Last Updated:January 14, 2025, 17:20 IST
US Eric Garcetti: अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने के बाद बड़े पैमाने पर दुनिया भर में अमेरिकी राजदूतों के बदलने का सिलसिला देखा जाता रहा है। भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी का कार्यकाल खत्म हो गया है। आइए समझें कि अमेरिका अपना राजदूत कैसे…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी का कार्यकाल खत्म
- सोमवार को उन्होंने राजदूत के तौर पर आखिरी भाषण दिया
- अमेरिका के राष्ट्रपति राजदूत की नियुक्ति करते हैं
वॉशिंगटन: भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. सोमवार को उन्होंने राजदूत के रूप में अपने अंतिम भाषण में भारत की तारीफों के पुल बांधे. अपने भाषण के दौरान उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में करीबी का जिक्र किया. गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका मानता है कि भारत का इतिहास सिर्फ भारत का नहीं बल्कि पूरी दुनिया का है. लेकिन एरिक गार्सेटी के बयानों से ज्यादा आज हम जानेंगे कि अमेरिका अपना राजदूत कैसे नियुक्त करता है और क्या राष्ट्रपति बदलते ही राजदूत भी बदल जाते हैं?
दुनिया के अलग-अलग देशों में भारतीय राजदूत ज्यादातर ‘भारतीय विदेश सेवा’ के अधिकारी होते हैं. लेकिन सरकार जरूरत के हिसाब से दूसरी सेवा के अधिकारियों या राजनेताओं को भी राजदूत के तौर पर नियुक्त कर सकती है. प्रधानमंत्री की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति राजदूत की नियुक्ति को मंजूरी देते हैं. वहीं अमेरिका में भी यह अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होता है. यह एक राजनीतिक पद है, इसलिए सरकार बदलते ही अमेरिकी राजदूतों के बदलने का सिलसिला शुरू हो जाता है.
कैसे होती अमेरिका के राजदूत की नियुक्ति
- किसी भी देश के राजदूत के उम्मीदवार का चयन अमेरिकी राष्ट्रपति करते हैं. इसमें ध्यान रखा जाता है कि व्यक्ति को राजनयिक या विदेशी संबंधों का अनुभव हो.
- उम्मीदवार के चयन के बाद आधिकारिक तौर पर नामांकन किया जाता है और अमेरिकी सीनेट को भेजा जाता है.
- सीनेट की विदेश संबंध कमेटी नामांकित व्यक्ति की समीक्षा करती है. इसमें सुनवाई आयोजित की जाती है, जिसमें नामांकित व्यक्ति से उसकी योग्यता, अनुभव और उसके पद को लेकर प्लान के बारे में पूछा जाता है. समिति इस व्यक्ति के बैकग्राउंड, हित और संभावित टकराव की समीक्षा करती है.
- सुनवाई के बाद समिति इस बात पर मतदान करती है कि नामांकित व्यक्ति की सिफारिश की जाए या नहीं. अगर समिति मंजूरी देती है तो नामांकन पुष्टि के लिए पूरे सीनेट में चला जाता है. इसके लिए साधारण बहुमत चाहिए.
- सीनेट से इजाजत मिलने के बाद राष्ट्रपति ऐसे व्यक्ति को राजदूत नियुक्त कर सकते हैं. शपथ के बाद राजदूत अपनी ड्यूटी शुरू करते हैं.
राष्ट्रपति के साथ बदलते हैं राजदूत?
अमेरिका के राजदूत के कार्यकाल को लेकर कोई समय निर्धारित नहीं है. राजदूत राष्ट्रपति की इच्छा तक अपने पद पर रह सकते हैं. वह किसी भी समय इस्तीफा दे सकते हैं. हालांकि सरकार का बदलना राजदूतों को भी बदल देता है. 2017 में राष्ट्रपति बनने से पहले डोनाल्ड ट्रंप की टीम ने सभी राजनीतिक रूप से नियुक्त राजनयिकों को 20 जनवरी 2017 से पहले पद छोड़ने का निर्देश दिया था. वॉइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने तब कहा था कि राजनीतिक रूप से नियुक्त राजदूतों का इस्तीफा देना आम बात है. पिछले साल चुनावों में ट्रम्प की जीत के बाद केन्या में अमेरिकी राजदूत मेग व्हिटमैन ने भी इस्तीफा दे दिया था.
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January 14, 2025, 17:20 IST
अमेरिका कैसे चुनता है राजदूत? क्या ट्रंप के आने से बदलेगा सबकुछ
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