Last Updated:June 24, 2025, 13:31 ISTMosquito-Sized Micro Drone- चीन ने एक मच्छर जितना छोटा ड्रोन बनाया है. दुनिया में अब माइक्रोबॉटिक्स जोर पकड़ रही है. सुक्ष्म ड्रोन से लेकर चिकित्सा उपकरण बनाने में कई देश जुटे हैं. नॉर्वे पहले ही “ब्लैक हॉरन…और पढ़ेंड्रोन में सेंसर, पावर डिवाइस, नियंत्रण सर्किट और अन्य तकनीकी घटक जोड़े गए हैं.हाइलाइट्सयह माइक्रो ड्रोन लगभग 1.3 से 2 सेंटीमीटर लंबा है.इसकी बनावट और उड़ान मच्छर जैसी ही है.इसे स्मार्टफोन के ज़रिए नियंत्रित किया जा सकता है.नई दिल्ली. सैन्य अभियानों में अब ड्रोन का महत्व लगातार बढता ही जा रहा है. ड्रोन का इस्तेमाल जासूसी के साथ ही हमले करने में भी हो रहा है. यूक्रेन ने रूस के एक सैन्य ठिकाने पर ड्रोन से हमला कर पूरी दुनिया को पिछले दिनों चौंका दिया था. ड्रोन की बढती अहमियत से अब हर देश ड्रोन बनाने में जुटा है. चीन ने अब एक सुक्ष्म ड्रोन तैयार किया है, जिसका आकार एक मच्छर जितना है. इसे चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी (NUDT) ने बनाया है.साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह ड्रोन लगभग 1.3 से 2 सेंटीमीटर लंबा, 3 सेंटीमीटर विंगस्पैन वाला और मात्र 0.3 ग्राम वज़नी है. इसकी बनावट और उड़ान मच्छर जैसी ही है. इसमें बायोनिक पंख और बाल जैसी पतली टांगे हैं, जो इसे लगभग अदृश्य और बेहद चुपके से काम करने में सक्षम बनाती है. इस ड्रोन को स्मार्टफोन के ज़रिए नियंत्रित किया जा सकता है. यह माइक्रोड्रोन बिल्कुल भी आवाज नहीं करता है. यह संकरी जगहों से गुजर सकता है और रडार को भी चकमा दे सकता है.
इंजीनियरिंग का अजूबा है यह माइक्रो ड्रोन
चीन के टीवी चैनल, CCTV-7 पर इस माइक्रोड्रोन का एक वीडियो हाल ही में प्रसारित किया गया था. वीडियों में इस ड्रोन को यूनिवर्सिटी के छात्र लियांग हेशियांग को अपनी दो उंगलियों के बीच पकड़ते हुए दिखाया गया. हेशियांग ने बताया कि यह एक मच्छर जैसा बायोनिक रोबोट है, जो युद्ध के मैदान में सूचना एकत्र करने और विशेष अभियानों के लिए उपयुक्त है. ड्रोन में सेंसर, पावर डिवाइस, नियंत्रण सर्किट और अन्य तकनीकी घटक जोड़े गए हैं जो बेहतरीन नैनो इंजीनियरिंग का एक नमूना है. इसके निर्माण में माइक्रो डिवाइस इंजीनियरिंग, मटीरियल साइंस और बायोनिक्स जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों का सहयोग लिया गया.
जोर पकड़ रही है माइक्रोबॉटिक्स
दुनिया में अब माइक्रोबॉटिक्स जोर पकड़ रही है. सुक्ष्म ड्रोन से लेकर चिकित्सा उपकरण बनाने में कई देश जुटे हैं. नॉर्वे पहले ही “ब्लैक हॉरनेट” नामक सूक्ष्म ड्रोन बना चुका है. इसका आकार एक व्यक्ति की हथेली जितना है. यह हेलीकॉप्टरनुमा ड्रोन है, जिसे सेना के जवान निगरानी के लिए उपयोग करते हैं. इसमें कैमरा और सेंसर लगे हैं. इसके नवीनतम संस्करण, ब्लैक हॉरनेट 4 को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने Blue UAS Refresh Award से सम्मानित किया है. 2019 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने “RoboBee” नामक माइक्रोड्रोन पर काम शुरू किया था.
2021 में अमेरिकी वायु सेना ने भी सूक्ष्म ड्रोन तैयार करने की बात कही थी. हालांकि तब से अब तक इस तकनीक के पूर्ण विकास या इस्तेमाल को लेकर कोई नई जानकारी सामने नहीं आई है. माइक्रोबॉटिक्स का क्षेत्र केवल सैन्य इस्तेमाल तक ही सीमित नहीं है. चिकित्सा विज्ञान में भी माइक्रो और नैनोरोबोटिक्स का प्रयोग थेरैपी, सर्जरी और मेडिकल इमेजिंग जैसे क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है.Location :New Delhi,New Delhi,Delhihometechचीन का नया जासूस है ये उड़ता ‘मच्छर’, बिना नजर आए ले लेगा चप्पे-चप्पे की टोह
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