China New Weapon: चीन ने हथियार तकनीक के क्षेत्र में एक ऐसा कदम उठाया है जिसने दुनिया को चौंका दिया है. चीन की स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन (CSSC) ने एक बिल्कुल नई हाइड्रोजन आधारित विस्फोटक तकनीक का सफल परीक्षण किया है. खास बात ये है कि यह पारंपरिक हाइड्रोजन बम की तरह परमाणु संलयन (न्यूक्लियर फ्यूज़न) पर नहीं बल्कि एक खास रासायनिक प्रक्रिया पर आधारित है जिसमें मैग्नीशियम हाइड्राइड (Magnesium Hydride) का इस्तेमाल होता है.
बेहद हल्का, लेकिन बेहद ताकतवर
यह नया डिवाइस सिर्फ 2 किलोग्राम वजनी है लेकिन इसकी क्षमताएं चौंकाने वाली हैं. जब इसे सामान्य विस्फोटक से ट्रिगर किया जाता है तो मैग्नीशियम हाइड्राइड तेजी से गर्म होकर हाइड्रोजन गैस छोड़ता है. यह गैस हवा के संपर्क में आते ही भड़क उठती है और 1000°C से अधिक तापमान वाली आग की दीवार खड़ी कर देती है जो कि TNT से कई गुना ज़्यादा गर्म है.
CSSC के वैज्ञानिक वांग शुएफेंग के मुताबिक, “हाइड्रोजन गैस बेहद कम ऊर्जा में जलती है, इसका विस्फोट क्षेत्र बड़ा होता है और इसकी लपटें बड़ी तेजी से फैलती हैं.” इसका मतलब है कि यह डिवाइस ऐसे मटेरियल को भी चीर सकता है जैसे एल्यूमीनियम अलॉय. सैन्य अभियानों में यह दुश्मन के ठिकानों को सटीकता से नष्ट करने में बेहद कारगर हो सकता है.
परीक्षण के नतीजे
मौके पर किए गए परीक्षण में यह डिवाइस 2 मीटर की दूरी पर 428.43 किलोपास्कल तक का ओवरप्रेशर पैदा करने में सक्षम रहा जो कि TNT विस्फोटक की तुलना में करीब 40% प्रभाव रखता है. लेकिन इसकी असली ताकत इसकी लगातार जलने वाली गर्मी में है जो सामान्य बम की एक झटके वाली लहर से बिल्कुल अलग है.
यह डिवाइस दो सेकंड तक अत्यधिक तापमान पर जलता है, जिससे बड़े क्षेत्र में अधिक नुकसान किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल दुश्मन की पावर ग्रिड, संचार केंद्र और सड़क नेटवर्क को सटीकता से तबाह करने में किया जा सकता है, जिससे दुश्मन की रणनीति कमजोर हो जाए.
मैग्नीशियम हाइड्राइड
पहले तक यह पदार्थ बेहद सीमित मात्रा में बनता था क्योंकि यह काफी प्रतिक्रियाशील (reactive) होता है. लेकिन अब चीन ने शांक्सी प्रांत में एक नया प्लांट शुरू किया है जो हर साल 150 टन मैग्नीशियम हाइड्राइड तैयार कर सकता है. यह मुमकिन हुआ है डालियान इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल फिजिक्स की नई “वन-पॉट सिंथेसिस” तकनीक से जो इसे सस्ता और सुरक्षित बनाती है. यही सामग्री अब सिर्फ विस्फोटकों तक सीमित नहीं है, इसका इस्तेमाल सबमरीन के फ्यूल सेल्स और लंबे समय तक उड़ान भरने वाले ड्रोन्स में भी किया जा रहा है.
तनावों के बीच चीन का सैन्य आधुनिकीकरण
यह परीक्षण ऐसे समय पर हुआ है जब चीन और ताइवान के बीच तनाव चरम पर है. अमेरिका द्वारा ताइवान को समर्थन और सैन्य सहयोग दिए जाने के बाद, यह तकनीक चीन के लिए रणनीतिक जवाब साबित हो सकती है. चीन अब अपनी सेना को पारंपरिक हथियारों से हटाकर क्लीन एनर्जी आधारित आधुनिक हथियारों की ओर ले जा रहा है. हाल ही में उसके युद्धपोतों में इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम शामिल किए गए हैं और 2023 में उसने दुनिया का पहला मीथेन-ईंधन रॉकेट भी लॉन्च किया.
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