अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने चीन को लेकर गंभीर चेतावनी दी है. सिंगापुर में आयोजित सालाना शांगरी-ला डायलॉग सुरक्षा सम्मेलन में पेंटागन चीफ ने कहा कि चीन अब भरोसेमंद तरीके से इस क्षेत्र की शक्ति-संतुलन को ताकत के जरिये बदलने की तैयारी कर रहा है और यह खतरा ‘वास्तविक’ हो सकता है.
हेगसेथ ने कहा, “चीन का खतरा वास्तविक है और यह कभी भी सामने आ सकता है. बीजिंग पूरे एशिया को ‘नियंत्रण और प्रभुत्व’ में लेने की कोशिश में है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि चीन की सेना ताइवान पर आक्रमण के लिए हर दिन अभ्यास कर रही है और ‘असल जंग की तैयारी’ कर रही है.
पेंटागन चीफ की भारत से अपील
ट्रंप प्रशासन के तहत पहली बार शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लेते हुए हेगसेथ ने अमेरिका के एशियाई सहयोगियों से रक्षा खर्च बढ़ाने की अपील की. उन्होंने जापान, फिलीपींस और भारत के साथ अमेरिका की सैन्य साझेदारी को और गहरा बताते हुए कहा कि अमेरिका अब पूरी तरह से कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता को रोकने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘हम भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ा रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन ट्रंप के कारण एशियाई देशों को अब यूरोपीय देशों से सीख लेनी चाहिए. नाटो देशों, यहां तक कि जर्मनी ने भी अपने रक्षा बजट को जीडीपी के 5% तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है. ऐसे में एशिया के महत्वपूर्ण साझेदारों का पीछे रहना उचित नहीं है.’
‘ट्रंप के रहते काबू में रहेगा चीन’
हेगसेथ ने यूरोप से कहा कि वे अपने क्षेत्र की सुरक्षा पर ध्यान दें, ताकि अमेरिका एशिया में चीन के खतरे से निपटने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सके. उन्होंने यह भी कहा, ‘हम यहां किसी को अपना राजनीतिक या वैचारिक मॉडल अपनाने के लिए मजबूर करने नहीं आए हैं. हम आपकी परंपराओं, सेनाओं और संप्रभुता का सम्मान करते हैं और साझे हितों में सहयोग चाहते हैं.’
हेगसेथ ने ताइवान को लेकर भी सख्त संदेश दिया. उन्होंने कहा कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो इसके नतीजे हिन्द-प्रशांत और पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी होंगे. उन्होंने ट्रंप के बयान को दोहराते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप के होते हुए चीन ताइवान पर हमला नहीं कर सकता.’
ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
दरअसल चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और लगातार ही धमकी देता रहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो उसे बलपूर्वक मिला लेगा. वहीं, ताइवान की सरकार चीन के दावे को खारिज करती है और कहती है कि उनके भविष्य का निर्णय केवल वहां के लोग कर सकते हैं.
शांगरी-ला डायलॉग में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की नई रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई देशों में हथियार और रक्षा रिसर्च पर खर्च में इजाफा हो रहा है. 2024 में औसतन एशियाई देशों का रक्षा खर्च जीडीपी का 1.5% था, जो बीते दशक में स्थिर रहा है.
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