Vat Savitri Vrat 2025: आसपास नहीं है बरगद का पेड़ तो न लें टेंशन, ऐसे करें वट सावित्री व्रत की

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Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ महीने की अमावस्या के दिन रखा जाता है. यह त्योहार आने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं और महिलाएं इसकी तैयारियों में जुट गई हैं. वट सावित्री हिंदू धर्म और खासकर सुहागन महिलाओं के लिए विशेष पर्व होता है, जिसका इंतजार महिलाएं पूरे साल करती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए व्रत रखकर बरगद पेड़ की पूजा करती है.  इसलिए वट सावित्री की पूजा में वट यानि बरगद पेड़ के पूजा का महत्व है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.

वट सावित्री व्रत 2025 कब

बता दें कि वट सावित्री का व्रत पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ अमावस्या पर रखा जाता है. इस साल 27 मई 2025 को यह व्रत रखा जाएगा. क्योंकि उदयातिथि के अनुसार इसी दिन अमावस्या तिथि पड़ेगी. ऐसे में महिलाएं मंगलवार 27 मई को वट सावित्री का व्रत रखकर पूजा-पाठ करेंगी. वट सावित्री पर वैसे तो विशेष रूप से बट वृक्ष की पूजा का विधान है क्योंकि इसे सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. वट सावित्री की पौराणिक कथा भी इसी वृक्ष से जुड़ी हुई है. जब यमराज सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लेकर चले गए थे तब सावित्री ने इसी वृक्ष के नीचे तपस्या कर यमराज को प्रसन्न किया और अपने पति के प्राण वापस लिए. तभी से ही इस वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री पूजा करने की परंपरा चली आ रही है.

धार्मिक मान्यता अनुसार वट वृक्ष में त्रिदेव यानि शिव, विष्णु और ब्रह्मा का वास होता है. खासकर वट सावित्री पर इस पेड़ की पूजा का महत्व है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप जिस जगह पर रह रहे हैं उसके आसपास कहीं बरगद का पेड़ नहीं मिलता या आप किसी ऐसे स्थान पर हैं जहां बरगद का पेड़ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए. क्या बरगद पेड़ के बिना सावित्री व्रत की पूजा नहीं की जा सकती या इसका क्या विकल्प हो सकता है. बता दें कि आप श्रद्धा और नियमपूर्वक वट सावित्री का व्रत रखें. अगर आसपास बरगद का पेड़ ना हो तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि शास्त्रों में ऐसी कई विधियां बताई गई हैं जिससे कि आप अपनी पूजा संपन्न कर सकती हैं.

करें ये काम

अगर आसपास बरगद का वृक्ष न हो तो इसके लिए आप वट सावित्री से एक दिन पहले कहीं से वट वृक्ष की ऐसी डाली ले आएं. ध्यान रखें उसी वृक्ष की डाली लाएं, जिसमें फल लगे हों. डाली को किसी गमले में लगा दें और व्रत वाले दिन इसे ही वट वृक्ष मानकर पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा करें. डाली के पास मां पार्वती और भगवान शिव की तस्वीर भी रखें.

यदि आप ऐसे स्थान पर हैं जहां कहीं भी दूर-दूर तक बरगद का वृक्ष न हो और बरगद की टहनी लाना भी संभव न हो तो आप तुलसी पौधे के पास बैठकर भी उसी विधि-विधान से वट सावित्री व्रत की पूजा कर सकती हैं. याद रखें अगर आप श्रद्धा और आस्था से पूजा करेंगे तो पूजा कभी निष्फल नहीं होगी.

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