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UPI Payments
UPI का इस्तेमाल सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है। NPCI की मानें तो UPI पेमेंट करने वालों की संख्यां के साथ-साथ इसके जरिए होने वाले पेमेंट की संख्यां में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखने को मिली है। डिजिटल पेमेंट करने वाले ज्यादातर यूजर्स UPI को ही प्रिफरेंस दे रहे हैं। अपनी लोकप्रियता की वजह से UPI से जुड़े कई स्कैम भी सामने आ रहे हैं। ये स्कैम न सिर्फ आम यूजर के साथ किया जा रहा है, बल्कि स्कैमर्स मर्चेंट्स यानी UPI पेमेंट एक्सेपट करने वालों को भी चूना लगा रहे हैं।
अगर, कुछ बातों का ध्यान समय पर नहीं दिया गया, तो हैकर्स आपके साथ बड़ा फ्रॉड कर सकते हैं। डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ने और स्मार्टफोन के इस्तेमाल ने ऑनलाइन पेमेंट करने की प्रिफरेंस को पिछले कुछ साल में पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। ऑनलाइन पेमेंट की बढ़ती संख्यां की वजह से डिजिटल फ्रॉड भी बढ़ा है।
इन तरीकों से कर रहे फ्रॉड
पिछले कुछ समय में सामने आए मामलों पर गौर करें तो स्कैमर्स UPI ट्रांजैक्शन इंटरफेस वाला फर्जी ऐप इस्तेमाल कर रहे हैं। ये इंटरफेस देखने में इतने असली लगते हैं कि आप भी गच्चा खा सकते हैं। इसमें फर्जी ट्रांजैक्शन दिखाकर मर्चेंट्स को चूना लगाया जाता है। इसके अलावा ऑटोपे फीचर और QR कोड रिप्लेसमेंट जैसे भी तरीके स्कैमर्स अपना रहे हैं। हालांकि, आपके द्वारा बरती गई सतर्कता आपको इस तरह के स्कैम से बचा सकती है।
इन बातों का रखें ध्यान
आपके साथ भी इस तरह का फ्रॉड न हो, इसके लिए आपको हर ट्रांजैक्शन को UPI ऐप में जाकर वेरिफाई करना होगा। जैसे ही कोई आपको UPI के जरिए पेमेंट करता है, आप UPI ऐप ओपन करके उस ट्रांजैक्शन की जांच करें।
इसके अलावा आपको अपना बैंक अकाउंट भी रेगुलरली चेक करना होगा। आपको बैंक स्टेटमेंट के साथ हर ट्रांजैक्शन को मैच करना होगा। ऐसा करने से आपके साथ हुए किसी भी फ्रॉड को ट्रैक करने में मदद मिलेगी।
अगर, आप UPI मर्चेंट हैं तो आपको अपना QR कोड स्कैनर खुले एरिया में नहीं रखना चाहिए। खुले एरिया में रखे होने की वजह से स्कैमर्स उसके साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और अपने अकाउंट का QR स्कैनर रख सकते हैं। इस वजह से की जाने वाली हर UPI पेमेंट स्कैमर्स के अकाउंट में जाएगा।
इसके अलावा एक और बेहद जरूरी बात यह है कि आपको कम से कम UPI अकाउंट रखना है। ऐसा करने से आपको ट्रांजैक्शन वेरिफाई करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। मल्टीपल UPI अकाउंट होने की वजह से ट्रांजैक्शन को ट्रैक करने में दिक्कत आ सकती है।
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