दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल को देखने के लिए दुनियाभर के लोग आते हैं. इसका निर्माण 1632 में शुरू हुआ था. तब ऐसा कोई जरिया नहीं था, जिससे इसके निर्माण की प्रक्रिया को दुनिया को दिखाया जा सके, लेकिन AI आने के बाद अब यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय निर्माण प्रक्रिया कैसे रही होगी. इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि ताजमहल का निर्माण कैसे हुआ होगा.
AI जनरेटेड वीडियो में दिखाई जा रही निर्माण प्रक्रिया
Instagram पर शेयर किए जा रहे इस वीडियो को डिजिटल रिक्रिएशन टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया गया है. इस वीडियो में AI की मदद से दिखाया गया है कि निर्माण के दौरान कैसा माहौल रहा होगा और कैसे मजदूर एक साथ जुटकर पत्थर तोड़ते थे. वीडियो में ताजमहल का निर्माण लगभग पूरा दिखाया गया है और मीनारों का निर्माण किया जा रहा है. यह बात ध्यान रखने वाली है कि यह AI से जनरेटेट वीडियो है. इसमें तथ्यों की सटीकता का दावा नहीं किया जा सकता.
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सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे कई वीडियो
बता दें कि सोशल मीडिया पर इस तरह के अलग-अलग वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. ताजमहल की निर्माण प्रक्रिया के कई AI-जनरेटेड वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इसी तरह गीजा के पिरामिड और चीन की दीवार समेत दूसरे अजूबों के AI-जनरेटेड वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. कई लोग इन्हें सच मानकर भी शेयर कर रहे हैं. हालांकि, AI के आने के बाद असली और AI से बने वीडियो में अंतर कर पाना मुश्किल हो गया है.
कैसे पहचानें AI से बने वीडियो?
AI वीडियो की पहचान करने के उसे गौर से देखना जरूरी है. अगर वीडियो में कोई बात कर रहा है तो उसे चेहरे के भाव और होंठो की हरकत पर नजर रखें. AI वीडियो होगा तो इनमें कुछ गड़बड़ नजर आ जाएगी. वीडियो के बैकग्राउंड और इसमें नजर आने वाली छाया पर ध्यान दें. इनमें आसानी से गड़बड़ का पता लगाया जा सकता है.
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