Agency:News18Hindi
Last Updated:February 19, 2025, 10:22 IST
US News Hindi: अमेरिका ने भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग रद्द कर दी, जिसे राष्ट्रपति ट्रंप ने सही ठहराया. उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति और ऊंचे टैरिफ का हवाला दिया.
डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी पर साधा निशाना. (Reuters)
हाइलाइट्स
- भारत में वोटर फंडिंग रद्द करने की ट्रंप ने सराहना की
- ट्रंप ने भारत की आर्थिक स्थिति का हवाला दिया
- भारत के ऊंचे टैरिफ पर भी ट्रंप ने सवाल उठाए
वॉशिंगटन: भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए अमेरिका की ओर से 21 मिलियन डॉलर दिए जा रहे थे. ट्रंप प्रशासन के सरकारी दक्षता विभाग ने इस फंड को रद्द कर दिया, जिसका समर्थन अब डोनाल्ड ट्रंप भी कर रहे हैं. इसके अलावा ट्रंप ने भारत में इतनी बड़ी रकम दिए जाने पर सवाल खड़े किए. फ्लोरिडा स्थित अपने मार-ए-लागो निवास पर ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) क्यों दिए गए, जबकि भारत के पास पहले से ही बहुत पैसा है. अमेरिका सरकार ने कई देशों में चलने वाले यूएस एड के प्रोग्राम को बंद किया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास तो पहले से ही बहुत पैसा है. वे दुनिया के सबसे ज्यादा टैक्स लगाने वाले देशों में से एक हैं, खासकर हमारे लिए. हम वहां मुश्किल से पहुंच पाते हैं, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं. मुझे भारत और उसके प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान है, लेकिन भारत में वोटर टर्नआउट के लिए 21 मिलियन डॉलर क्यों? हमारे यहां वोटर टर्नआउट का क्या?’ ट्रंप ने अपने इसी बयान में भारत की ओर से लगाए जाने वाले टैरिफ का मुद्दा भी उठा दिया.
कहां से शुरू हुआ विवाद?
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब अमेरिका के सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने 16 फरवरी को 21 मिलियन डॉलर के अनुदान को रद्द कर दिया. एक्स पर किए गए एक पोस्ट में DOGE ने कई विदेशी सहायता कार्यक्रमों को अनावश्यक और अत्यधिक बताते हुए उन्हें रद्द कर दिया, जिसमें भारत में मतदाता मतदान प्रोजेक्ट सबसे ऊपर थी. DOGE के बयान में कहा गया, ‘अमेरिकी टैक्सपेयर्स के डॉलर निम्नलिखित चीजों पर खर्च किए जाने थे, जिसे अब रद्द कर दिया गया है.’ भारत ही नहीं बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन डॉलर, नेपाल में 39 मिलियन डॉलर के खर्च की बात कही गई है.
ट्रंप के फैसले से HIV मरीजों की मुश्किल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की ओर से विदेशी सहायता रोके जाने के फैसले से दक्षिण अफ्रीका में एचआईवी संक्रमितों के इलाज पर संकट पैदा हो गया है. दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलु-नटाल प्रांत के एक ग्रामीण इलाके में रहने वाली नोज़ुको माजोला (19) उन लाखों मरीजों में से एक हैं जिन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वैश्विक विदेशी सहायता रोकने का प्रभाव पड़ा है. इससे एचआईवी मरीजों के इलाज में रुकावट, संक्रमण दर में वृद्धि और मौतों की संख्या बढ़ने की आशंका है. ‘ह्यूमन साइंसेज रिसर्च काउंसिल’ ने वर्ष 2024 में बताया था कि दक्षिण अफ्रीका में एचआईवी का दूसरा सबसे अधिक प्रसार मजोला के ही प्रांत में है जहां हर सप्ताह करीब 1,300 युवा इस संक्रमण की चपेट में आते हैं.
क्वाज़ुलु-नटाल में 2022 में लगभग 19.8 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित थे. देश में 75 लाख से अधिक लोग एड्स रोग उत्पन्न करने वाले विषाणु से संक्रमित हैं और ये संख्या किसी भी अन्य देश से अधिक है. ट्रंप द्वारा राष्ट्रपति आपात एड्स राहत योजना (PEPEAR) को निलंबित किए जाने से देश के 55 लाख मरीजों के इलाज पर संकट खड़ा हो गया है.
इस योजना के तहत हर साल दक्षिण अफ्रीका के एचआईवी कार्यक्रमों और अनेक एनजीओ को 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मदद मिलती थी.संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी के अनुसार 2003 में स्थापना के बाद से PEPEAR को विश्व स्तर पर कम से कम दो करोड़ 60 लाख लोगों की जान बचाने का श्रेय जाता है. अमेरिका के एक संघीय न्यायाधीश ने हाल में ट्रंप प्रशासन को सहायता पर रोक को अस्थायी रूप से हटाने का आदेश दिया जबकि अमेरिकी दूतावास ने कहा कि पीइपीएफएआर योजनाएं सीमित छूट के साथ फिर से शुरू होंगी.
(एजेंसी इनपुट के साथ।)
New Delhi,New Delhi,Delhi
February 19, 2025, 10:04 IST
‘भारत के पास पैसों की कमी नहीं तो हम क्यों दें’, डोनाल्ड ट्रंप ने उठाया सवाल
world news, world news today, latest world news, latest news, hindi world news, hindi news today, oxbig news, oxbig news network, oxbig hindi, oxbig hindi news, hindi oxbig, oxbig
English News