अमेरिकी अटैक से कितना नुकसान? US खुफिया रिपोर्ट और डोनाल्ड ट्रंप के दावे अलग, पर ईरान ने बताया सच

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US Attacks on Iran nuclear facilities was Failed:  इजरायल-ईरान जंग में बी2 बॉम्बर से तेहरान के परमाणु ठिकानों को तबाह करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर उनकी ही खुफिया एजेंसियों ने सवाल उठा दिया है. इससे ट्रंप बुरी तरह घिर गए हैं. अमेरिका ने दावा किया था कि उसके बी2 बॉम्बर विमानों ने ईरान के भीतर तीन परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बम गिराए जिससे ये ठिकाने बुरी तरह तबाह हो गए. लेकिन, अब ट्रंप अपनी ही खुफिया रिपोर्ट को खारिज कर रहे हैं. इस खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अमेरिकी हमलों से केवल मामूली नुकसान पहुंचा है. ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास पूरी जानकारी नहीं है और जोर देकर कहा कि उनके हमलों ने ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया. इस बीच ईरान ने भी कहा है कि इस हमले में उसके परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा है.

ट्रंप ने हमले के कुछ घंटों बाद ही दावा किया था कि ईरानी परमाणु सुविधाएं पूरी तरह नष्ट हो गईं, लेकिन अब उनकी यह बात सवालों के घेरे में है. यह मुद्दा नीदरलैंड में नाटो के वार्षिक शिखर सम्मेलन में छाया रहा, जहां यूरोपीय सुरक्षा पर चर्चा होनी थी. व्हाइट हाउस ने इजरायल के बयान को सामने रखा, जिसमें कहा गया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम कई वर्षों तक पीछे धकेल गया, जबकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने इसे कुछ महीनों का नुकसान बताया. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी स्वीकार किया कि उनकी सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है. लेकिन ये बयान ट्रंप के बढ़ा चढ़ाकर किए गए दावों से मेल नहीं खाते और न ही यह सुझाव देते हैं कि अमेरिकी हमलों ने ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता को पूरी तरह खत्म कर दिया है.

मुंह दाब कर बोल रहे विदेश मंत्री

विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पोलिटिको को दिए साक्षात्कार में सतर्कता बरतते हुए कहा कि ईरान आज परमाणु हथियार से पहले की तुलना में कहीं अधिक दूर है. हालांकि, हमलों के प्रभाव का सटीक आकलन करना अभी मुश्किल है, क्योंकि यह कुछ दिन पहले ही हुए हैं. इस अनिश्चितता ने ट्रंप के जोखिम भरे फैसले को लेकर अमेरिकी मतदाताओं के बीच बहस छेड़ दी है, जिन्होंने इजरायल के साथ मिलकर ईरान पर हमले किए.

मिडलबरी इंस्टीट्यूट के अप्रसार विशेषज्ञ जेफरी लुईस ने कहा कि अगर यह कहना जल्दबाजी है, तो ट्रंप इसे पूरी तरह तबाह कैसे कह सकते हैं? या तो समय से पहले कुछ नहीं कहना चाहिए, या फिर आपको सब पता होना चाहिए. ट्रंप के अगले कदम भी अहम हैं, क्योंकि मध्य पूर्व में कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत हो सकती है ताकि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू न करे.

अमेरिकी-ईरानी अधिकारी मुलाकात करेंगे

ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी और ईरानी अधिकारी जल्द ही मुलाकात करेंगे, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब बातचीत की जरूरत नहीं, क्योंकि ईरान इतना कमजोर हो चुका है कि वह अपना कार्यक्रम दोबारा शुरू नहीं कर सकता. ट्रंप ने कहा, “मुझे कोई समझौता चाहिए या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता. वे अब कुछ करने की स्थिति में ही नहीं हैं.” ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन अमेरिका और इजरायल इसे परमाणु हथियार की दिशा में कदम मानते हैं.

इस प्रकरण ने ट्रंप की खुफिया अधिकारियों और मीडिया के खिलाफ पुरानी नाराजगी को फिर हवा दी. उन्होंने खुफिया आकलन को लीक करने वालों को डीप स्टेट का हिस्सा बताया और मीडिया को घटिया करार दिया. यह आकलन रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) ने तैयार किया था जो पेंटागन का हिस्सा है. पूर्व काउंटरइंटेलिजेंस नेता फ्रैंक मॉन्टोया के मुताबिक डीआईए आमतौर पर प्रारंभिक परिणाम सबसे तेजी से देती है.

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी लियोन पनेटा ने कहा कि हमलों के प्रभाव का पूरा आकलन करने में कम से कम कुछ हफ्ते लगेंगे. ट्रंप ने हमलों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाने को सैन्य का अपमान बताया, जिसने गुप्त बमवर्षक विमानों से गहरे भूमिगत ठिकानों पर हमले किए. उन्होंने इसे 12-दिवसीय युद्ध का अंत बताया, जैसा कि हिरोशिमा-नागासाकी पर परमाणु बम गिरने से द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था.

ट्रंप को बदनाम करने की साजिश

रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी मीडिया पर निशाना साधा और लीक हुए आकलन को ट्रंप को बदनाम करने की साजिश बताया. ट्रंप ने उपग्रह तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा कि परमाणु सुविधाओं के आसपास का क्षेत्र काला पड़ गया और यूरेनियम संवर्धन की सुरंगें ढह गईं. इजरायल ने भी दावा किया कि उसके पास ईरान में जमीनी स्रोत हैं, जो हमलों के बाद नुकसान का आकलन करते हैं.

इजरायल और व्हाइट हाउस के बयान के मुताबिक, अमेरिकी और इजरायली हमलों ने ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की क्षमता को कई साल पीछे धकेल दिया. ईरानी प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने अल जजीरा को बताया कि उनकी परमाणु सुविधाओं को गंभीर नुकसान हुआ है. एक बड़ा सवाल यह है कि क्या हमलों से पहले संवर्धित यूरेनियम को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया. ट्रंप ने दावा किया कि ईरान को ऐसा करने का मौका नहीं मिला.

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