Last Updated:May 03, 2025, 18:03 IST
America News in Hindi : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों अमेरिका के खुफिया सिस्टम के पेच कसने में लगे हैं. सीआईए, एनएसए समेत कई खुफिया एजेंसियों में बड़े पैमाने पर छंटनी की तैयारी है.
यूएस के खुफिया सिस्टम की चूलें कसने में जुटे ट्रंप. (File Photo)
हाइलाइट्स
- ट्रंप ने CIA, NSA में बड़े पैमाने पर छंटनी की योजना बनाई.
- CIA के 1,200 कर्मचारियों की छंटनी अगले कुछ सालों में होगी.
- ट्रंप प्रशासन ने DEI कार्यक्रमों को बंद करने का फैसला किया.
वाशिंगटन: अमेरिका की खुफिया एजेंसियों में खलबली मच गई है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीआईए (CIA), एनएसए (NSA) और अन्य खुफिया एजेंसियों में बड़े स्तर पर कटौती का फैसला लिया है. ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाइट हाउस अब अमेरिका की इंटेलिजेंस मशीनरी की कायापलट के मूड में है. पेंटागन के बाद अब खुफिया संस्थानों की बारी है. सूत्रों के अनुसार, सीआईए के लगभग 1,200 कर्मचारियों की छंटनी अगले कुछ सालों में की जाएगी. एनएसए और बाकी एजेंसियों से भी हजारों पद समाप्त करने की योजना है. बताया गया है कि सीआईए के कई सीनियर अधिकारी पहले ही स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले चुके हैं. बाकी छंटनी नई भर्तियों को रोकने और स्वाभाविक तौर पर रिक्त पदों को न भरने के जरिये की जाएगी. सीधे छंटनी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन एजेंसियों की ताकत और क्षमता में यह एक बड़ा बदलाव होगा.
फिलहाल तुलसी ने साधी चुप्पी
सीआईए ने एक बयान में कहा है कि एजेंसी के निदेशक जॉन रैटक्लिफ यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप की राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए उठा रहे हैं. बयान में कहा गया, ‘ये बदलाव CIA को नई ऊर्जा देने, उभरते नेतृत्व को आगे लाने और मिशन को बेहतर ढंग से पूरा करने की रणनीति का हिस्सा हैं.’ हालांकि इन बदलावों पर अमेरिकी कांग्रेस में हलचल है. राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड के प्रवक्ता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. गैबार्ड का कार्यालय 18 खुफिया एजेंसियों के समन्वय का काम करता है. इन एजेंसियों में सीआईए और एनएसए भी शामिल हैं.
अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, सीआईए और एनएसए पहले ही कुछ कर्मचारियों को स्वैच्छिक इस्तीफा देने का विकल्प दे चुके हैं. खास बात यह है कि जिन नए कर्मचारियों को हाल में ही नियुक्त किया गया था, उनमें से कुछ की छुट्टी भी तय कर दी गई है. ये बदलाव संस्थागत संरचना को झकझोरने वाले हैं, क्योंकि अब तक इंटेलिजेंस एजेंसियों को अमेरिका की ‘गहरी सरकार’ (Deep State) का हिस्सा माना जाता था, जो अक्सर सत्ता परिवर्तन से अछूती रहती थीं.
ट्रंप प्रशासन ने खुफिया तंत्र में डाइवर्सिटी, इक्विटी और इनक्लूजन (DEI) जैसे कार्यक्रम भी बंद कर दिए हैं. इन कार्यक्रमों में काम कर रहे 19 कर्मचारियों की छंटनी पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगाई है, लेकिन प्रशासन का रुख स्पष्ट है कि वो पुराने सिस्टम को उखाड़ने के मूड में है.
क्या बदलाव चाहते हैं ट्रंप?
हाल ही में एनएसए और साइबर कमांड के प्रमुख जनरल को अचानक बर्खास्त कर दिया गया. यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि साइबर खतरों के बढ़ते दौर में अमेरिकी खुफिया नेतृत्व को स्थायित्व की जरूरत थी. लेकिन ट्रंप के प्लान में ‘स्थायित्व’ के लिए फिलहाल कोई जगह नहीं है. सीआईए निदेशक रैटक्लिफ पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वह एजेंसी का फोकस चीन पर केंद्रित करना चाहते हैं. उनका कहना है कि इंसानी स्रोतों से खुफिया जानकारी जुटाने (Human Intelligence) को प्राथमिकता दी जाएगी. यानी तकनीकी निगरानी से हटकर जमीनी जासूसी पर जोर होगा.
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