Last Updated:May 23, 2025, 07:36 IST
Harvard University News: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टेढ़ी नजर अभी तक सीधी नहीं हुई है. फंड रोकने के बाद अब नया आदेश जारी किया गया है. इसका असर भारतीय छात्रों पर भी पड़ेगा.
डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के उस अधिकार को छीन लिया है, जिसके तहत इंटरनेशनल स्टूडेंट का प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में दाखिला होता था. (फोटो: एपी)
हाइलाइट्स
- डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अधिकार को कम कर दिया
- इंटरनेशनल स्टूडेंट को अब यहां दाखिला नहीं मिल सकेगा, आदेश जारी
- बड़ी तादाद में भारतीय छात्र भी होंगे प्रभावित, पहले रोक दिया था फंड
वॉशिंगटन. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जबसे अमेरिका की कमान संभाली है, लगातार खलबली मचाने वाले फैसले ले रहे हैं. डिफेंस, पॉलिटिक्स से लेकर एजुकेशन सेक्टर तक से जुड़े फैसले ले रहे हैं. उनके निशाने पर खासतौर पर देश और दुनियाभर में प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी है. ट्रंप सरकार ने उनकी नीतियों को न मानने के चलते पहले इस यूनिवर्सिटी का फंड रोका और अब उसके एक बड़े अधिकार को छीन लिया. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को इंटरनेशनल स्टूडेंट को दाखिला देने का अधिकार दिया गया था. ट्रंप सरकार ने यूनिवर्सिटी से वह अधिकार छीन लिया है. इसका मतलब यह हुआ कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकेगा. इस बाबत आदेश भी जारी कर दिया गया है. इसक अलावा यूनिवर्सिटी में पहले से पढ़ रहे इंटरनेशनल स्टूडेंट को या तो ट्रांसफर लेना होगा या फिर उनका एनरॉलमेंट यानी नामांकन रद्द कर दिया जाएगा. ट्रंप सरकार के इस फैसले से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने का सपना संजोने वाले हजारों लाखों भारतीय छात्रों की उम्मीदों को भी झटका लगा है.
ट्रंप सरकार ने गुरुवार को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को बड़ा झटका देते हुए उसकी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एनरॉल करने की अनुमति रद्द कर दी है. इस कदम से हार्वर्ड में पढ़ रहे हजारों विदेशी छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है. अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने एक बयान में कहा, ‘हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को एनरॉल नहीं कर सकता और वर्तमान इंटरनेशनल स्टूडेंट को या तो ट्रांसफर लेना होगा या फिर अपना लीगल स्टेटस गंवाना होगा.’ होमलैंड सिक्योरिटी के सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड का स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) सर्टिफिकेशन समाप्त करने का आदेश दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने पिछले महीने मांगे गए विदेशी छात्रों के आचरण या कंडक्ट रिकॉर्ड देने से इनकार कर दिया था.
संविधान के खिलाफ – हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
यह निर्णय हार्वर्ड की कुल छात्र संख्या के लगभग एक-चौथाई अंतरराष्ट्रीय छात्रों को प्रभावित कर सकता है. इस फैसले से न केवल छात्रों बल्कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों में भी गहरी चिंता है. हार्वर्ड में पढ़ाने वाले टीचर्स का मानना है कि विदेशी छात्रों के जाने से संस्थान की एजुकेशनल क्वालिटी पर गंभीर असर पड़ेगा. व्हाइट हाउस ने कहा कि विदेशी छात्रों को दाखिला देना कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है. साथ ही हार्वर्ड पर अमेरिका विरोधी और यहूदी-विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया गया है. ट्रंप प्रशासन लंबे समय से हार्वर्ड पर उसके कैंपस नीतियों, कर्मचारियों की भर्ती और विविधता से संबंधित कार्यक्रमों में बदलाव के लिए दबाव बना रहा है. प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय में हमास समर्थक और यहूदी विरोधी गतिविधियों में विदेशी छात्रों की भूमिका रही है. हालांकि, हार्वर्ड ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है.
6,793 विदेशी छात्र
हार्वर्ड ने इस कदम को “गैरकानूनी” करार देते हुए कहा कि हम इंटरनेशनल स्टूडेंट और शोधकर्ताओं का हार्वर्ड में स्वागत जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यह कार्रवाई हमारे संस्थान और देश दोनों को नुकसान पहुंचाएगी. इस यूनिवर्सिटी में लगभग 6,793 अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं, जो कुल एनरॉलमेंट का 27.2% हैं. इस फैसले के बाद कई छात्रों की पढ़ाई, वीजा और इंटर्नशिप पर खतरा मंडरा रहा है. ऑस्ट्रिया से आए छात्र कार्ल मोल्डन ने कहा, ‘हममें से कई ने जीवन भर मेहनत कर यहां तक पहुंचा है. अब हमें ट्रांसफर और वीजा को लेकर चिंता सताने लगी है.’ टीचर्स का मानना है कि यह निर्णय अमेरिकी हाइयर एजुकेशन सिस्टम को नुकसान पहुंचाएगा. अर्थशास्त्र के प्रोफेसर जेसन फुरमैन ने कहा, ‘यह फैसला हर स्तर पर भयावह है. अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बिना हार्वर्ड की कल्पना ही नहीं की जा सकती.’

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