चीन ने हाल ही में एक अनोखी और बड़ी योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत नागरिकों को अपने पुराने स्मार्टफोन, फ्रिज, टीवी, वाहन और यहां तक कि ट्रैक्टर को नए मॉडल से बदलने पर आकर्षक छूट और कैशबैक दिए जा रहे हैं. इस कदम का मकसद देश की धीमी पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना और टेक्नोलॉजी में तेज़ी से अपग्रेड करना है.
सरकार की इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को डायरेक्ट कैशबैक, ट्रेड-इन डिस्काउंट और नई सब्सिडी का लाभ मिल रहा है. इसमें स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टवॉच, टीवी, एसी, वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर जैसे कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के साथ पेट्रोल और इलेक्ट्रिक कारें, पब्लिक बसें, ट्रक और खेती में इस्तेमाल होने वाले वाहन भी शामिल हैं.
क्यों चलाया जा रहा है यह अभियान?
कोविड-19 महामारी के बाद चीन में घरेलू खर्च में भारी गिरावट देखी गई. लोग कम खर्च कर रहे थे, जिससे बाजारों में मांग घट गई थी. इसके चलते फैक्ट्रियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा था. अब सरकार इस अपग्रेड अभियान के ज़रिए लोगों को अधिक खरीदारी के लिए प्रेरित कर रही है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को फिर से गति मिल सके.
इस योजना के पीछे चीन का एक और बड़ा लक्ष्य है — 2025 तक देश की GDP में 5% की वृद्धि करना. साथ ही, पर्यावरण के लिहाज से भी यह योजना अहम है. सरकार हाई-एफिशियंसी वाले उपकरणों और इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज्यादा छूट दे रही है ताकि ऊर्जा की बचत हो और प्रदूषण कम किया जा सके.
किन चीज़ों पर मिल रही है सब्सिडी?
सरकार की इस योजना के तहत निम्नलिखित प्रोडक्ट्स को कवर किया गया है:
स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टवॉच
टीवी, एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन
पेट्रोल और इलेक्ट्रिक कारें, बसें, ट्रक, खेती के वाहन
औद्योगिक मशीने – मैन्युफैक्चरिंग, ऊर्जा और कृषि से जुड़ी मशीनरी
कितना पैसा खर्च कर रही है सरकार?
केंद्र और राज्य सरकारें इस योजना पर मिलकर 42 बिलियन डॉलर (लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये) तक खर्च कर रही हैं. इसमें कुछ प्रोडक्ट्स पर 20% तक की छूट (अधिकतम ¥2,000 यानी लगभग ₹23,000) और पुरानी कारों की जगह नई कार खरीदने पर ¥20,000 (लगभग ₹2.3 लाख) तक की सब्सिडी दी जा रही है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर छूट इससे भी ज्यादा हो सकती है.
योजना के शुरुआती नतीजे
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2024 के अंत तक घरेलू अप्लायंसेस की बिक्री में 33% और आईटी डिवाइसेज़ की बिक्री में 14% की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इससे संकेत मिलते हैं कि यह योजना असरदार साबित हो रही है. अनुमान है कि 2025 में इस योजना के चलते $137 बिलियन से ज्यादा की नई रिटेल बिक्री हो सकती है.
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