वैशाख पूर्णिमा पर रवि योग- सोमवार का संयोग, ये 5 काम करने से प्रसन्न होंगी लक्ष्मी जी

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Vaishakh Purnima 2025: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि बहुत पुण्यदायी मानी गई है. वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती के नाम से जाना जाता है. इस बार बुद्ध पूर्णिमा का पर्व 12 मई को मनाई जाएगा. यह पर्व हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के अनुयायी मनाते हैं. बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति के दिन के रूप में देखा जाता है और और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था.

ऐसा कहा जाता है जो लोग इस पवित्र दिन का उपवास रखते हैं उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं साथ ही उनके घर पर माता लक्ष्मी का वास सदैव के लिए हो जाता है. शास्त्रों में निहित है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था.

कहां हुआ था गौतम बुद्ध का जन्म

यह त्योहार बौद्ध धर्म के लोगों के लिए खास माना जाता है. इस दिन गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का पालन किया जाता है और उनकी विशेष पूजा की जाती है. बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया में मनाया जाता है. इसी शुभ तिथि पर गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था. गौतम बुद्ध ने 35 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त कर लिया था.

वैशाख के आखिरी तीन दिनों को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया हैं. जो कि इस बार 10, 11 और 12 मई है. इन दिनों में स्नान-दान, व्रत और पूजा करने से पूरे वैशाख मास में किए गए शुभ कामों का पुण्य मिलता है. स्कन्द पुराण के वैष्णव खण्ड के अनुसार वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियां अक्षय पुण्य देने और हर तरह के पाप खत्म करने वाली होती हैं. इसलिए इन्हें पुष्करिणी कहा गया है. इनमें शनिवार को त्रयोदशी, रविवार को चतुर्दशी और सोमवार को पूर्णिमा रहेगी.

भगवान के तीन अवतार

ग्रंथो के अनुसार इन तीन दिनों में भगवान विष्णु के तीन अवतार अवतरित हुए हैं. त्रयोदशी को नृसिंह जयंती, चतुर्दशी को कूर्म जयंती तथा पूर्णिमा को बुद्ध जयंती (बुद्ध पूर्णिमा). इसलिए वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन जरूर करना चाहिए. देवताओं ने कहा कि वैशाख की ये तीन शुभ तिथियां इंसानों के पाप का नाश करने वाली रहेंगी. इनके शुभ प्रभाव से ही उन्हें पुत्र-पौत्र और परिवार का सुख मिलेगा.

इन्हीं के प्रभाव से समृद्धि बढ़ेगी. स्कंद पुराण में कहा गया है कि जो पूरे वैशाख में सुबह जल्दी तीर्थ स्नान न कर सका हो, वो सिर्फ इन तिथियों में सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदियों के जल से नहा ले तो उसे पूरे महीने का पुण्य फल मिल जाता है.

क्या करें

वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियों में गीता पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है. इन तीनों दिनों में श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से कभी न खत्म होने वाला अनंत गुना पुण्य फल मिलता है. वैशाख पूर्णिमा को हजार नामों से भगवान विष्णु का दूध और जल से अभिषेक करता है उसे बैकुण्ठ धाम मिलता है. वैशाख के आखिरी तीन दिनों में श्रीमद् भागवत सुनने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.

चंद्रमा को अर्घ्य देने की है परंपरा

बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म मानने वाले आते हैं और बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं. वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदी के जल से स्नान के बाद घर में भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है. माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का वास होता है.

शुभ मुहूर्त

बुद्ध पूर्णिमा की शुरुआत 11 मई की शाम 8:02 मिनट से शुरू होगी और समाप्त 12 मई रात 11:26 मिनट पर होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है. अतः 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी.

बुद्ध पूर्णिमा पर रवि योग

बुद्ध पूर्णिमा के दिन रवि योग है. रवि योग सुबह 5:32 मिनट से बनेगा, जो सुबह 06:17 मिनट तक रहेगा. रवि योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में श्रेष्ठ मानी गई है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है. भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है. जिन्हें इसी पावन तिथि के दिन बिहार के पवित्र तीर्थ स्थान बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी.

वैशाख माह को पवित्र माह माना गया है. इसके चलते हज़ारों श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान,दान कर पुण्य अर्जित करते हैं. पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व माना गया है.

वैशाख पूर्णिमा पूजा अनुष्ठान

  1. सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में पवित्र स्नान करें. जो लोग गंगा नदी स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं, वे घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं. कुछ लोग इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश और अन्य प्रमुख स्थानों पर भी जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि गंगा जल शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है. इस दिन लोग भगवान चंद्र को अर्घ्य देते हैं और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं.
  2. यह खास दिन दान-पुण्य के लिए भी फलदायी माना जाता है. पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रों का दान करना चाहिए.
  3. इस दिन भक्त सत्यनारायण व्रत रखते हैं, और उनकी पूजा करते हैं.
  4. पूर्णिमा का दिन बेहद खास माना जाता है, क्योंकि चंद्रमा की रोशनी सीधे पृथ्वी पर आती है, जिससे घर में समृद्धि और खुशी का वास होता है.इस दिन चंद्र देव की पूजा करने वालों को ये पुण्य मिलता है.
  5. इस दिन जरूरतमंदों को भोजन खिलाना चाहिए और वस्त्रों का दान करना चाहिए.

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