आजकल हर कहीं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का बोलबाला है. कंपनियों में ग्राहकों के सवालों का जवाब देना हो या हाथ में लिए स्मार्टफोन में कोई इमेज बनाना, हर जगह AI काम कर रही है. AI के इस रुप से अधिकतर लोग परिचित हो चुके हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि AI को सोने की जरूरत पड़ती है. विशेषज्ञों का कहना है कि AI के विकास के साथ-साथ इस कीमती धातु की भी मांग बढ़ती जाएगी.
AI को सोना क्यों चाहिए?
AI सिस्टम के लिए एडवांस हार्डवेयर की जरूरत होती है. इनमें प्रोसेसर, मेमोरी कार्ड और सेंसर आदि शामिल हैं और इन सबको सोने की जरूरत होती है. दरअसल, सोने की कंडक्टिविटी के कारण तेज स्पीड से डेटा को प्रोसेस और ट्रांसमिट करना आसान होता है. इसके साथ ही सोने में जंग नहीं लगती. इसके कारण ये हार्डवेयर लंबे समय तक चलते हैं. पिछले कुछ समय से स्मार्टफोन और ऑटोनॉमस वाहनों आदि AI-पावर्ड डिवाइसेस के इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेट में सोने की मांग बढ़ी है.
बढ़ती जाएगी डिमांग
AI के विस्तार को देखते हुए सोने की मांग में और इजाफा होने की उम्मीद है. 2024 की पहली तिमाही में इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में सोने का इस्तेमाल सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़ते हुए 64.4 टन पर पहुंच गया था. बढ़ोतरी के पीछे की बड़ी वजह AI से संबंधित टेक्नोलॉजी थींं. इससे पहले 2023 में पूरे साल के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स में 249 टन की खपत हुई थी. इस साल भी आखिरी तिमाही में सोने की मांग मे बढ़त देखी गई थी.
इस साल इतनी हो जाएगी मांग
डेटा सेंटर, GPU, स्मार्टफोन और ऑटोनोमस व्हीकल्स में AI के बढ़ते इस्तेमाल के चलते इस साल इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में सोने की मांग 260-270 टन के बीच रह सकती है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस सेक्टर में सोने की खपत बढ़ती रहेगी और आगे चलकर मांग में और इजाफा देखने को मिल सकता है. आमतौर पर देखा जाता है कि किसी वस्तु की मांग बढ़ने पर उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. ऐसे में सोना की कीमतों पर भी AI का असर पड़ सकता है.
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