एलियन ग्रह का पत्थर, जिसे शिकारी ने समझा मामूली, वैज्ञानिक के लिए बना खजाना, कीमत ₹34 करोड़

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Last Updated:July 13, 2025, 11:52 IST

धरती पर मंगल ग्रह के दुर्लभ टुकड़े की नीलामी होने जा रही है. यह 77 हजार साल पुराना टुकड़ा 2023 में सहारा रेगिस्तान में एक शिकारी द्वारा खोजा गया था. 22 किलोग्राम वाले टुकड़े की अनुमानित कीमत 34 से 50 करोड़ के ब…और पढ़ें

इस पत्थर के टुकड़े की कीमत करोड़ों में.

Mars Asteroid Auction: साउथबीज़ की अपनी नेचुरल हिस्ट्री थीम में एक पत्थर की निलामी की जा रही है. ये पत्थर वैज्ञानिकों को रोमांचित कर रहा है. 25 किलोग्राम का यह मेटियोराइट NWA 16788 के नाम से जाना जाता है. यह धरती पर मिलने वाला अब तक का सबसे बड़ा मंगल ग्रह का टुकड़ा है. यह 2023 में सहारा रेगिस्तान में इस मेटियोराइट की खोज की गई थी. इसकी अनुमानित नीलामी कीमत $4 से $6 34 से 50 करोड़ तक आंकी गई है.

कैसे धरती पर आया यह मेटियोराइट: साउथबीज़ के मुताबिक़, मंगल ग्रह का एक बड़ा उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह के धरती से टकराया था. जिसके बाद एक टूकड़ा टूट कर पृथ्वी के सहारा रोगिस्तान में गिरा था. यह लगभग 2.25 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करके धरती पर पहुंचा है. सबसे पहले यह मंगल के वायुमंडल को पार करके टूट कर अंतरिक्ष में गया, फिर आकर सहारा रेगिस्तान में गिरा. नवंबर 2023 में नाइजर के रेगिस्तानी इलाके में एक मेटियोराइट शिकारी ने इसे खोजा.

इतिहास में कहीं नहीं मिली इसकी बराबरी

साउथबीज़ के मुताबिक, यह टुकड़ा धरती पर मिला मंगल का सबसे बड़ा मेटियोराइट है. इससे पहले मिला सबसे बड़े टुकड़े से 70% भारी है और धरती पर मौजूद सभी मंगलशैली चट्टानों के मात्र 7% इस एक टुकड़े में समाहित हैं. यह लगभग 38 सेंटीमीटर लंबा, 28 सेंटीमीटर चौड़ा और 15 सेंटीमीटर मोटा है.

मेटियोराइट के एक्सपर्ट कास्सांद्रा हैटन, जो कि विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास विभाग की वाइस चेयर हैं, कहती हैं,यह अब तक मिला सबसे बड़ा मंगलमय मेटियोराइट है. इसकी रासायनिक बनावट और संरचना मंगल ग्रह के 1976 में पहुंची वाइकिंग अंतरिक्ष यान के नमूनों से मेल खाती है.’

क्या है इसका रासायनिक स्वरूप?

प्रारंभिक एनालिसिस में इसकी पहचान एक ऑलिवाइन-माइक्रोगैब्रिक शेरगट्टाइट चट्टान के रूप में की गई है. ये तब बनती हैं, जब मंगल का मैग्मा धीरे-धीरे ठंडा हो कर क्रिस्टलीकरण प्रक्रिया से गुजरता है. इस चट्टान में पायरोक्सीन और ऑलिवाइन नामक खनिज पाए गए. पास्कीयल ग्लेसी सतह से पता चलता है कि धरती की वायुमंडलीय गतिशक्ति के चलते इसे जल ताप के कारण शीशे जैसा आवरण मिला.

कब क्रैश हुआ यह पत्थर?

सटीक समय तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन जांच से पता चलता है कि यह हालिया के वर्षों में ही धरती पर पहुंचा है. इसे पहली बार साउथबीज़ ने पहले रोम स्थित इतालवी अन्तरिक्ष एजेन्सी के एक प्रदर्शन में इसे दिखाया था. अब इसे नीलामी के लिए न्यूयॉर्क भेजा गया है.

क्यों है यह मेटियोराइट इतना खास?

सोथबीज़ का कहना है कि पृथ्वी पर पाए गए 77,000 से ज़्यादा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त उल्कापिंडों में से केवल 400 ही मंगल ग्रह के उल्कापिंड हैं. यह उन में सबसे बड़ा है. वैज्ञानिक शोध के लिए इसका महत्व भी है, क्योंकि यह मंगल के भीतर की संरचना, भू-वैज्ञानिक इतिहास और प्राचीन वातावरण को समझने में अमूल्य मदद कर सकता है.

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Deep Raj Deepak

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व…और पढ़ें

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व… और पढ़ें

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एलियन ग्रह का पत्थर, जिसे शिकारी ने समझा मामूली, वैज्ञानिक के लिए बना खजाना

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