अमेरिका से बढ़ रही सामरिक साझेदारी, रूस छूट रहा है पीछे, भारत अब कर रहा अपनी शर्तों पर खरीद

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Last Updated:February 14, 2025, 23:50 IST

Explainer India US Russia: भारत को पहले सिर्फ रूस ही है जो तकनीक का ट्रांसफर करता है. अमेरिका हमेशा से अपनी तकनीक किसी भी देश से साझा करने से हिचकता था. लेकिन अब अमेरिका भी अब साझा उत्पादन के लिए तैयार है. वह भ…और पढ़ें

भारत की शर्तें मानने को मजबूर

हाइलाइट्स

  • भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी में तेजी आई।
  • रूस से हथियारों की खरीद में कमी आई।
  • अमेरिका मेक इन इंडिया के तहत साझा उत्पादन को तैयार।

Explainer India US Russia: भारत और अमेरिका के बीच सामरिक रिश्तों का नया दौर शुरू हुआ है. नए हथियारों की खरीद ने रूस को पीछे छोड़ दिया. पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से दोनों देशों के सामरिक रिश्तों का नया अध्याय शुरू हो रहा है. पहले दुनिया की शर्तों पर भारत को हथियार खरीदने पड़ते थे. अब भारत की शर्तों पर ताकतवर देशों के हथियार बेचने पड़ते है. अब तो अमेरिका भी मेक इन इंडिया के तहत भारत में साझा उत्पादन के लिए हामी भर चुका हैं. फिलहाल दुनिया दो धड़ों में बंटी हुई है. अमेरीका वेस्टर्न ब्लॉक की मेजबानी करता है. रूस इस्टर्न ब्लॉक की. दोनों के साथ भारत के रिश्ते बेहद खास है. सामरिक रिश्ते अब अमेरिका के साथ बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2018 से अब तक भारत ने अमेरिका से लगभग 20 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादों के एग्रिमेंट किए. जबकि रूस ने 2005 से 2025 के बीच 50 अरब डॉलर की एग्रिमेंट भारत के साथ किए. यह आंकड़े अपने आप में ही बताने में काफी है झुकाव किस तरफ है.

भारतीय सेना में अमेरिकी हथियार
अमेरिकी थिंक टैक के मुताबिक साल 2000 से साल 2023 के बीच हुए आर्मस डील की एक लंबी फेहरिस्त है. भारतीय वायुसेना के लिए 28 अपाचे अटैक हैलिकॉप्टर, 1354 AGM-114 हेलफायर एंटी टैंक मिसाइल, स्ट्रांगिर पोर्टेबल सर्फेस टू सर्फेस एयर मिसाइल, कॉंबेट हैलिकॉप्टर रडार, 15 चिनूक हैवि लिफ्ट हैलिकॉप्टर, 13 C-130 सुपर हरक्यूलिस, 11 C-17 ग्लोबमास्टर, लिए गए. नौसेना के लिए जलाश्व “ एंफीबियस ट्रांसपोर्ट डॉक, 24 रोमियो हैलिकॉप्टर, 12 P8i एयरक्राफ्ट, एंटी सबमरीन वॉरफेयर टॉरपिडो, हारपून एंटी शिप मिसाइल, सी किंग हैलिकॉप्टर, नेवल गैस टर्बाइन, 1.45 लाख सिगसौर रायफल शामिल है. इसके अलावा भारतीय थलसेना के लिए 145 M-777 हॉवितसर, 1200 से ज्यादा गाइडेड आर्टिलरी शेल, 145 शामिल हैं.  31 MQ-9B ड्रोन, 6 अपाचे हेलिकॉप्टर, तेजस मार्क 1 A के लिए GE404 इंजन आने है.  6 P8i, स्ट्राइकर ICV, जेवलिन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, तेजस Mk-2 और AMCA के लिए GE 414 इंजन की खरीद प्रक्रिया आगे बढ़ रही है.

क्या रूस पिछड़ रहा है?
भारतीय सेना के तीनों अंगो में इस वक्त 60 से 70 फीसदी सैन्य उपकरण रूसी है. भारत हमेशा से ही रूस पर निर्भर रहा है. अब वह निर्भरता कम होने लगी है. पिछले कुछ समय से भारत और रूस के बीच रक्षा उपकरणों की खरीद में कमी देखी जा रही है. इसके पीछे की वजह आत्मनिर्भर भारत मुहीम भी एक वजह है. पांचवी पीढ़ी के फाइटर प्रोग्राम FGFA से भारत बाहर हो गया था. इस वक्त भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अब रूस से कम से कम हथियार खरीद रहा है. भारत अब फ्रांस और अमेरिका की तरफ ज्यादा शिफ्ट होने लगा है. साल 2009 में भारत के 76 फीसदी हथियार रूस से आते थे. साल 2024 में यह घटकर केवल 36 फीसदी ही रह गया है. मौजूदा समय में S-400, थलसेना के मेन बैटल टैंक T-90 और सुखोई-30 का लाइसेंस प्रोडक्शन, मिग-29 की सप्लाइ और कामोव हेलिकॉप्टर, T-72, बख्तरबंद गाड़ी BMP-2, नौसेना के स्टेल्थ फ्रीगेट का भारत में लाइसेंस प्रोडक्शन है. रूस और भारत ने एक साथ मिलकर दुनिया की सबसे खतरनाक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और AK-203 का भी निर्माण किया है. अब पांचवी पीढ़ी के फाइटर Su-57 का भी ऑफर आ गया है.

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अमेरिका से बढ़ रही सामरिक साझेदारी, रूस छूट रहा है पीछे

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