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Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे होने पर यूरोपीय संघ ने रूस के हमले की निंदा का प्रस्ताव पेश किया, जिसका अमेरिका ने विरोध किया. 93 देशों ने समर्थन किया, जबकि भारत समेत 65 देशों ने मतदान से …और पढ़ें
अमेरिका ने यूएन में रूस के खिलाफ प्रस्ताव का विरोध किया.
हाइलाइट्स
- अमेरिका ने यूक्रेन के खिलाफ प्रस्ताव पर वोट किया
- भारत ने मतदान से परहेज किया
- 93 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया
मॉस्को: रूस और यूक्रेन युद्ध को तीन साल हो गए हैं. यूरोपीय संघ और यूक्रेन की ओर से रूस के हमले की निंदा से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया गया. इस प्रस्ताव ने बदलती हुई वैश्विक राजनीति को दिखाया है. दरअसल इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वोट दिया. अमेरिका रूस के साथ खड़ा हुआ दिखाई दिया. यह डोनाल्ड ट्रंप का यूरोप के साथ बढ़ते मतभेद और पुतिन के साथ करीबी को दिखाता है. अमेरिका, रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया ने यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया. डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद यह अमेरिकी नीति में बड़ा बदलाव दिखाता है. इस प्रस्ताव का समर्थन न करना दिखाता है कि ट्रंप रूसी राष्ट्रपति को हमले की जिम्मेदारी से आजाद करते हैं.
93 देशों ने यूरोप के प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया. भारत ने इस दौरान मतदान से परहेज किया. प्रस्ताव में रूस को एक आक्रामक देश बताया गया और उसे यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाने का आह्वान किया गया. यह मतदान तब हुआ जब ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की। दोनों ने जी-7 नेताओं के साथ युद्ध खत्म करने के लिए शांति वार्ता की संभावनाओं और नाटो गठबंधन के भविष्य पर अमेरिका-यूरोप के बढ़ते मतभेदों पर चर्चा की.
पुतिन से बातचीत कर रहे ट्रंप
जर्मनी के संभावित अगले चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने इस वीकेंड चेतावनी दी कि यूरोप को अमेरिका से ज्यादा स्वतंत्रता की तलाश करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह प्राथमिकता होगी कि यूरोप को जल्द से जल्द मजबूत किया जाए, ताकि हर कदम पर हम अमेरिका से आजादी पा सकें.’ ट्रंप ने पुतिन से बातचीत शुरू कर दी है. वहीं यूक्रेन को वह पूरी तरह नजरअंदाज कर रहे हैं.ट्रंप यूक्रेन से 500 बिलियन डॉलर मूल्य की दुर्लभ खनिजों की डील करना चाहते हैं, ताकि युद्ध में अमेरिका द्वारा खर्च की गई राशि की भरपाई हो सके.
भारत मतदान से बनाता रहा है दूरी
यूक्रेन की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव में रूसी सेना की वापसी की मांग की गई है, जिसे संशोधन के बाद पेश किया गया था. भारत शांति का समर्थन करने की नीति पर चलता है. उसने इस प्रस्ताव से दूरी बनाई. 65 देशों ने मतदान से परहेज किया. पहले भी रूस विरोधी प्रस्तावों पर भारत का यही रुख रहा है. भारत दोनों पक्षों के बीच संवाद और कूटनीति को फिर से शुरू करने की वकालत करता है. लेकिन ट्रंप प्रशासन रूस के साथ सीधे बात कर रहा है. हाल ही में सऊदी अरब में रूस और अमेरिका के बीच बैठक हुई, जिसमें यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया.
New Delhi,New Delhi,Delhi
February 25, 2025, 07:24 IST
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