वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अब फैसले की घड़ी आने ही वाली है. 5 नवंबर को अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव है. डेमोक्रेट कैंडिडेट कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच फिफ्टी-फिफ्टी का मुकाबला लग रहा है. कई सर्वे में दोनों के बीच कांटे की टक्कर दिखाई गई है. अमेरिका में भले ही हार-जीत किसी की भी हो, मगर अमेरिकियों को तो अलग ही चिंता सता रही है. दरअसल, अमेरिका में आधे लोगों को डर सता रहा है कि चुनाव में चाहे कोई भी जीते, लोकतंत्र कमजोर होगा.
जी हां, दुनिया के सबसे पुराने यानी अमेरिका के लोकतंत्र की नाजुक हालत को लेकर वोटरों में चिंता बढ़ रही है. अमेरिकी वोटर आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर काफी चिंतित हैं. उन्हें राजनीतिक हिंसा, चुनाव परिणामों को पलटने की कोशिशों और लोकतंत्र पर इसके व्यापक प्रभावों की आशंका सता रही है. द एसोसिएटेड प्रेस-एनओआरसी सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स रिसर्च की ओर से किए गए सर्वे में 40 फीसदी रजिस्टर्ड वोटरों का कहना है कि वे चुनाव परिणामों को पलटने के लिए हिंसक कोशिशों को लेकर बेहद चिंतित हैं.
रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप लगातार चुनाव में धांधली का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर चुनाव में धांधली नहीं हुई तो उनकी हार नहीं हो सकती. इसी बात से अमेरिकियों को फिक्र हो रही है. करीब 90 फीसदी रजिस्टर्ड वोटर्स का मानना है कि जब हर राज्य में वोटों की गिनती पूरी हो जाए और कानूनी चुनौतियों का समाधान हो जाए, तब राष्ट्रपति चुनाव में हारने वाले को हार मान लेनी चाहिए. हालांकि, एक-तिहाई वोटर्स को ही उम्मीद है कि ट्रंप नतीजे स्वीकार करेंगे और हार मानेंगे.
हालांकि, बाजवूद इसके ट्रंप के हार मानने की इच्छाशक्ति को लेकर डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के विचार एकदम अलग हैं. जहां दो-तिहाई रिपब्लिकन वोटर्स का मानना है कि ट्रंप हार मान लेंगे, वहीं सिर्फ 10 में से एक डेमोक्रेट ही इससे सहमत हैं. इसके विपरीत करीब 80 फीसदी वोटर्स का मानना है कि कमला हैरिस नतीजों को स्वीकार करेंगी और हारने की स्थिति में अपनी हार मान लेंगी, जिसमें रिपब्लिकन वोटर्स की बड़ी संख्या भी शामिल है.
जहां तक लोकतंत्र की बात है तो डेमोक्रेट और रिपब्लिकन अपने विचारों को लेकर बंटे हुए हैं. लगभग आधे वोटर्स का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप लोकतंत्र को बहुत या कुछ हद तक कमजोर करेंगे, जबकि 40% वोटर्स के भी विचार कमला हैरिस को लेकर यही हैं. अब सवाल है कि आखिर चुनाव से ठीक पहले अमेरिकियों को लोकतंत्र की चिंता क्यों सताने लगी है. तो इसकी सबसे बड़ी वजह है हि कैपिटल हिल्स दंगा. जी हां, 6 जनवरी 2020 को अमेरिकी कैपिटल हिल्स हिंसा हुई थी. ट्रंप अपनी हार मानने को तैयार नहीं थे. ट्रंप समर्थकों ने कैहिटल हिल्स पर जमकर उत्पात मचाया था. डेमोक्रेट और आम जनता भी इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप को जिम्मेदार मानती है.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 11:16 IST
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