डोनाल्ड ट्रंप नहीं भूले वो झगड़ा, जेलेंस्की से लेंगे बदला, US ने लास्ट मोमेंट में कर दिया यूक्रेन संग खेल?

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डोनाल्ड ट्रंप नहीं भूले वो झगड़ा, जेलेंस्की से लेंगे बदला, US ने लास्ट मोमेंट में कर दिया यूक्रेन संग खेल?

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप बिजनेसमैन आदमी हैं. वह कभी घाटे का सौदा नहीं करते. वह घाघ भी बहुत हैं. जिन्हें आंख पर चढ़ा लेते हैं, उनसे बदला लेकर रहते हैं. डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की का झगड़ा पूरी दुनिया ने देखा. अब तक उस झगड़े को डोनाल्ड ट्रंप नहीं भूल पाए हैं. यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप जेलेंस्की की मुसीबत बढ़ाने में जुट चुके हैं. अमेरिका ने लास्ट मोमेंट में यूक्रेन संग खेल कर दिया है. वह खेल है मिनिरल डील यानी खनिड सौदे वाला. जी हां. पहले अमेरिका और यूक्रेन के बीच जो मिनिरल डील यानी खनिज वाला सौदा होना था, अब वह नहीं होने जा रहा. ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन के साथ खनिज से जुड़े एक नए और बड़े सौदे का प्रस्ताव रखा है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया कि अमेरिका ने अपने शुरुआती प्रस्ताव में लास्ट मोमेंट में बदलाव किया है. इसमें यूक्रेन को भविष्य में सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं दी गई है. इसके बजाय यूक्रेन को एक जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड में वह सारा पैसा देना होगा, जो उसे सरकारी और प्राइवेट कंपनियों द्वारा प्रबंधित प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से मिलेगा. ये संसाधन पूरे यूक्रेन में होंगे. अमेरिका की नई शर्तें उस सौदे से कहीं अधिक हैं, जिस पर पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में हुई विवादित मुलाकात से पहले चर्चा हुई थी.

यहां ध्यान देने वाली बात है कि डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की के बीच झगड़ा भी यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने को लेकर ही हुई थी. डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि अमेरिका ने रूस-यूक्रेन जंग के दौरान यूक्रेन पर खूब पैसा बहाया है. उसे हथियार और पैसा देकर अमेरिका का खजाना खाली हुआ. ट्रंप इस मिनिरल डील से उस खजाने की भरपाई के रूप में देख रहे हैं. जबकि जेलेंस्की चाहते हैं कि युद्ध खत्म हो जाए और अमेरिका उसे इस डील के बदले सुरक्षा गारंटी दे. इसका मतलब है कि भविष्य में भी अमेरिका यूक्रेन की रक्षा करता रहे.

एक सूत्र ने बताया कि अमेरिका की तरफ से बातचीत का नेतृत्व वित्त मंत्री स्टीव मनुचिन कर रहे हैं. इस बारे में पूछे गए सवालों पर मनुचिन ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया. प्रस्ताव के सारांश के मुताबिक, इसमें अमेरिका द्वारा यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को अपने नियंत्रण में लेने का कोई ज़िक्र नहीं है. ट्रंप ने इस बारे में बात की थी. ट्रंप ने कहा है कि खनिज सौदा, अमेरिका को यूक्रेन के भविष्य में वित्तीय हिस्सेदारी देकर शांति समझौते को सुरक्षित करने में मदद करेगा. वह इसे अमेरिका के लिए उस अरबों डॉलर में से कुछ रकम वापस पाने के तरीके के तौर पर भी देखते हैं, जो उसने तीन साल पहले रूस के हमले के बाद से यूक्रेन को वित्तीय और सैन्य सहायता के रूप में दी है.

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जेम्स हेविट ने ताजा प्रस्ताव की शर्तों की पुष्टि करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि यह सौदा अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों को मजबूत करेगा. हेविट ने कहा कि खनिज सौदा यूक्रेन को अमेरिका के साथ एक स्थायी आर्थिक रिश्ता बनाने का मौका देता है जो लंबी अवधि की सुरक्षा और शांति का आधार है. यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने टिप्पणी के अनुरोध पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

सौदे के एक पुराने संस्करण में एक संयुक्त निवेश कोष का प्रस्ताव था जहां यूक्रेन राज्य के स्वामित्व वाले प्राकृतिक संसाधनों से भविष्य के मुनाफे का 50% योगदान करेगा. इसने यह भी शर्त रखी थी कि अमेरिका और यूक्रेन संयुक्त रूप से यूक्रेन के खनिज संसाधनों का विकास करेंगे. जेलेंस्की ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि अमेरिका ने एक बड़े नए सौदे का प्रस्ताव रखा है और यूक्रेनी अधिकारी अभी भी इसकी शर्तों की समीक्षा कर रहे हैं. जेलेंस्की ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका प्रस्तावित खनिज सौदे की शर्तों को लगातार बदल रहा है, लेकिन साथ ही कहा कि वह नहीं चाहते कि वाशिंगटन को यह लगे कि कीव इस सौदे के खिलाफ है.

अमेरिकी वित्त मंत्री मनुचिन ने कहा कि अमेरिका ने आर्थिक साझेदारी के लिए एक पूरा दस्तावेज भेज दिया है और वाशिंगटन को उम्मीद है कि अगले हफ़्ते पूरी चर्चा होगी और शायद हस्ताक्षर भी हो जाएंगे. सारांश के अनुसार, नए प्रस्ताव में यह शर्त रखी गई है कि समझौते के तहत निकाले गए संसाधनों को खरीदने का पहला हक अमेरिका को होगा. साथ ही, यूक्रेन को इस फंड के मुनाफे में हिस्सेदारी मिलने से पहले अमेरिका 2022 से अब तक यूक्रेन को दी गई सारी रकम 4% सालाना ब्याज दर के साथ वसूल करेगा. अपडेट किए गए प्रस्ताव के बारे में सबसे पहले फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने खबर दी थी.

अगर इस पर सहमति बनती है, तो संयुक्त निवेश कोष में पांच लोगों का एक बोर्ड होगा, जिसमें तीन अमेरिका और दो यूक्रेन द्वारा नियुक्त किए जाएंगे. फंड से होने वाली कमाई को विदेशी मुद्रा में बदला जाएगा और विदेश भेजा जाएगा. फंड का प्रबंधन यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फ़ाइनेंस कॉर्पोरेशन (DFC) करेगा. बातचीत की जानकारी रखने वाले एक अन्य सूत्र ने कहा कि DFC द्वारा फंड के प्रबंधन पर चर्चा हुई है.

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