AI on Caste Census: भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में जाति एक संवेदनशील और जटिल विषय रहा है. हाल के वर्षों में जाति आधारित जनगणना की मांग तेज़ हुई है जिसे अब सरकार से भी मंजूरी मिल गई है. अब सवाल उठता है, इससे किसे फायदा होगा और किसे नुकसान? जब AI से यह पूछा गया तो उसने डेटा के आधार पर साफ-साफ जवाब दिया.
AI के अनुसार किसे होगा फायदा
दरअसल, जातिगत जनगणना से सबसे ज़्यादा फायदा पिछड़े वर्गों (OBC), अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) को हो सकता है. AI का विश्लेषण बताता है कि वर्तमान में इन वर्गों की संख्या के सही आंकड़े सरकार के पास नहीं हैं. इससे उनकी वास्तविक सामाजिक और आर्थिक स्थिति छिपी रह जाती है. अगर जातिगत जनगणना होती है तो सरकार इन आंकड़ों के आधार पर शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य और अन्य योजनाओं में न्यायसंगत आरक्षण और सुविधा दे सकती है. इसके अलावा, सामाजिक कार्यकर्ता, नीति निर्माता और शोधकर्ता भी इन आंकड़ों की मदद से समाज की असमानताओं को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और अधिक प्रभावशाली समाधान तैयार कर सकेंगे.
AI के अनुसार किसे होगा नुकसान
AI का आकलन है कि जातिगत जनगणना से उन वर्गों को नुकसान हो सकता है जो अब तक अपनी जनसंख्या और प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते रहे हैं. सटीक आंकड़े सामने आने से उनकी विशेषाधिकार प्राप्त स्थिति पर असर पड़ सकता है. साथ ही, AI ने यह भी चेताया है कि अगर इन आंकड़ों का राजनीतिक दुरुपयोग हुआ तो समाज में जातिगत ध्रुवीकरण और तनाव बढ़ सकता है. वोट बैंक की राजनीति, जाति के आधार पर मतदाताओं को बांटना और समाज में विभाजन की भावना इससे गहरी हो सकती है.
AI का निष्कर्ष स्पष्ट है, जाति आधारित जनगणना एक ज़रूरी कदम हो सकता है अगर इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय और संतुलित विकास हो. लेकिन अगर इसका प्रयोग केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया तो यह देश की एकता और भाईचारे के लिए खतरा बन सकता है.
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