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5G स्पेक्ट्रम
Airtel, Jio और Vodafone Idea (Vi) ने सरकार से अतिरिक्त 5G स्पेक्ट्रम की मांग की है। टेलीकॉम कंपनियों ने मोबाइल यूजर्स के बीच बढ़ रहे डेटा डिमांड और इंडस्ट्री की जरूरतों को देखते हुए सरकार से 5G सर्विस के लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की मांग रखी है। 5G के लॉन्च के बाद IoT डिवाइस इकोसिस्टम तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से बेहतर कनेक्टिविटी पहुंचाने की जरूरत है। अतिरिक्त 5G स्पेक्ट्रम मिलने से यूजर्स के साथ-साथ इंडस्ट्री को इसका फायदा पहुंचेगा।
2GHz अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की जरूरत
ET टेलीकॉम के मुताबिक, GSMA की रिपोर्ट को कोट करते हुए एयरटेल के चीफ रेगुलेटरी ऑफिसर राहुल वत्स ने कहा भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री को 2030 तक 2000MHz स्पेक्ट्रम बैंड की जरूरत है। इस समय इंडस्ट्री के पास केवल 400MHz स्पेक्ट्रम उपलब्ध है। उन्होंने आगे कहा आगे चलकर हमें स्पेक्ट्रम की बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ने वाली है। कुछ रिपोर्ट्स ने दिखाया है कि IoT डिवाइसेज का आंकड़ा करीब 30 बिलियन तक पहुंच जाएगा, जिसके लिए भी स्पेक्ट्रम की जरूरत होगी।
GSMA ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत जैसे बड़े यूजरबेस वाले देश में 2030 तक 2GHz मिड बैंड स्पेक्ट्रम की जरूरत होगी ताकि यूजर्स को हाई क्वालिटी 5G सर्विस मुहैया कराई जा सके। वहीं, वोडाफोन-आइडिया (Vi) के चीफ रेगुलेटरी ऑफिसर अंबिका खुराना का भी मानना है कि इंडस्ट्री को 2GHz से भी ज्यादा स्पेक्ट्रम की जरूरत हो सकती है। इसके लिए सरकार, इंडस्ट्री बॉडी और एडवाइजरी के साथ बातचीत की जरूरत है।
रिलायंस जियो के रेगुलेटरी और पॉलिसी प्रेसिडेंट ए के तिवारी का कहना है कि केंद्र सरकार 3.5GHz मिड-बैंड में अधिक स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने पर विचार कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि 6GHz स्पेक्ट्रम को इंटरनेशनल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशन (IMT) सर्विस को अलॉट करके भारत में डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ाने में बड़ा योगदान किया जा सकता है।
DoT ने कहा करेंगे विचार
दूरसंचार विभाग (DoT) के एक वरिष्ठ अधिकारी सुनील कुमार सिंघल ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों के डिमांड के आधार पर सरकार अतिरिक्त स्पेक्ट्रम देने पर विचार कर सकती है। हमने यह देखा है कि इस समय स्पेक्ट्रम की उपलब्धता डिमांड से ज्यादा है। मिड बैंड स्पेक्ट्रम पर हम पहले से ही काम कर रहे हैं। हमने अभी हाई एंड मिलीमिटर वेव बैंड्स पर काम करना शुरू कर दिया है, जिनमें भारत में टैराहर्ट्ज स्पेक्ट्रम वेव भी शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि हमें नहीं लगता कि अभी ऑपरेटर्स के लिए स्पेक्ट्रम की कोई शॉर्टेज है।
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