पानी में क्यों मिलाया जाता है अमोनिया, इसका शरीर पर क्या होता है असर

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पानी में क्यों मिलाया जाता है अमोनिया, इसका शरीर पर क्या होता है असर

हर साल की तरह एक बार फिर से यमुना नदीं में सफेद रंग का झाग दिखाई दे रहा है. एक्सपर्ट की मानें जब पानी में प्रदूषण का लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है. वह पीने लायक नहीं बचता है तो समझ जाए कि उसमें अमोनिया का लेवल काफी ज्यादा बढ़ गया है.  अमोनिया वाले पानी का इंसान से लेकर जानवर तक पर काफी ज्यादा बुरा असर होता है.

 यमुना नदी में अमोनिया लेवल बढ़ने के नुकसान

देश की राजधानी दिल्ली में एक तरफ जहां एयर पॉल्यूशन से लोगों का हाल बेहाल है. वहीं दूसरी तरफ यमुना नदी में प्रदूषण का लेबल दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है. एक वक्त था जब यमुना नदी जीवनदायिनी मानी जाती थी. आज वह एक झाग में तबदील होता जा रहा है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस को लेकर सख्ती दिखाई है कि राष्ट्रीय राजधानी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) महत्वपूर्ण मानदंडों के अनुसार यमुना नदी में कच्चा सीवेज छोड़ते रहते हैं. कहा जा रहा है कि इस पानी में दिन पर दिन अमोनिया की मात्रा बढ़ रही है. जिसके कारण यह अब पीने योग्य नहीं रहा और इसका सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है. 

यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा दिन पर दिन बढ़ रही है. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मुताबिक पीने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा 0.5 पीपीएम के लेवल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यमुना में अमोनिया का लेवल 8 पीपीएम तक पहुंच तक जाता है.  दिल्ली जल बोर्ड के पास पानी साफ करने की क्षमता 0.9 पीपीएम तक ही है. यमुना नदी में अमोनिया का लेवल दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. यमुना में अमोनिया का लेवल हाई होता है. पानी में काफी ज्यादा फैक्ट्री और सीवेज की गंदगी का लेवल बढ़ हुआ है.यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने की वजह से, चंद्रावल, सोनिया विहार, और वजीराबाद प्लांट में पानी का लेवल बढ़ा हुआ है. 

कैसे होता है ट्रीटमेंट?

दिल्ली जल बोर्ड के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट अत्यधिक अमोनिया के उपचार के लिए क्लोरीन का उपयोग करते हैं. अधिकारियों के अनुसार, एक पीपीएम अमोनिकल नाइट्रोजन को बेअसर करने के लिए प्रति घंटे प्रति लीटर पानी में 11.5 किलोग्राम क्लोरीन की आवश्यकता होती है. ट्रीटमेंट के बाद भी पानी में क्लोरीन की कुछ मात्रा रहनी चाहिए ताकि रोगाणुओं को बेअसर किया जा सके.

अमोनिया की बीमारी के लक्षण: 

सिरदर्द

मतली या उल्टी

कोमा

चिड़चिड़ापन

बोलने या संभलने में परेशानी

व्यवहार में बदलाव

दौरे पड़ना

नींद नहीं आना

अमोनिया की बीमारी के कारण: 

यकृत रोग

लिवर सिरोसिस

एन्सेफ़ैलोपैथी

किडनी रोग या किडनी की विफलता

रेये सिंड्रोम

आनुवंशिक स्थितियां

हेमोलिटिक रोग

अमोनिया की बीमारी का उपचार:

अमोनिया के स्तर को कम करने के लिए कम प्रोटीन वाला आहार लेना चाहिए. 

एएसटी-120 गोलाकार कार्बन अधिशोषक का इस्तेमाल किया जा सकता है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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