ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया की नींद उड़ा दी है. इजरायल के ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के जवाब में ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों की बारिश कर दी. लेकिन इस सबके बीच एक नई और कहीं ज्यादा खतरनाक तकनीक की चर्चा होने लगी है – हाइपरसोनिक मिसाइल. इतनी तेज कि यह आवाज की रफ्तार से 20 गुना तेज उड़ सकती है. सोचिए, कोई हथियार जो दुश्मन तक पहुँचने में बस कुछ मिनट ले और रोक पाना तकरीबन नामुमकिन हो – कितना खतरनाक हो सकता है!
क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल?
हाइपरसोनिक मिसाइल वो हथियार है जिसकी गति Mach 5 (आवाज की गति से 5 गुना) से ज्यादा होती है. कुछ हाइपरसोनिक मिसाइलें Mach 20 यानी करीब 25,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती हैं. तुलना के लिए समझें – एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) आमतौर पर इतनी ही रफ्तार से उड़ती है, लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइल का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये केवल तेज नहीं, बल्कि बहुत ही चतुराई से रास्ता भी बदल सकती है.
हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक में फर्क क्या है?
बैलिस्टिक मिसाइलें एक तय रास्ते पर चलती हैं, ऊपर जाती हैं, वायुमंडल से बाहर जाती हैं और फिर गुरुत्वाकर्षण से नीचे गिरती हैं. जबकि हाइपरसोनिक मिसाइलें वायुमंडल के भीतर ही चलती हैं और दिशा बदलने में माहिर होती हैं. मतलब, दुश्मन को आखिरी समय तक ये अंदाज़ा नहीं लग सकता कि हमला कहाँ होगा.
क्यों है ये इतना खतरनाक?
- बहुत तेज रफ्तार: Mach 20 यानी हर सेकंड में 6-7 किलोमीटर की रफ्तार!
- रडार से बच निकलती है: इसकी तेज़ी और दिशा बदलने की क्षमता इसे रडार की पकड़ से दूर कर देती है.
- कम समय में हमला: जैसे ईरान से इजरायल की दूरी 2000 किमी है, तो हाइपरसोनिक मिसाइल ये दूरी 4-5 मिनट से भी कम में तय कर सकती है.
- जवाब देने का वक्त नहीं: इतनी कम समय में दुश्मन के पास रिएक्ट करने का मौका भी नहीं रहता.
ईरान ने दिखाई मंशा
ईरान ने अपने जवाबी हमले में जनरल कासिम सुलेमानी के नाम पर एक नई बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है. जानकार मानते हैं कि अगर ईरान भविष्य में हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक को अपनाता है, तो इसका असर सिर्फ इजरायल तक सीमित नहीं रहेगा – पूरा मिडल ईस्ट उसकी रेंज में आ जाएगा.
क्या दुनिया इसके लिए तैयार है?
अब तक बहुत कम देश हैं जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक है – अमेरिका, रूस, चीन, और कुछ हद तक भारत और उत्तर कोरिया. अगर ईरान जैसी अस्थिर राजनीति वाला देश इस तकनीक तक पहुँचता है, तो ये वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
चीन की भूमिका: शांति या रणनीति?
जैसे-जैसे हालात बिगड़ रहे हैं, चीन ने खुद को एक “शांतिदूत” के तौर पर पेश किया है. उसने कहा है कि वो ईरान और इजरायल के बीच सुलह करवाने को तैयार है. लेकिन जानकारों का मानना है कि चीन खुद भी हाइपरसोनिक मिसाइलों की रेस में आगे है और उसकी रणनीति सिर्फ शांति नहीं, ताकत के संतुलन को अपने पक्ष में करना भी हो सकती है.
हाइपरसोनिक मिसाइलें आज की सबसे घातक तकनीक बन चुकी हैं. जहां बैलिस्टिक मिसाइलें अब तक के युद्धों की धुरी रही हैं, वहीं हाइपरसोनिक हथियार भविष्य के युद्धों को परिभाषित करेंगे. ईरान-इजरायल के बीच चल रहा संघर्ष शायद इस नई तकनीक के इस्तेमाल का पहला बड़ा मैदान बन जाए. और अगर ऐसा हुआ, तो तबाही की वो तस्वीर होगी जिसे रोक पाना शायद किसी के बस में नहीं रहेगा.
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