Recharge Plan
Airtel, Jio और Vodafone Idea ने जुलाई में अपने रिचार्ज प्लान महंगे कर दिए हैं। इसके बाद से कई यूजर्स ने सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL की तरफ रूख किया है। हालांकि, अब प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां यूजर्स को ‘गुड न्यूज’ देने की तैयारी में हैं। सामने आ रही रिपोर्ट के मुताबिक, निजी टेलीकॉम कंपनियों ने इसके लिए सरकार से गुजारिश की है। अगर, निजी कंपनियों की डिमांड पूरी हो जाती है, तो रिचार्ज प्लान दोबारा से सस्ते होने की संभावना बन सकती है।
टेलीकॉम कंपनियों की सरकार से मांग
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने टेलीकॉम कंपनियों की तरफ से सरकार से लाइसेंस फीस को कम करने की मांग रखी है। टेलीकॉम कंपनियों को रिप्रजेंट करने वाली संस्था ने सरकार से लाइसेंस फीस में 0.5 प्रतिशत से लेकर 1 प्रतिशत तक कटौती करने की मांग रखी है। टेलीकॉम ऑपरेटर्स का कहना है कि लाइसेंस फीस कम होने पर नेटवर्क का अपग्रेडेशन और एक्सपेंशन आसान हो सकता है।
COAI ने बताया कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स डिजिटल नेटवर्क को अपग्रेड करने के लिए लगातार काम कर रही हैं। अभी टेलीकॉम कंपनियों की तरफ से कुल 8 प्रतिशत लाइसेंस फीस दिया जाता है, जिसमें 5 प्रतिशत नेटवर्क ऑब्लिगेशन चार्ज होता है। टेलीकॉम ऑपरेटर्स का कहना था कि पहले जब लाइसेंस फीस को स्पेक्ट्रम के साथ जोड़ा गया था, तो इसके लिए फीस लेना उचित था, लेकिन 2012 में इसे स्पेक्ट्रम से अलग कर दिया गया। अब स्पेक्ट्रम को पारदर्शी और खुली नीलामी प्रक्रिया की तरह से आवंटित किया जा रहा है।
दे रहे ज्यादा लाइसेंस फीस
COAI के महानिदेशक एसपी कोचर ने कहा कि स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग करने और उसे बाजार मूल्य पर आवंटित करने के बाद लाइसेंस फीस लगाने का औचित्य बहुत पहले खत्म हो गया था। लाइसेंस शुल्क, अधिकतम केवल लाइसेंस के प्रशासनिक खर्च को कवर करने के लिए लेना चाहिए, जो कुल राजस्व का 0.5 प्रतिशत से 1 प्रतिशत तक है, जबकि टेलीकॉम कंपनियां 8 प्रतिशत तक लाइसेंस फीस दे रही हैं।
वहीं, टेलीकॉम ऑपरेटर्स का कहना है कि अगर सरकार और दूरसंचार नियामक इस मांग को मान लेते हैं तो इससे इंडस्ट्री को लाभ मिल सकता है। हाल में आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस में टेलीकॉम कंपनियों के कुछ अधिकारियों ने इसका जिक्र भी किया था। इस समय टेलीकॉम कंपनियां AGR राशि के भुगतान के अलावा CSR, GST और कार्पोरेट टैक्स रही हैं, जो टेलीकॉम इंडस्ट्री की कंपनियों को अन्य बिजनेस के मुकाबले काफी नुकसान पहुंचाता है, जिससे तकनीकी अपग्रेडेशन में इन्वेस्ट करने के लिए उनके पास फंड लिमिटेड हो जाता है।
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