के ज्‍यादातर वोटर रजिस्‍टर्ड नहीं हैं
अमेरिकी चुनाव में बुजुर्ग और कॉलेज जाने वाले ज्‍यादातर लोग हैरिस का समर्थन करते हैं और वोट भी देते हैं. जबकि ट्रंप का समर्थन करने वाले कम पढ़े-लिखे लोग और युवा वोट देने नहीं जाते. न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स/सिना पोल के अनुसार, 2020 में रजिस्‍टर्ड होने के बावजूद वोट नहीं देने वालों के बीच डोनाल्‍ड ट्रंप को बड़ी बढ़त हासिल है.

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