US NSA Jake Sullivan: अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन अगले सप्ताह भारत का दौरा करने वाले हैं, क्योंकि जो बाइडेन प्रशासन अपने चार साल के कार्यकाल को पूरा कर रहा है और डोनाल्ड ट्रम्प 2.0 प्रशासन को सत्ता सौंपने की तैयारी कर रहा है. सुलिवन बाइडेन प्रशासन के सबसे प्रभावशाली अधिकारियों में से एक रहे हैं और उन्होंने दुनिया भर में संघर्षों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,
सुलिवन के सोमवार को अजीत डोभाल के साथ बातचीत करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलने की उम्मीद है. यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी को 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं.
वार्ता के प्रमुख विषय
1. iCET (महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पहल)
सुलिवन और डोभाल iCET के क्रियान्वयन पर विचार कर सकते हैं. यह पहल बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों के विस्तार के लिए शुरू की गई थी. एडवांस्ड टेक्नोलॉजी जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई, और सेमीकंडक्टर में सहयोग. दोनों देश अंतरिक्ष तकनीक और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में आपसी भागीदारी को और मजबूत करेंगे.
2. सैन्य और सुरक्षा मुद्दे
क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों जैसे चीन की मुखरता, इंडो-पैसिफिक रणनीति, और आतंकवाद का मुकाबला वार्ता का हिस्सा हो सकते हैं. रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और गहरा करने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी.
यह ऐसे समय में भी हुआ है जब भारत अमेरिका और कनाडा में हत्या की साजिश के आरोपों का सामना कर रहा है. अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने साजिश के हिस्से के रूप में एक भारतीय खुफिया अधिकारी का नाम और पहचान की है. सुलिवन इस मुद्दे पर अमेरिकी पक्ष से बातचीत कर रहे हैं और अमेरिकी सरकार ने नई दिल्ली से जवाबदेही की मांग की है. भारत ने एक जांच समिति गठित की है जो अमेरिकी एजेंसियों द्वारा बताए गए इनपुट की जांच कर रही है और उस खुफिया अधिकारी को निलंबित कर दिया है.
सुलिवन के यात्रा का महत्व
भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती और iCET के माध्यम से दोनों देश प्रौद्योगिकी, रणनीति, और सुरक्षा सहयोग के नए आयाम जोड़ेंगे. उनकी यह यात्रा बताता है कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच साझेदारी की स्थिरता कितनी है. बाइडेन प्रशासन के अंतिम दिनों में यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों में कॉन्टिनुइटी और बिपार्टीशन कोऑपरेशन का संकेत है. डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भी iCET और भारत-अमेरिका संबंधों को प्राथमिकता मिलने की संभावना है.
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