Last Updated:April 09, 2025, 06:44 IST
Trump Tariff War on China: डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी के बाद अब चीन से आयात होने वाले सामानों पर आज से 104% टैरिफ लागू होने जा रहा है. इस कदम से वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई है. ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति क…और पढ़ें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक टैरिफ वॉर ने एक बार फिर वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है. (AI इमेज)
हाइलाइट्स
- चीन से आयातित सामान पर 104% टैरिफ लागू होने जा रहा है.
- टैरिफ से अमेरिका को हर दिन 2 अरब डॉलर की आय का दावा.
- ट्रंप की यह टैरिफ नीति पीटर नवारो के विचारों से प्रेरित बताई जा रही है.
वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक टैरिफ वॉर ने एक बार फिर वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है. ट्रंप की चेतावनी के बाद आज, 9 अप्रैल 2025 से चीन से आयात होने वाले सभी सामानों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू होने जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा बताया है.
डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिका को हर दिन अरबों डॉलर का फायदा हो रहा है. लेकिन इस नीति के पीछे का विचार कहां से आया और इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं? आइए, इसे 10 बिंदुओं में समझते हैं…
- ट्रंप ने सोमवार को घोषणा की थी कि अगर चीन मंगलवार तक अमेरिकी सामानों पर अपने जवाबी टैरिफ हटाता नहीं है, तो बुधवार से चीन से आने वाले सभी सामानों पर 104% टैरिफ लगेगा. यह कदम आज से लागू हो गया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध और गहरा गया है.
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में कहा कि नए टैरिफ से उनके देश को हर दिन 2 अरब डॉलर की आय हो रही है. हालांकि, उन्होंने इसके लिए विस्तृत आंकड़े पेश नहीं किए, लेकिन दावा किया कि यह राशि अमेरिकी उद्योगों को मजबूत करने में मदद करेगी.
- इस टैरिफ नीति के पीछे ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो का बड़ा हाथ माना जा रहा है. नवारो जनवरी 2025 से ट्रंप के वरिष्ठ व्यापार सलाहकार हैं. उन्होंने एक किताब ‘डेथ बाय चाइना’ लिखी है. ट्रंप के दामाद जैरेड कुशनर ने यह किताब पढ़ी और कायल हो गए. इसी के बाद 2016 में वह ट्रंप की टीम में शामिल हो गए थे.
- नवारो ने अपनी किताबों में एक काल्पनिक अर्थशास्त्री ‘रॉन वारा’ का जिक्र किया, जिसे उन्होंने चीन विरोधी नीतियों के समर्थन में उद्धृत किया. वरिष्ठ अमेरिकी पत्रकार राचेल मैडो ने अपने MSNBC शो में खुलासा किया कि ‘रॉन वारा’ असल में नवारो का ही एक काल्पनिक नाम है, जो उनके उपनाम ‘नवारो’ का एनाग्राम (उलटा) है.
- मैडो के अनुसार, ट्रंप की टैरिफ नीति की शुरुआत एक ‘फर्जी मेमो’ से हुई, जिसे कथित तौर पर ‘रॉन वारा’ ने लिखा था. इस मेमो में कहा गया था कि ट्रंप ‘टैरिफ की सवारी करके जीत हासिल कर सकते हैं.’ नवारो ने बाद में इसे ‘मजाकिया तरीका’ बताया.
- अमेरिकी शेयर बाजार में मंगलवार को भारी गिरावट देखी गई. S&P 500 में 1.6% की कमी आई, जबकि डाउ जोंस 320 अंक नीचे बंद हुआ. निवेशकों में ट्रंप के टैरिफ से मंदी की आशंका बढ़ गई है.
- ट्रंप की इस टैरिफ नीति की रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं, डेमोक्रेट्स और विदेशी नेताओं ने आलोचना की है. कई देशों ने छूट के लिए बातचीत की पेशकश की, लेकिन ट्रंप ने कहा, ‘हम इतने सारे लोगों से इतनी जल्दी नहीं मिल सकते.’
- नवारो लंबे समय से चीन को आर्थिक खतरे के रूप में देखते आए हैं. उनकी किताब ‘डेथ बाय चाइना’ में ‘रॉन वारा’ के हवाले से कहा गया, ‘केवल चीनी ही सोफे को तेजाब, पालने को हथियार और बैटरी को शस्त्र बना सकते हैं.’
- 2019 में यह पता चला कि ‘रॉन वारा’ नवारो का बनाया हुआ किरदार था. हार्वर्ड में ऐसा कोई छात्र नहीं था, जैसा नवारो ने दावा किया. नवारो ने इसे ‘मनोरंजन’ के लिए किया गया काम बताया.
- ट्रंप ने टैरिफ को ‘विस्फोटक’ लेकिन जरूरी बताया. उनका कहना है कि इससे अमेरिकी उद्योग पुनर्जनन की ओर बढ़ेगा. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक टैरिफ रहने से वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ सकता है.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह नीति जहां उनके समर्थकों के लिए ‘अमेरिका फर्स्ट’ का प्रतीक है, वहीं आलोचकों के लिए यह एक फर्जी आधार पर शुरू की गई आर्थिक जंग है. पीटर नवारो और उनके काल्पनिक ‘रॉन वारा’ के विचारों से प्रेरित यह टैरिफ वॉर वैश्विक अर्थव्यवस्था को कहां ले जाएगा, यह आने वाला वक्त बताएगा.
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