क्या AI हमें बना रहा है आलसी और बेवकूफ़? सच जानकर आप चौंक जाएंगे!

Must Read

AI: हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट और कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन जारी किया जिसमें यह पाया गया कि वर्कप्लेस पर जनरेटिव AI के इस्तेमाल से लोगों की सोचने-समझने की क्षमता (क्रिटिकल थिंकिंग) पर क्या असर पड़ रहा है. शोध में साफ कहा गया है कि “अगर तकनीक का सही तरीके से इस्तेमाल न हो तो यह हमारे दिमागी कौशल को नुकसान पहुंचा सकती है, खासकर वो कौशल जो समय के साथ मजबूत होने चाहिए.”

AI लोगों को बना रही आलसी

दरअसल, जब लोग काम के दौरान AI पर ज्यादा निर्भर हो जाते हैं तो उनका फोकस समाधान खोजने या चीज़ों का विश्लेषण करने से हटकर सिर्फ यह देखने में लग जाता है कि AI का जवाब इस्तेमाल करने लायक है या नहीं. इससे इंसानों को रोज़ाना निर्णय लेने और सोचने के मौके नहीं मिलते जिससे उनकी दिमागी ताक़त कमजोर पड़ने लगती है. मतलब, AI के ज्यादा भरोसेमंद होने से हम खुद समस्याएं हल करना भूल सकते हैं.

रिसर्च में शामिल हुए 319 लोग

जानकारी के अनुसार, इस रिसर्च में 319 लोगों को शामिल किया गया जो हफ्ते में कम से कम एक बार जनरेटिव AI का इस्तेमाल करते थे. इनसे पूछा गया कि वे AI का किस तरह इस्तेमाल करते हैं जैसे ईमेल लिखना, किसी टॉपिक पर रिसर्च करना या किसी डेटा को चार्ट में बदलना आदि. इसके बाद उनसे यह भी पूछा गया कि क्या ऐसे टास्क करते वक्त वे स्वयं सोचने की मेहनत करते हैं या AI के भरोसे रहते हैं?

करीब 36% प्रतिभागियों ने माना कि वे AI से आने वाले संभावित जोखिमों को ध्यान में रखकर खुद भी सोचते हैं. एक प्रतिभागी ने बताया कि उन्होंने ChatGPT से परफॉर्मेंस रिव्यू तैयार कराया लेकिन डर था कि कहीं कोई गलती न हो जाए इसलिए उन्होंने पूरी तरह से खुद जांच की. एक और ने बताया कि उन्हें AI से तैयार ईमेल को संपादित करना पड़ा ताकि बॉस को सही से सब समझ आ सके. कई लोगों ने AI के जवाबों को YouTube और Wikipedia जैसी वेबसाइटों से क्रॉस-चेक भी किया जिससे AI की उपयोगिता ही सवालों में घिर गई.

क्या एआई हमें बना रहे बेवकूफ

शोध में यह भी पाया गया कि जो लोग AI पर ज्यादा भरोसा करते हैं वे कम सोचते हैं जबकि जो अपनी सोचने की क्षमता पर भरोसा करते हैं वे AI के जवाबों को ज़्यादा गंभीरता से जांचते हैं. हालांकि शोधकर्ता ये नहीं कहते कि AI हमें “बेवकूफ़” बना रहा है लेकिन वे इस बात पर ज़रूर जोर देते हैं कि अगर हम AI पर अंधा भरोसा करने लगें तो हमारी खुद की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो सकती है.

यह भी पढ़ें:

20,000 से कम में मिल रहे हैं ये 5 धमाकेदार स्मार्टफोन! 7000mAh की तगड़ी बैटरी और फास्ट चार्जिंग के साथ मिलेगी जबरदस्त परफॉर्मेंस गारंटी

tech news, technology news, hindi tech news, tech news hindi, hindi news today, tech hindi news today, hindi news , latest news hindi, breaking news, oxbig hindi news, hindi news today, oxbig news, oxbig news network

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -