भारत-पाकिस्तान सीमा पर हालात फिर से गर्म होता नजर आ रहा है. ऐसे में सरकार और सुरक्षा एजेंसियां हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी में जुट गई हैं. इन तैयारियों का एक अहम हिस्सा है ‘वॉर सायरन’ यानी युद्ध की चेतावनी देने वाला खास सायरन.
कई शहरों और राज्यों में अब मॉक ड्रिल के जरिए लोगों को इस सायरन की पहचान करवाई जा रही है. ताकि जब देस में युद्ध जैसी स्थिति आए तो लोगों को पता हो कि क्या करना है. हालांकि सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये सायरन होता कैसा है और क्या मोबाइल फोन पर भी वॉर अलर्ट मिलेगा?
कैसे बजता है वॉर सायरन?
वॉर सायरन कोई आम सायरन नहीं होता. ये एक बहुत तेज और दूर तक सुनाई देने वाला अलार्म सिस्टम होता है. इसकी आवाज लगभग 120 से 140 डेसिबल तक की होती है, यानी इतना तेज कि यह 2 से 5 किलोमीटर की दूरी तक सुनी जा सकती है.
इसकी आवाज न तो एंबुलेंस की तरह होती है और न ही फायर ब्रिगेड जैसी. ये खास तरह की लगातार बजने वाली तेज आवाज होती है, जो लोगों को तुरंत सतर्क कर देती है.
क्यों बजाया जाता है युद्ध सायरन?
जब किसी देश में युद्ध जैसी स्थिति बनती है या दुश्मन देश की तरफ से ‘हवाई हमले का खतरा’ होता है, तब यह सायरन बजाया जाता है. इसका मकसद होता है लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की चेतावनी देना.
इसके अलावा, यह सायरन सिविल डिफेंस (नागरिक सुरक्षा), ब्लैकआउट ड्रिल्स और कंट्रोल रूम की प्रतिक्रिया की जांच के लिए भी बजाया जाता है.
क्या मोबाइल पर भी आएगा अलर्ट?
अब सवाल ये उठता है कि क्या ये चेतावनी सिर्फ सायरन से ही मिलेगी या लोगों के मोबाइल फोन पर भी वॉर अलर्ट भेजा जाएगा?
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भविष्य में ‘मोबाइल नेटवर्क के जरिए भी वॉर अलर्ट भेजने की योजना’ पर काम किया जा रहा है. जैसे हम भूकंप, बाढ़ या मौसम की चेतावनियां SMS या ऐप्स से पाते हैं, वैसे ही वॉर अलर्ट भी भेजे जा सकते हैं. हालांकि अभी तक यह सुविधा हर राज्य में पूरी तरह से शुरू नहीं हुई है, लेकिन टेस्टिंग जरूर हो रही है.
वॉर सायरन बजे तो क्या करें?
- अगर कभी वॉर सायरन बजे, तो घबराएं नहीं, बल्कि इन बातों का ध्यान रखें:
- तुरंत खुले इलाकों से हट जाएं और सुरक्षित जगह की ओर बढ़ें.
- कोशिश करें कि 5 से 10 मिनट में किसी सेफ लोकेशन पर पहुंच जाएं.
- रेडियो, टीवी या मोबाइल पर सरकारी अलर्ट ध्यान से सुनें.
- कोई अफवाह ना फैलाएं और दूसरों को भी सतर्क करें.
कहां हो रही हैं तैयारियां?
मुंबई के दादर, श्रीनगर की डल झील, गुजरात और कई अन्य शहरों में मॉक ड्रिल्स हो रही हैं. इनका मकसद है कि लोग समय रहते समझ सकें कि अगर ऐसा वक्त आया तो क्या करना है और कैसे अपनी जान बचानी है.
क्यों जरूरी है जागरूकता?
आजकल जब जंग सिर्फ मैदान पर नहीं बल्कि आसमान और तकनीक के जरिए भी लड़ी जाती है, तो लोगों का सतर्क रहना बहुत जरूरी है. वॉर सायरन एक ऐसा टूल है जो वक्त रहते सतर्क करता है. अगर जनता तैयार रहेगी, तो किसी भी आपात स्थिति में नुकसान कम होगा.
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