Last Updated:April 26, 2025, 15:09 IST
USCIRF ने ट्रंप प्रशासन से पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन पर सख्त कदम उठाने की मांग की है. रिपोर्ट में ईसाई, हिंदू, शिया और अहमदिया मुस्लिमों पर अत्याचार की बात कही गई है.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ रहा है.
हाइलाइट्स
- USCIRF ने पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन पर सख्ती की मांग की
- अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए पाकिस्तान को ‘सीपीसी’ नामित करने की सिफारिश
- USCIRF ने ईशनिंदा कानूनों को निरस्त करने की मांग की
न्यूयॉर्क: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ ‘बढ़ते धार्मिक और राजनीतिक भय, असहिष्णुता और हिंसा के माहौल’ को देखते हुए, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से इस्लामिक गणराज्य के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है. आयोग ने अमेरिकी सरकार से आग्रह किया कि वह पाकिस्तानी अधिकारियों और एजेंसियों पर प्रतिबंध लगाए जो उस देश में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं. इसके अलावा, उनकी संपत्तियां जब्त की जाएं और अमेरिका में उनके प्रवेश पर रोक लगाई जाए.
धार्मिक स्वतंत्रता निकाय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से ईसाई, हिंदू, और शिया और अहमदिया मुस्लिम, पाकिस्तान के कठोर ईशनिंदा कानून के तहत उत्पीड़न का मुख्य शिकार बने रहे. वे पुलिस और भीड़ की हिंसा का सामना कर रहे हैं. ऐसी हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को शायद ही कभी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है. इन बार-बार होने वाली घटनाओं का मुकाबला करने के लिए, आयोग ने सरकार से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान को ‘विशेष चिंता का देश (सीपीसी)’ के रूप में फिर से नामित करे, क्योंकि वहां धार्मिक स्वतंत्रता का व्यवस्थित, निरंतर और गंभीर उल्लंघन हो रहा है.
अमेरिका ने पाकिस्तान को दी है छूट
इसने सरकार से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान के लिए मौजूदा छूट को हटाए ताकि, सीपीसी के रूप में नामित होने के कारण कानूनी रूप से अनिवार्य कार्रवाइयां की जा सकें. विभाग ने अतीत में इस्लामाबाद को छूट जारी करते हुए कहा था कि व्यापक रणनीतिक लक्ष्यों के लिए ‘रचनात्मक संबंध’ बनाए रखना आवश्यक है. USCIRF ने पाया कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा के लिए ईशनिंदा कानून जिम्मेदार है और उसने सुझाव दिया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को कई कदम उठाने चाहिए. इसमें कहा गया कि ईशनिंदा के आरोप और उसके बाद भीड़ की ओर से की गई हिंसा ने धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित करना जारी रखा है.
USCIRF की क्या है सिफारिश?
इसने अमेरिकी सरकार से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तानी सरकार के साथ अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक बाध्यकारी समझौता करे, जिसमें इस्लामाबाद को ईशनिंदा कानूनों को निरस्त करने और इन कानूनों या उनके धार्मिक विश्वासों के कारण कैद किए गए कैदियों को रिहा करने की आवश्यकता होगी. USCIRF के अनुसार, जब तक कानून निरस्त नहीं हो जाते, तब तक आरोपी को जमानत मिलनी चाहिए. इसके अलावा, झूठे आरोप लगाने वालों पर देश की दंड संहिता के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
यह भी कहा गया कि पाकिस्तान को उन व्यक्तियों को भी जवाबदेह बनाना चाहिए जो हिंसा, टारगेट किलिंग, जबरन धर्मांतरण और धर्म आधारित अन्य अपराधों में भाग लेते हैं या उन्हें उकसाते हैं. संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ समूह की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए USCIRF ने कहा कि पाकिस्तान की अल्पसंख्यक ईसाई, हिंदू महिलाओं और लड़कियों का जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है. आगे कहा गया कि विशेषज्ञों ने पाया कि स्थानीय अधिकारी अक्सर जबरन विवाह को खारिज कर देते हैं, जिसमें महिलाओं और लड़कियों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया जाता है और अदालत भी उन्हें वैध ठहराती है.
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