रेड सी का मिजाज फिर से होने लगा लाल, अमेरिका और हूती आमने सामने, तेल की कीमतों पर आ सकता है उछाल

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Last Updated:March 18, 2025, 13:53 IST

USA VS HOUTHI: रेड सी में अमेरिकी नौसेना की सबसे ज़्यादा एक्टिविटी है. 2023 से ही अमेरिका ने अपनी मौजूदगी को मिडिल ईस्ट के इलाके में लगातार जारी रखी है. यमन के हूती विद्रोहीअमेरिकी , यूएस और इजरायली मर्चेंट वेस…और पढ़ें

रेड सी का रंग होने लगा लाल..

हाइलाइट्स

  • अमेरिका और हूती विद्रोहियों में रेड सी में तनाव बढ़ा.
  • तेल की कीमतों में उछाल की संभावना.
  • रेड सी में व्यापार बाधित होने से वैश्विक असर.

USA VS HOUTHI: रेड सी लंबे समय से अमेरिका और यमन के हूती के जंग का मैदान बना हुआ है. इजरायल का हमसा और हिज्बुल्लाह के बीच जारी जंग ने तो मानों आग घी डालने का कम कर दिया. यह पूरा इलाका अमेरिका के सेंट्रल कमांड के कार्यक्षेत्र में आता है. पिछले साल 15 दिसंबर को मिडिल ईस्ट मे तैनात के लिए कैरियर स्ट्राइक ग्रुप USS हैरी ए ट्रूमैन स्वेज कैनाल को पार करते हुए रेड सी के इलाके में पहु्ंचा.इसी कैरियर से अमेरिकी F-18 ने उड़ान भर कर हूती पर बड़ा हमला किया. हैरी एस. ट्रूमन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में USS गेटिसबर्ग (CG-64), USS स्टाउट (DDG-55) और USS जैसन डनहम (DDG-109) शामिल हैं. कैरियर एयर विंग (CVW) 1 ट्रूमन में सवार है. इसके जवाब में हूती ने भी अमेरिकी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप पर भी हमले का दावा किया. रेड सी का इलाके का मिज़ाज फिर से लाल होने लगा है. हूती और अमेरिका आमने सामने है और इस जारी जंग से दुनिया की मुश्किलें बढ सकती है. तेल की क़ीमतों में उछाल आने की संभावना है.अमेरिका के सेंट्रल कमांड ने दो दिन से लगातार यमन में हूती के ठिकानों पर हमला किया.

तेल की कीमतों में आ सकता है उछाल
यमन के हूती विद्रोहियों ने रेड सी से अदन की खाड़ी और मध्य/उत्तरी अरब सागर के अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाता आ रहा है.अमेरिका की तरफ से जारी किए गए बयान में साफ कही गया कि पिछले 18 महीने के भीतर हूती ने अमेरिकी नौसेना के वॉरशिप पर 174 बार हमले किए. इसके अलावा उस इलाके से गुजरने वाले कमर्शियल शिपिंग पर 145 बार अटैक किए. पहले तो सोमालिया के समुद्री लुटेरे ही व्यापारिक जहाजो के लिए समस्या होते थे लेकिन अब हूती विद्रोहियों ने भी मुश्किले खड़ी कर दी. अगर हम सिर्फ भारत के परीपेक्ष में इस मौजूदा हालात को देखें तो अरब सागर में स्ट्रेट ऑफ हॉरमूज के पास फारस और ओमान की खाड़ी के इलाके से भारत का 80 फीसदी एनर्जी ट्रेड आता है. दूसरा अदन की खाड़ी में एनर्जी ट्रेड के अलवा 90 फीसदी अन्य व्यापार होता है. स्वेज कैनाल से रेड सी और अदन की खाड़ी से होते हुए सारा ट्रेड अरब सागर के रास्ते भारत पहुंचता है. इसी रूट से चीन और अन्य ईस्ट के देशों तक तेल और अन्य व्यापर पहुंचता है. रेड सी में गदर बढ़ा तो पूरा ट्रेड बाधित हो जाएगा. इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. जिसमें तेल की कीमतों में भी उछाल आ सकता है.

रेड सी बाधित हुआ तो बढ़ेगी मुसीबत
रेड सी से होते हुए अदन की खाड़ी तक पहुंचना बेहद चुनौती पूर्ण हो जाता है. यह पूरा इलाका सबसे बडा पायरेसी का इलाका है. जिबूती और सोमालिया से लुटेरे इसी जगह पर डकैती डालते है. समुद्री रास्ते से व्यापार का यह सबसे छोटा रूट है. इसलिए यहां पर ट्रैफिक बाकी जगह से कहीं ज़्यादा है. अगर जंग के चलते कभी अदन की खाड़ी वाला रूट बाधित हुआ, तो व्यापारिक जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ेगा. मर्चेंट वेसल को मेडिटेरियन सी से होते हुए अफ्रीका के नीचे केपौ ऑफ गुड होप रूट से आना होगा. इस रूट से ना सिर्फ समय ज्यादा लगेगा बल्कि कीमते भी बढ़ जाएंगी.

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रेड सी का मिजाज फिर से होने लगा लाल, अमेरिका-हूती आमने सामने

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