चीन के पास हैं इस नई तकनीक पर काम करने वाले परमाणु हथियार! क्या ईरान से भी बड़ा खतरा है ड्रैगन?

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China Weapons: दुनिया भर में अमेरिका, रूस और उत्तर कोरिया की बढ़ती परमाणु ताकतों के बीच अब चीन भी तेजी से इस दौड़ में आगे बढ़ रहा है. जहां पहले चीन अपेक्षाकृत सीमित परमाणु शक्ति के तौर पर देखा जाता था, वहीं अब पेंटागन और कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के मुताबिक ड्रैगन के पास अनुमानित रूप से 600 से ज्यादा परमाणु हथियार मौजूद हैं. इतना ही नहीं, यह संख्या 2030 तक 1,000 वारहेड्स के पार जा सकती है.
3 साल में 320 से ज्यादा मिसाइल साइलो तैयार
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने अपने परमाणु ढांचे को बड़ी ही तेजी से विस्तार दिया है. अब तक उसने 320 से अधिक ठोस ईंधन वाले इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) साइलो तैयार किए हैं. इसके अलावा DF-5 जैसी तरल ईंधन वाली मिसाइलों के लिए भी नए साइलो बनाए गए हैं. यह विस्तार चीन के उस रणनीतिक मकसद की ओर इशारा करता है जिसमें वह अमेरिका और रूस जैसी परमाणु महाशक्तियों की बराबरी करना चाहता है.
नई मिसाइलें
चीन ने अपनी मध्यम दूरी की DF-26 मिसाइल क्षमता को तेजी से बढ़ाया है जो अब DF-21 की जगह ले रही है. इसके अलावा चीन ने अपने कुछ बॉम्बर्स को परमाणु मिशन के लिए तैयार किया है, जिनमें एयर-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल हैं. इससे साफ होता है कि चीन अब ज़मीनी, हवाई और समुद्री – तीनों माध्यमों से परमाणु हमले की रणनीति यानी न्यूक्लियर ट्रायड को सशक्त बना रहा है.
यूरेनियम और प्लूटोनियम का बड़ा भंडार
चीन के पास करीब 14 टन उच्च समृद्ध यूरेनियम (HEU) और 2.9 टन प्लूटोनियम का भंडार है, जो भविष्य में परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही गांसु प्रांत में चीन ने अपने पहले प्लूटोनियम पुनःसंसाधन संयंत्र का निर्माण भी पूरा कर लिया है, जो 2025 तक चालू हो सकता है.
पारदर्शिता की भारी कमी, चिंता की बात
चीन का परमाणु कार्यक्रम जितनी तेज़ी से बढ़ रहा है, उतनी ही कमी है पारदर्शिता में. वह न तो सार्वजनिक रूप से परीक्षणों की जानकारी देता है, न ही सटीक आंकड़े साझा करता है. यह अस्पष्टता वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है, क्योंकि गलती से हुए परमाणु युद्ध की आशंका “Launch-on-Warning” नीति के तहत और भी बढ़ जाती है.
वैश्विक शक्ति संतुलन की दिशा में बदलाव
अगर चीन इसी गति से परमाणु हथियार तैयार करता रहा, तो 2030 तक वह अमेरिका और रूस के साथ खड़ा हो सकता है. यह सिर्फ सैन्य शक्ति का मुद्दा नहीं है, बल्कि इससे राजनयिक, सामरिक और वैश्विक संतुलन में भी बड़ा बदलाव आ सकता है.
भारत के लिए बढ़ती चुनौती
भारत, जिसने “No First Use” नीति अपनाई है, के पास फिलहाल लगभग 160 परमाणु हथियार हैं. जबकि पाकिस्तान और चीन दोनों के पास इससे ज्यादा जखीरा है. SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास 160 और चीन के पास करीब 320 हथियार हैं. चीन की पारदर्शिता की कमी और बढ़ता जखीरा भारत के लिए रणनीतिक रूप से एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.

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