Trump U-turn On Tariff Policy: ट्रंप सरकार ने बड़ा यू-टर्न लेते हुए अपनी टैरिफ नीति में अहम बदलाव कर दिया है. अब स्मार्टफोन, लैपटॉप, हार्ड ड्राइव, फ्लैट-पैनल मॉनिटर और कुछ चिप्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों को टैरिफ के दायरे से बाहर कर दिया गया है. इससे Apple और Samsung जैसी बड़ी टेक कंपनियों को तगड़ा फायदा होगा.
यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन के अनुसार, इन आइटम्स पर अब चीन के लिए 145% और अन्य देशों के लिए 10% का बेस लाइन टैरिफ नहीं लगेगा. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बाजार में महंगाई को लेकर असंतोष बढ़ रहा था.
कंपनियों के दबाव में लिया गया यू-टर्न? जानकारों का मानना है कि यह फैसला कंपनियों के दबाव और संभावित आर्थिक मंदी को देखते हुए लिया गया है. 90% से अधिक iPhones चीन में बनते हैं और टैरिफ के चलते इनकी कीमतें अमेरिका में दोगुनी हो सकती थीं. इसी डर के चलते उपभोक्ताओं और कंपनियों दोनों में बेचैनी थी. हालांकि ट्रंप सरकार ने इस बदलाव को “डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने” की दिशा में उठाया कदम बताया है, लेकिन यह भी साफ हो गया है कि अमेरिका अभी भी एशिया पर सप्लाई चेन के लिए निर्भर है और इसे रातों-रात बदलना संभव नहीं.
ट्रंप की टैरिफ नीति का अब तक का सफरडोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद से “अमेरिकी निर्माण को बढ़ावा” देने के एजेंडे पर जोर दिया. उन्होंने चीन पर 145%, भारत पर 26% और अन्य देशों पर भारी टैरिफ लागू किए. इन टैरिफ का मकसद अमेरिका में उत्पादन को बढ़ावा देना और नौकरियां पैदा करना था, लेकिन चीन ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका से आने वाले सामान पर 84% टैरिफ लगाया. यह “ट्रेड वॉर” अब वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, जिससे महंगाई और अस्थिरता बढ़ी है.
क्या अब स्मार्टफोन होंगे सस्ते?फिलहाल ऐसा लगता है कि स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद महंगे नहीं होंगे. टैरिफ छूट के बाद इनकी कीमतों पर तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि स्थिति अभी भी अस्थिर है और किसी भी समय नई घोषणाएं हो सकती हैं. इस बीच अमेरिका में ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं. लोग मानते हैं कि इस तरह की नीतियां उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं.
बता दें कि ट्रंप प्रशासन का ये यू-टर्न टेक इंडस्ट्री के लिए राहत भरा है. स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे उत्पादों पर टैरिफ न लगने से उपभोक्ताओं को कीमतों में बढ़ोतरी का डर नहीं रहेगा,लेकिन नीति में अस्थिरता बनी हुई है, और भविष्य में नए टैरिफ या बदलाव की पूरी संभावना है.
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