Last Updated:May 27, 2025, 05:01 IST
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने अमेरिका के वर्चस्व को कमजोर किया, जिससे वैश्विक अस्थिरता बढ़ी. चीन ने टैरिफ वॉर में कूटनीतिक जीत हासिल की. भारत जैसे देशों के लिए यह एक बड़ा मौका हो सकता है.
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी वर्चस्व को कमजोर कर रहे हैं.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
- ट्रंप की नीतियों से अमेरिका का वर्चस्व कमजोर हुआ.
- भारत जैसे देशों के लिए यह बड़ा मौका हो सकता है.
- चीन ने टैरिफ वॉर में कूटनीतिक जीत हासिल की.
वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बड़बोलेपन से अमेरिका के वर्चस्व को तोड़ने का काम कर रहे हैं. उनके कदमों से दुनिया भर में अमेरिका की मिट्टी पलीद हो रही है. इस तरह के हालात अगर सच में बन गए तो भारत जैसे देशों के लिए एक बड़ा मौका होगा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वैश्विक टैरिफ वॉर ने शेयर और बांड बाजारों में अस्थिरता ला दी, जिससे दुनिया की इकोनॉमी कमजोर हुई. ट्रम्प ने पश्चिमी सहयोगियों को आर्थिक और राजनीतिक रूप से धमकाकर पश्चिमी एकता को तोड़ा है. मगर उन्होंने अनजाने में एक नई, अधिक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था के तैयार होने का मौका पैदा कर दिया है. कुछ पश्चिमी टिप्पणीकार अमेरिका को उदार महाशक्ति मानते हैं, जो पश्चिमी देशों के लिए सही हो सकता है. जबकि भारत जैसे ‘ग्लोबल साउथ’ के देश अमेरिकी हस्तक्षेपों से पीड़ित रहे हैं.
पश्चिमी देश अब अपना वैश्विक प्रभुत्व खो रहे हैं, जो अपरिहार्य लगता है. यह त्रासदी नहीं, बल्कि एक ऐसी दुनिया का अवसर है जहां पश्चिमी वर्चस्व के दोहरे मापदंड न हों. डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों ने अमेरिका को सहयोगियों से अलग कर दिया, जिससे वैश्विक संघर्ष शुरू करना कठिन हो सकता है. उभरती बहुध्रुवीय दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन अलग-अलग प्रभाव क्षेत्रों में बंट सकते हैं. अमेरिका एशिया में प्रभुत्व बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, जबकि रूस की सैन्य शक्ति सीमित है, जैसा कि यूक्रेन युद्ध दिखाता है.
चीन ने टैरिफ वॉर में दिखाया दम
चीन ने ट्रम्प के टैरिफ के खिलाफ 90-दिनों का विराम हासिल किया है, जिसे उसकी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. चीन की गैर-हस्तक्षेपवादी नीति और वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर जोर उसे अमेरिका से अलग करता है. चीन दक्षिण चीन सागर और ताइवान में आक्रामक हो सकता है, लेकिन सैन्य बल का उपयोग सीमित करता है. वह वैश्विक दक्षिण के विकास में निवेश कर रहा है, विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा में, जिससे गरीब देश लाभान्वित हो सकते हैं.
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अमेरिकी टैरिफ के जवाब में ग्लोबल साउथ एकजुट
डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान ने मुक्त व्यापार पर चर्चा की. शी जिनपिंग ने वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया के साथ गठबंधन मजबूत किया. ब्रिक्स, न्यू डेवलपमेंट बैंक, और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल उभरती व्यवस्था को आकार दे रहे हैं. यूरोपीय संघ भी अधिक समान वैश्विक भूमिका की ओर बढ़ रहा है. भारत जैसे ‘ग्लोबल साउथ’ के देश स्थिर, निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय नियम चाहते हैं. अमेरिकी प्रभुत्व का कमजोर होना एक अधिक न्यायसंगत व्यवस्था की ओर पहला कदम हो सकता है. ट्रम्प की अराजक नीतियां, विडंबनापूर्ण रूप से इसे रफ्तार दे रही हैं.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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