बांग्लादेश में आम चुनाव के नजदीक आते ही प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच चुनावों से पहले सुधारों की जरूरत को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है.
बांग्लादेश के द ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनावों के नजदीक आते ही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और नवगठित नेशनल सिटिजन्स पार्टी (NCP) के नेता इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर जुबानी हमला कर रहे हैं.
बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने सोमवार (14 जुलाई, 2025) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि ओल्ड ढाका के मिटफोर्ड में 43 वर्षीय स्क्रैप व्यापारी लाल चंद सोहाग की हत्या देश में अशांति फैलाने और गलत राजनीतिक मकसदों को पूरा करने की साजिश है.
जमात-ए-इस्लामी के नेता मोहम्मद सलीमुद्दीन ने ढाका के मीरपुर में रैली के दौरान बिना नाम लिए बीएनपी पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि जनता ने पहले ही बीएनपी को येलो कार्ड दिखाया था और मिटफोर्ड की घटना के बाद ‘रेड कार्ड’ दिखा दिया.
मोहम्मद सलीमुद्दीन ने बीएनपी पर तंज कसते हुए कहा, ‘अगस्त के विद्रोह ने बीएनपी को एक सुनहरा मौका दिया था. वे अपने कार्यकर्ताओं को नैतिक मूल्यों की ट्रेनिंग दे सकते थे और इस्लामी अनुशासन का पालन करने के लिए उनका मार्गदर्शन कर सकते थे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने देश को उगाही करने वालों का अड्डा बना दिया. उनका मौजूदा नारा जबरन वसूली करने पर इनाम, इनकार करने पर निष्कासन जैसा लगता है.’
एनसीपी ने सुधारों और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के अपने आह्वान को दोहराया. हालांकि, बीएनपी ने लगातार इस मांग को खारिज किया है. बीएनपी के अनुसार, ‘चुनाव से पहले सुधार’ का विचार महत्वपूर्ण परिणाम नहीं देगा, जबकि एनसीपी ने मंगलवार रात एक रैली में चुनावी सुधारों और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की मांग को उठाया है.
एनसीपी के नेता हसनत अब्दुल्लाह ने मंगलवार रात रैली में राजनीतिक दलों की निंदा की. उन्होंने कहा, ‘जब हम जबरन वसूली के खिलाफ बोलते हैं, तो एक पार्टी नाराज हो जाती है. जब हम मतदान में धांधली का आरोप लगाते हैं, तो दूसरी पार्टी नाराज हो जाती है.’
हसनत अब्दुल्लाह ने निर्वाचन आयोग (Election Commission) पर पक्षपात का आरोप लगाया, यह तब हुआ जब चुनाव आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अवामी लीग के नाव चुनाव चिह्न को शामिल किया था. हालांकि, एनसीपी के नेता हसनत अब्दुल्लाह ने ईसी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए अवामी लीग के नाव के चुनाव चिह्न को तुरंत आयोग की सूची से हटाने की मांग की थी. इसके बाद आयोग ने वेबसाइट से नाव का चिह्न हटा दिया.
उन्होंने ईसी के एक सदस्य के विरोध के बाद एनसीपी को शापला (वाटर लिली) चिह्न न देने की भी आलोचना की और ऑनलाइन नामांकन प्रक्रिया की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, ‘इस आयोग के तहत निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है.’ उन्होंने ईसी का राजनीतिक तरीके से विरोध करने का संकल्प लिया और रैली में वक्ताओं ने आयोग के पुनर्गठन की मांग को दोहराया.
इस बीच, बीएनपी ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के चुनाव से पहले न्याय और सुधार के तर्क को सिरे से खारिज कर दिया. बीएनपी का कहना है कि अब वे ढांचागत सुधार के नाम पर और देरी स्वीकार नहीं करेंगे. बीएनपी के स्थायी समिति के सदस्य अब्दुल मोईन खान ने पिछले हफ्ते पार्टी के नए सदस्य भर्ती और नवीकरण अभियान में कहा कि अब एकमात्र प्राथमिकता लोगों को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के जरिए वोट का अधिकार देना है.
उन्होंने कहा, ‘बीएनपी अब ‘पहले न्याय और सुधार, फिर चुनाव’ का तर्क स्वीकार नहीं करेगी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘न्याय और सुधार एक सतत प्रक्रिया है. अंतरिम सरकार का मुख्य दायित्व लोकतंत्र की बहाली है और इसके लिए जल्द से जल्द चुनाव के जरिए सत्ता लोगों को सौंपनी होगी.’
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