अगर अमेरिका की विदेश नीति को इस वक्त परिभाषित करना हो तो एक ही वाक्य कहा जाएगा – डोनाल्ड ट्रंप दोस्ती जल्दी करते हैं, लेकिन निभाते उसी से हैं जो उनकी शर्तों पर चलता है. जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने अपनी नीति से कई पुराने सहयोगियों को चौंकाया. उन्होंने उन देशों से हाथ मिलाया, जिनसे अमेरिका पारंपरिक रूप से दूरी बनाए रखता था.
जब ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तो उनके तेवर अलग ही हैं. मोदी, पुतिन और मस्क जैसे पुराने ‘दोस्त’ उनसे दूर होते जा रहे हैं. इसके बदले उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों के वो करीबी बन रहे हैं, जिनसे दूर-दूर रहते थे. इन दिनों डोनाल्ड ट्रंप की नीति को विश्लेषक भी समझ नहीं पा रहे हैं क्योंकि आज वो जो करते हैं, कल उससे उलट कुछ और बोल पड़ते हैं. मसलन रूस और यूक्रेन के बीच का मसला सुलझाते-सुलझाते वे अपने पुराने दोस्त पुतिन से उलझ पड़े.
पहले मोदी को दिया धोखा
ट्रंप और मोदी के बीच सार्वजनिक गर्मजोशी कई मौकों पर देखी जा चुकी है. खासकर “Howdy Modi” और “Namaste Trump” जैसे कार्यक्रमों में दोनों नेता जिगरी यार जैसे नज़र आए थे. जब ट्रंप को ये दोस्ती निभाने का मौका मिला, तो उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शहबाज शरीफ का हाथ पकड़ लिया. नीतिगत रूप से ट्रंप ने भारत को व्यापारिक समझौतों में बार-बार चुनौती दी, जैसे कि जीएसपी (GSP) से भारत को बाहर करना. वहीं, मोदी सरकार ने अपनी ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति और रूस के साथ करीबी से संकेत दे दिया कि भारत किसी एक खेमे में नहीं रहेगा.
पुतिन के साथ बिगाड़ लिया रिश्ता
ट्रंप पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वह रूस के राष्ट्रपति पुतिन के प्रति सॉफ्ट पॉलिसी रखते थे. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने रूस पर भी प्रतिबंध लगाए लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर ट्रंप और पुतिन की केमिस्ट्री चर्चा में रही. हाल में यूक्रेन युद्ध और ट्रंप की बाद की बयानबाज़ियों के बाद पुतिन अब चीन के साथ अधिक खुलकर खड़े नजर आते हैं. इतना कम था, जो ट्रंप ने पुतिन को ‘पागल’ तक कह डाला. उन्हें कहा कि वो ‘आग से खेल’ खेल रहे हैं. फिलहाल हालात ये हैं कि पुतिन अमेरिका पर भड़के हैं और दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़े हुए हैं.
एलन मस्क से ‘ब्रोमांस’ फिर ब्रेक अप!
एलन मस्क, जो कभी ट्रंप की आर्थिक सलाहकार परिषद में थे, उन्हें भी ट्रंप संभाल नहीं पाए. जलवायु परिवर्तन और कोविड नीति को लेकर वे ट्रंप से अलग हो गए. ट्रंप के ट्विटर से बैन के बाद मस्क ने ट्विटर खरीदा और ट्रंप को फिर से मंच दिया. दोनों सार्वजनिक रूप से परिवार की तरह दिखते थे, लेकिन ट्रंप की नीतियों को देखते हुए टेस्ला सीईओ ने भी राजनीति से दूरी बना ली. अब वे अपना ध्यान अपने बिजनेस पर लगा रहे हैं.
ट्रंप ने सरकार के कामकाज को और बेहतर बनाने और कॉस्ट कटिंग को ध्यान में रखते हुए DOGE (Department of Government Efficiency) का गठन किया और चुनाव के दौरान उन्हें फंड करने वाले टेस्ला चीफ एलन मस्क को इसका चीफ बनाया गया. सार्वजनिक रूप से स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने ‘वन बिग ब्यूटिफुल बिल’ को लेकर अपनी गहरी नाराज़गी जताई है. यह बिल सरकारी खर्चों में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव करता है. इसे अमेरिकी बजट घाटे को घटाने की बजाय बढ़ाने वाला माना जा रहा है.
ट्रंप के नए दोस्त भी बन गए
ट्रंप के रिश्ते यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के नाथ ऑन एंड ऑफ रहते हैं. पुतिन से दोस्ती के दौर में उन्होंने उन्हें बेइज्ज़त करने में कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन पुतिन से नाराज़गी के बाद वे ज़ेलेंस्की पर नरम पड़ गए हैं. ट्रंप ने इतिहास रचते हुए उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग से भी रिश्ते सुधारे थे. ट्रंप ने यरुशलम को इज़राइल की राजधानी मानकर अमेरिकी दूतावास वहां स्थानांतरित किया और अब खुद ही अरब देशों से दोस्ती निभा रहे हैं. इससे इज़राइल के राष्ट्रपति बेन्यामिन नेतान्याहू भी खास खुश नहीं हैं. वहीं ट्रंप ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) के साथ बेहद करीबी रिश्ता बनाया, खासकर तेल और रक्षा सौदों को लेकर. ख़शोगी हत्याकांड के बावजूद ट्रंप ने MBS का समर्थन किया. वहीं सीरिया के नए राष्ट्रपति से उनकी गर्मजोशी भी चर्चा में रही थी क्योंकि वो एक वक्त में अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में शामिल थे.
कुल मिला ये कहना गलत नहीं होगा कि डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती और दुश्मनी दोनों स्थायी नहीं होतीं. उनकी विदेश नीति किसी विचार से ज्यादा डील्स पर चलती है. जहां उनका फायदा होता है, वे वहीं चल पड़ते हैं. भले ही इससे उनका कोई लॉयल फ्रेंड दूर हो रहा हो.
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