Last Updated:March 07, 2025, 11:12 IST
Tahawwur Rana US Supreme Court: मुंबई में 26/11 हमले का आरोपी तहव्वुर राणा भारत प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां उसकी याचिका खारिज हो गई. उसने भारत में प्रताड़ना और हत्या का खत…और पढ़ें
तहव्वुर राणा को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है.
हाइलाइट्स
- तहव्वुर राणा भारत आने से बच रहा है
- प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश में वह लगा है
- अबू सलेम जैसी दलील ही उसने दी है
वॉशिंगटन: मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा कानून के शिकंजे से बचने के लिए हाथ-पैर मार रहा है. इसके लिए वह अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, जिससे उसे झटका लगा है. तहव्वुर नहीं चाहता कि उसे भारत के हवाले किए जाए. राणा के वकील ने प्रत्यर्पण पर इमरजेंसी तरीके से रोक लगाने की मांग की थी. आतंकी तहव्वुर भारत न आने के लिए वही हथकंडे अपना रहा है, जो कभी अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम ने किया था. तहव्वुर का कहना है कि उसकी धार्मिक पहचान और सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण उसे प्रताड़ित किया जाएगा और उसकी हत्या हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एलेना कागन ने उसकी अर्जी खारिज की थी, जिसके बाद राणा के वकील सीधे चीफ जस्टिस के पास पहुंच गए.
अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को भी पुर्तगाल से भारत लाया गया था. अबू सलेम को भारत लाना आसान नहीं था. अबू सलेम बार-बार पुर्तगाल की कोर्ट में अर्जी दायर करता रहा कि उसे राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है और अगर उसका प्रत्यर्पण किया जाता है तो उसे भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी और उसकी जान को खतरा हो सकता है. अबू सलेम बॉम्बे बम धमाकों के मामले में जुड़ा था. अबू सलेम पर आरोप था कि उसने अवैध हथियारों की सप्लाई की. अबू सलेम पर टाडा की अलग-अलग धाराओं में आरोप लगाए गए थे.
अबू सलेम क्या करता रहा बहाने?
अबू सलेम पाकिस्तानी पासपोर्ट पर एक फर्जी नाम से पुर्तगाल में प्रवेश कर गया. मुंबई में एक टाडा अदालत ने उसे 15 अक्टूबर 1993 को एक घोषित अपराधी करार दिया. बाद में उसके खिलाफ एक गैर जमानती वारंट जारी किया. इंटरपोल ने 18 सितंबर 2002 को उसकी गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया. 20 सितंबर 2002 को इंटरपोल ने उसे गिरफ्तार किया. 13 दिसंबर 2002 को भारत ने 9 आपराधिक मामलों में अबू सलेम के प्रत्यर्पण की अपील पुर्तगाल से की. पुर्तगाल के न्याय मंत्रालय ने 28 मार्च 2003 को एक आदेश में अबू सलेम के प्रत्यर्पण की इजाजत दी.
भारत न भेजा जाए, इसे लेकर अबू सलेम ने पुर्तगाल की अदालत में कहा कि उसे राजनीतिक कारणों से प्रताड़ित किया जाएगा. अबू सलेम ने कहा कि अगर उसे भारत भेजा जाता है तो उसकी जान खतरे में आ जाएगी और मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा. उसने राजनीतिक शरण लेने के लिए भी आवेदन किया, लेकिन पुर्तगाली अधिकारियों ने उसकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि वह एक आपराधिक भगोड़ा है. क्योंकि अबू सलेम एक फर्जी नाम और पासपोर्ट के जरिए पुर्तगाल पहुंचा था, इसलिए उसने इसका फायदा लेने की कोशिश की. उसने दावा किया कि वह वही व्यक्ति नहीं है जिसे भारत ढूंढ रहा है. अबू सलेम को मौत की सजा नहीं दी जाएगी, इसी शर्त पर पुर्तगाल ने उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी दी.
क्या कह रहा है तहव्वुर?
आतंकी तहव्वुर राणा ने अपनी अर्जी में कहा कि वह एक पाकिस्तानी मुस्लिम और पाकिस्तानी आर्मी का पूर्व सदस्य है, जिसके कारण उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया जा सकता है. उसने यह भी कहा कि स्वास्थ्य स्थितियों के कारण उसकी मौत हो सकती है. तहव्वुर राणा पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमन हेडली का सहयोगी है. पिछले महीने पीएम मोदी के साथ वाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने राणा के प्रत्यर्पण की पुष्टि की थी.
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March 07, 2025, 11:12 IST
चला मुस्लिम वाला दांव… अबू सलेम की दलीलों का भी लिया सहारा, फिर भी झटका
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