मरे हुए सैटेलाइट ने भेजा अंतरिक्ष का सबसे तेज सिग्नल, NASA वैज्ञानिक भी हैरान

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नई दिल्ली: आसमान में एक सेकंड से भी कम वक्त के लिए अचानक कुछ ऐसा चमका जैसे किसी ब्लैक होल ने विस्फोट किया हो. लेकिन जब वैज्ञानिकों ने जांच की, तो हैरानी की हद पार हो गई. यह रहस्यमय ऊर्जा विस्फोट किसी दूर की चीज से नहीं, बल्कि पृथ्वी से सिर्फ 4,500 किलोमीटर दूर से आया था. और इसके पीछे एक ऐसा सैटेलाइट निकला जो करीब 50 साल पहले ‘मरा हुआ’ घोषित हो चुका था. ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी के खगोलविदों ने हाल ही में एक बेहद तेज ऊर्जा सिग्नल दर्ज किया, जिसने रात के आकाश में बाकी सभी चीजों को पीछे छोड़ दिया. शुरुआत में वैज्ञानिकों ने सोचा कि यह किसी न्यूट्रॉन तारे (पल्सर) या अनजान कॉस्मिक स्रोत से आया होगा, लेकिन दूरी के एनालिसिस ने यह साफ कर दिया कि सिग्नल का स्रोत पृथ्वी के बेहद नजदीक है.

1964 में लॉन्च हुआ था Relay 2 सैटेलाइट

गहन अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि यह विस्फोट नासा के एक पुराने सैटेलाइट Relay 2 से आया, जिसे 1964 में लॉन्च किया गया था और महज तीन साल बाद 1967 में निष्क्रिय मान लिया गया था. Relay 2 एक एक्सपेरिमेंटल सैटेलाइट था, जो प्रायोगिक संचार प्रणाली के लिए इस्तेमाल किया गया था.
अब आधी सदी बाद, यह मृत उपग्रह अचानक सक्रिय हुआ. यह एक तीव्र ऊर्जा विस्फोट का स्रोत बना, जिसने वैज्ञानिकों को चौंका दिया.

क्या हुआ उस ‘मरे हुए’ सैटेलाइट के साथ?

रिसर्चर्स के मुताबिक, सैटेलाइट में दशकों से इलेक्ट्रॉन और चार्ज पार्टिकल्स जमा हो रहे थे. जब वह किसी सूक्ष्म उल्कापिंड (micrometeoroid) या स्पेस जंक (अंतरिक्ष मलबे) से टकराया, तो अंदर का संचित विद्युत आवेश एक electrostatic discharge यानी स्थैतिक विद्युत विसर्जन में बदल गया.

इस विसर्जन ने एक तेज लेकिन अल्पकालिक ऊर्जा सिग्नल पैदा किया, जिसकी अवधि महज एक नैनोसेकंड (एक सेकंड का एक अरबवां हिस्सा) रही.

वैज्ञानिकों का कहना है कि स्पेसक्राफ्ट के चार्ज होने की प्रक्रिया नई नहीं है. अंतरिक्ष में प्लाज्मा और चार्ज पार्टिकल्स के साथ संपर्क के कारण सैटेलाइट की सतह पर इलेक्ट्रॉनों का जमाव होता है, जिससे जब वोल्टेज एक निश्चित सीमा तक पहुंच जाता है, तो दो सतहों के बीच डिस्चार्ज हो सकता है. लेकिन Relay 2 से निकला यह विस्फोट अब तक दर्ज की गई सबसे तेज और सबसे तीव्र घटनाओं में से एक था.

ये घटनाएं सामान्य हो सकती हैं?

अध्ययन में यह भी कहा गया कि ऐसी घटनाएं और भी हो सकती हैं, लेकिन हमारी तकनीकें उन्हें पकड़ने में असमर्थ रही होंगी. वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों और स्काई मॉनिटरिंग उपकरणों को ऐसे अप्रत्याशित ऊर्जा विस्फोटों का पता लगाने के लिए बेहतर ढंग से डिजाइन किया जाना चाहिए.

फिलहाल इस तरह की घटनाएं पृथ्वी के लिए कोई सीधा खतरा नहीं हैं, लेकिन यह जरूर एक चेतावनी है कि अंतरिक्ष कब किस रूप में प्रतिक्रिया दे, इसका अनुमान लगाना बेहद कठिन है. पुराना मलबा भी अचानक सक्रिय हो सकता है और वैज्ञानिकों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है.

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