Last Updated:June 27, 2025, 18:06 IST
Kill Web Technology Threat: अमेरिका ने चीन की किल वेब टेक्नोलॉजी को लेकर काफी ज्यादा चिंताएं जाहिर की हैं. इसको अमेरिका की किल चेन टेक्नोलॉजी के जवाब में तैयार किया गया है.
चीन की ‘किलवेब’ तकनीक से अमेरिकी एयरफोर्स चिंतित है.(Image:Reuters)
वाशिंगटन. अमेरिकी वायु सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए ) की मिसाइल क्षमताओं और इसकी ‘किल वेब’ तकनीत के विकास के बारे में चिंता जाहिर की है. यह देखते अमेरिकी रक्षा विभाग के आगामी बजट अनुरोध में चीन से बढ़ते खतरे के कारण इंडो- पैसिफिक में सुरक्षा बढ़ाने पर जोर दिया है. अमेरिकी एक्सपर्ट का मानना है कि चीन का ताइवान पर पूर्ण पैमाने पर हमला जोखिम भरा और असंभव दोनों है. जिससे पता चलता है कि बीजिंग अपने मकसद को हासिल करने के लिए राजनीतिक युद्ध या नाकाबंदी जैसे बलपूर्वक उपाय अपनाने की अधिक संभावना रखता है.
अमेरिकी वायु सेना के सचिव ट्रॉय मींक और अंतरिक्ष संचालन के प्रमुख जनरल चांस साल्ट्ज़मैन ने आगामी वर्ष के लिए रक्षा बजट पर चर्चा करने के लिए सीनेट उपसमिति की सुनवाई में हिस्सा लिया. मींक और साल्ट्ज़मैन दोनों ने कहा कि पीएलए अपनी बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं में तेजी से विकास कर रहा है. उन्होंने कहा कि चीन के पास ताइवान को निशाना बनाने में 900 से अधिक छोटी दूरी की मिसाइलें हैं. साथ ही 400 भूमि- आधारित मिसाइलें हैं. इसके अलावा उन्होंने चीन के 1,300 किमी. दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के भंडार पर भी रोशनी डाली. चीन की 500 किमी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें अलास्का और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों तक पहुंच सकती हैं और 400 से अधिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें वैश्विक स्तर पर परमाणु पेलोड पहुंचाने में सक्षम हैं.
‘किल वेब’ तकनीक
साल्ट्ज़मैन ने चीन की ‘किल वेब’ तकनीक के बारे में अपनी सबसे बड़ी चिंता जाहिर की. जो पीएलए को अमेरिकी सेनाओं पर पर काफी दूर से नजर रखने की समर्थ बनाता है. उन्होंने कहा कि चीन ने पहले ही 470 से अधिक खुफिया, निगरानी और टोही उपग्रहों को तैनात किया है, जो एक आधुनिक सेंसर-टू-शूटर किल वेब में जानकारी का योगदान करते हैं. इसका किल वेब सेंसर को सीधे स्ट्राइक इकाइयों से जोड़ता है. डेटा शेयरिंग और ऑटोमेशन के जरिये से हमलों को तेज रफ्तार से अंजाम देता है. जिससे सेकंड के भीतर हमले किए जा सकते हैं.
अमेरिकी किल चेन का जवाब किल वेब
चीन की ‘किल वेब’ तकनीक सिर्फ मिसाइल या ड्रोन का नेटवर्क नहीं है.ये युद्ध के मैदान में दुश्मन को पूरी तरह घेरकर खत्म करने की एक नई तकनीक है. इसका मकसद रडार, सेंसर, सैटेलाइट और मिसाइलों को एकसाथ जोड़कर ऐसा ताना-बाना तैयार करना, जो किसी भी दुश्मन की गतिविधि को पल भर में पकड़ सके और खुद ही उस पर जवाबी हमला कर दे. अमेरिका को डर है कि यह सिस्टम उनके फाइटर जेट्स और जंगी जहाजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. चीन अब पारंपरिक युद्ध नहीं, बल्कि ‘मल्टी-डोमेन वारफेयर’ के लिए तैयार हो रहा है. ये आकाश, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर जैसे हर मोर्चे पर एकसाथ हमला करने की क्षमता है. दरअसल, अमेरिका की वायुसेना अब तक ‘किल चेन’ नामक रणनीति पर चलती रही है. जिसमें दुश्मन की पहचान से लेकर उसे खत्म करने तक का पूरा प्रोसेस एक लाइन में चलता है. लेकिन चीन का ‘किल वेब’ उसी लाइन को एक जाल में बदल देता है. जिसमें बिना किसी इंसानी आदेश के एक साथ कई जगह से अलग-अलग टारगेट्स पर हमला करना शामिल है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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