वाशिंगटन डीसी: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट से एक अहम राहत मिली है. शुक्रवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 6-3 के बहुमत से एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसने निचली अदालतों की उस ताकत पर सवाल खड़े कर दिए हैं जिससे वे पूरे देश में ट्रंप की नीतियों पर रोक लगा रही थीं. इस फैसले को ट्रंप की नीति एजेंडा को आगे बढ़ाने के रास्ते में मील का पत्थर माना जा रहा है.
क्या है पूरा मामला?यह मामला ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को नागरिकता देने की व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश की थी. यह आदेश खासकर उन बच्चों पर लागू होता, जिनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक नहीं हैं या जिनके पास ग्रीन कार्ड नहीं है.
ट्रंप ने राष्ट्रपति पद पर दोबारा आने के पहले दिन ही यह कार्यकारी आदेश जारी किया था. इसके अनुसार, अब अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चे को तभी नागरिकता मिलेगी, जब उसके माता-पिता में से कम से कम एक के पास अमेरिकी नागरिकता या वैध निवास (ग्रीन कार्ड) हो.
14वें संशोधन पर बहस
ट्रंप के आदेश को 14वें संशोधन के खिलाफ बताया गया, जो कहता है कि ‘संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्म लेने वाले और इसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी व्यक्ति अमेरिका के नागरिक माने जाएंगे’. यह संशोधन 1868 में गृहयुद्ध के बाद लागू हुआ था और दासप्रथा खत्म करने के बाद नागरिकता सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था.
22 राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल्स, प्रवासी अधिकार कार्यकर्ता और कई गर्भवती अप्रवासी महिलाओं ने ट्रंप के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस आदेश की संवैधानिकता पर कोई अंतिम फैसला नहीं दिया है, लेकिन कोर्ट ने ट्रंप के समर्थन में यह जरूर कहा कि निचली अदालतें “नेशनवाइड इंजंक्शन” जारी करने के अधिकार से आगे जा रही हैं.
जस्टिस एमी कोनी बैरेट, जिन्हें ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया था, उन्होंने बहुमत वाले फैसले में लिखा, ‘संघीय अदालतों को कार्यपालिका की निगरानी का सामान्य अधिकार नहीं दिया गया है. उन्हें केवल वही अधिकार प्राप्त हैं जो कांग्रेस ने सौंपे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर कोर्ट यह मानता है कि कार्यपालिका की कोई नीति गैरकानूनी है, तो इसका यह मतलब नहीं कि वह खुद अपनी सीमाएं लांघ जाए.’
ट्रंप की प्रतिक्रिया और असरयह फैसला सिर्फ ट्रंप की वर्तमान नीतियों के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के राष्ट्रपति और सरकारों के लिए भी रास्ता साफ करता है. अमेरिका की अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने फैसले का स्वागत करते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने आज जिला अदालतों को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ जारी नेशनवाइड इंजंक्शन की बाढ़ को रोके. यह हमारे न्याय विभाग और सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर की मेहनत के बिना संभव नहीं था.’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि न्याय विभाग ट्रंप की नीतियों और अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष करता रहेगा.
इस फैसले से अमेरिका की न्यायिक प्रणाली में एक बड़ा मोड़ आया है. यह साफ संदेश है कि निचली अदालतें अब पूरे देश पर लागू आदेश नहीं दे सकतीं, खासकर जब मामला कार्यपालिका की नीति से जुड़ा हो. ट्रंप के इमिग्रेशन, बजट में कटौती, और एजेंसियों पर नियंत्रण जैसे कई फैसलों को निचली अदालतों ने रोक दिया था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि निचली अदालतों की शक्तियों की एक सीमा है.
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