Elon Musk Starlink: भारत के सबसे दूर-दराज इलाकों को डिजिटल रूप से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के सैटेलाइट इंटरनेट प्रोजेक्ट स्टारलिंक को भारत में आधिकारिक मंजूरी मिल चुकी है. टेलीकॉम मंत्रालय द्वारा जारी यह लाइसेंस अब इसे भारत में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की अनुमति देता है. इसके साथ ही स्टारलिंक अब रिलायंस जियो और वनवेब जैसी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में उतरेगा.
स्टारलिंक कैसे काम करता है?
स्टारलिंक पारंपरिक फाइबर या मोबाइल टावरों पर निर्भर नहीं करता. यह धरती की निचली कक्षा (LEO) में मौजूद हजारों छोटे सैटेलाइट्स के जरिए सीधे यूज़र के घर या ऑफिस में लगे डिश एंटीना को इंटरनेट सिग्नल भेजता है. यह डिश फिर इंटरनेट को वाई-फाई राउटर के जरिए यूज़र तक पहुंचाता है.
अभी तक 6,000 से ज्यादा स्टारलिंक सैटेलाइट अंतरिक्ष में हैं और 2027 तक इसे 42,000 तक पहुंचाने का प्लान है. इसकी इंटरनेट स्पीड 50 से 250 Mbps के बीच हो सकती है जो ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है, बस साफ आसमान दिखना जरूरी है.
भारत को क्यों ज़रूरत है स्टारलिंक की?
हालांकि भारत सरकार कई सालों से भारतनेट जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए ग्रामीण ब्रॉडबैंड विस्तार पर काम कर रही है लेकिन लद्दाख, अरुणाचल, जम्मू-कश्मीर, अंडमान जैसे क्षेत्रों में कनेक्टिविटी अब भी कमजोर है. पहाड़, जंगल और द्वीपों में फाइबर या टावर लगाना महंगा और कठिन है. ऐसे में स्टारलिंक जैसे सिस्टम बिना ज़मीन के ढांचे पर निर्भर हुए तेज़ और स्थायी इंटरनेट देने में सक्षम हैं. आपातकालीन सेवाएं, सीमाई निगरानी, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन शिक्षा और ई-गवर्नेंस जैसी सुविधाओं में भी स्टारलिंक अहम भूमिका निभा सकता है.
गांवों के लिए डिजिटल लाइफलाइन
स्टारलिंक का असली असर गांवों और जनजातीय क्षेत्रों में देखने को मिलेगा जहां न बैंक हैं, न अस्पताल, और न ही अच्छी कनेक्टिविटी. टेलीमेडिसिन, डिजिटल शिक्षा, सरकारी योजनाओं की जानकारी और ऑनलाइन बैंकिंग जैसी सेवाएं अब इन जगहों तक पहुंच सकती हैं. सरकार इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत सब्सिडी देकर ग्रामीणों तक सस्ती दरों पर पहुंचाने की योजना पर भी विचार कर रही है.
क्या मिलेगा फ्री इंटरनेट?
फिलहाल स्टारलिंक के भारत में कीमत तय नहीं हुई है लेकिन अमेरिका और यूरोप में इसकी मंथली लागत 8,000-10,000 रुपये और हार्डवेयर किट (डिश + राउटर) करीब 50,000-60,000 रुपये तक होती है. भारत में कीमतें अपेक्षाकृत कम रखी जा सकती हैं, खासकर ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए.
डेटा सुरक्षा और भविष्य की राह
भारत सरकार ने डेटा लोकलाइजेशन के सख्त नियमों के तहत भारतीय यूज़र्स का डेटा भारत में ही स्टोर करने की शर्त रखी है. राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होगा. पहले 2021 में स्टारलिंक ने बिना लाइसेंस प्री-ऑर्डर लिए थे जिसे सरकार ने रोक दिया था. लेकिन अब सभी अनुमति मिलने के बाद 2025 से इसकी औपचारिक शुरुआत की जा रही है.
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