Vaishakh Month 2025: 13 अप्रैल से हिन्दी पंचांग का दूसरा महीना वैशाख शुरू गया है. ये महीना 12 मई तक रहेगा. वैशाख मास में गर्मी पूरे प्रभाव होती हैइस कारण इन दिनों में जल दान करने का महत्व है. इस महीने में अक्षय तृतीया और बुद्ध पूर्णिमा जैसे बड़े व्रत-पर्व आएंगे.
वैशाख महीने में अपने घर के बाहर पक्षियों के लिए जल और अन्न की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए. इन दिनों में अधिकतर नदी-तालाब सूख जाते हैं, जिससे पक्षियों को पीने का पानी नहीं मिल पाता है. इन दिनों में किए गए जल दान का अक्षय पुण्य मिलता है. अक्षय पुण्य यानी इस पुण्य का शुभ असर जीवन भर बना रहेगा.
यह मास धार्मिक आस्था, तप, सेवा और पर्यावरण संरक्षण की भावना से भरपूर होता है. गर्मी के इस मौसम में जल और छाया का दान जितना धार्मिक दृष्टि से फलदायक है, उतना ही मानवीय और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी आवश्यक है. इस माह में दो विशेष तिथियां रहेंगी, अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है. यह तिथि बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ करने की उत्तम मानी जाती है.
स्कंदपुराण के अनुसार
न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंङ्गया समम्।।
वैशाख के समान कोई और मास नहीं है. सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है. वेद के समान को शास्त्र नहीं है और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है. वैशाख मास शुक्रवार से शुरू होगा और शुक्रवार को ही खत्म होगा. मान्यता है कि इस माह में किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है और भगवान की कृपा से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। ये महीना वृक्षों में कल्पवृक्ष के समान और शिवजी, विष्णु को प्रसन्न करने वाला माना गया है.
पद्मपुराण, पातालखण्ड के अनुसार
यथोमा सर्वनारीणां तपतां भास्करो यथा ।आरोग्यलाभो लाभानां द्विपदां ब्राह्मणो यथा।।
परोपकारः पुण्यानां विद्यानां निगमो यथा।मंत्राणां प्रणवो यद्वद्ध्यानानामात्मचिंतनम् ।।
सत्यं स्वधर्मवर्तित्वं तपसां च यथा वरम्।शौचानामर्थशौचं च दानानामभयं यथा ।।
गुणानां च यथा लोभक्षयो मुख्यो गुणः स्मृतः।मासानां प्रवरो मासस्तथासौ माधवो मतः ।।
जैसे सम्पूर्ण स्त्रियों में पार्वती, तपने वालों में सूर्य, लाभों में आरोग्यलाभ, मनुष्यों में ब्राह्मण, पुण्यों में परोपकार, विद्याओं में वेद, मन्त्रों में प्रणव, ध्यानों में आत्मचिंतन, तपस्याओं में सत्य और स्वधर्म-पालन, शुद्धियों में आत्मशुद्धि, दानों में अभयदान तथा गुणों में लोभ का त्याग ही सबसे प्रधान माना गया है, उसी प्रकार सब मासों में वैशाख मास अत्यंत श्रेष्ठ है.
महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार
“निस्तरेदेकभक्तेन वैशाखं यो जितेन्द्रियः। नरो वा यदि वा नरी ज्ञातीनां श्रेष्ठतां व्रजेत्।।” जो स्त्री अथवा पुरूष इन्द्रिय संयम पूर्वक एक समय भोजन करके वैशाख मास को पार करता है, वह सहजातीय बन्धु-बान्धवों में श्रेष्ठता को प्राप्त होता है
।। दत्तं जप्तं हुतं स्नातं यद्भक्त्या मासि माधवे।तदक्षयं भवेद्भूप पुण्यं कोटिशताधिकम् ।। माधवमास में जो भक्तिपूर्वक दान,जप, हवन और स्नान आदि शुभकर्म किये जाते हैं, उनका पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है.
प्रातःस्नानं च वैशाखे यज्ञदानमुपोषणम्।हविष्यं ब्रह्मचर्यं च महापातकनाशनम् ।। वैशाख मास में सवेरे का स्नान, यज्ञ, दान, उपवास, हविष्य-भक्षण तथा ब्रह्मचर्य का पालन – ये महान पातकों का नाश करने वाले हैं.
स्नान और जलदान का महत्व
स्कंद, पद्म, ब्रह्मवैवर्त पुराण और महाभारत में वैशाख महीने को बहुत खास बताया गया है. इन ग्रंथों में कहा गया है कि वैशाख मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने, जलदान और तीर्थ में नहाने से हर तरह के दुख खत्म हो जाते हैं. वैशाख महीने में इन कामों को करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है.
भगवान विष्णु की पूजा
- सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर नहाएं. इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें.
- भगवान विष्णु की पूजा करने का संकल्प लें. पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
- भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं. चरणामृत ग्रहण करें.
- पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. भगवान को फूल, धूप, नैवेद्य आदि सामग्री चढ़ाएं.
- दीपक जलाएं. विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें. व्रत की कथा सुनें.
- दूसरे दिन यानी द्वादशी पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें.
वैशाख मास में करे शुभ काम
- सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं.
- भगवान विष्णु के साथ ही देवी महालक्ष्मी की पूजा भी करें. किसी मंदिर जाएं और ध्वज यानी झंडे या पानी से भरे मटके का दान करें.
- शिवजी के सामने दीपक जलाएं और श्रीराम नाम का जाप 108 बार करें. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, काले तिल चढ़ाएं.
- इस माह में हमें सूर्यादय से पहले उठ जाना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें.
- वैशाख में तीर्थ दर्शन करें और नदियों में स्नान करें. अगर यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
- ये गर्मी का समय है. इस महीने में पानी का दान करें. किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगाएं या किसी प्याऊ में मटके का दान करें.
- इस माह में जो व्यक्ति प्याउ लगवाता है, वह देवता, ऋषि और पितर सभी को तृप्त करता है.
- प्यासों के लिए पानी और धूप से बचने के लिए छाते का दान करें.
- जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल का भी दान करें. आप चाहें तो किसी मंदिर में पंखों का दान भी कर सकते हैं.
वैशाख मास नहीं करना चाहिए
- वैशाख मास में सुबह देर तक सोने से बचना चाहिए. इन दिनों में सूर्योदय जल्दी हो जाता है, ऐसे में जल्दी उठें और उगते सूर्य को जल चढ़ाएं.
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ देर व्यायाम जरूर करें. उठने में देरी करेंगे तो गर्मी बढ़ जाएगी और व्यायाम करने का मन नहीं होगा.
- खानपान को लेकर लापरवाही न करें. गर्मी के दिनों में उचित मात्रा में पानी जरूर पिएं. खाने में ऐसी चीजें लें, जिन्हें पचाना आसान हो.
- जहां तक संभव हो सके ताजा खाना ही खाएं. बासी खाना खाने से बचें, क्योंकि गर्मी की वजह से खाना जल्दी खराब हो जाता है.
- गर्मी के दिनों में धूप में बहुत ज्यादा घूमने से बचना चाहिए. अगर धूप में जाना बहुत जरूरी हो तो छाता लेकर जा सकते हैं.
स्कंद और पद्म पुराण में लिखा है कि इस महीने में स्नान-दान करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है. इस महीने भगवान विष्णु की पूजा के अलावा अन्य देवी-देवताओं की पूजा से मिलने वाला पुण्य बढ़ जाता है. वैशाख महीने में कई तीज-त्योहार रहेंगे जिनमें व्रत-उपवास करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं.
वैशाख माह के व्रत-त्योहार
- 16 अप्रैल संकष्टी गणेश चतुर्थी
- 18 अप्रैल गुड फ़्राइडे
- 20 अप्रैल ईस्टर
- 21 अप्रैल कालाष्टमी
- 24 अप्रैल वरुथिनी एकादशी
- 25 अप्रैल प्रदोष व्रत
- 26 अप्रैल मास शिवरात्रि
- 27 अप्रैल वैशाख अमावस्या अमावस्या
- 29 अप्रैल परशुराम जयंती
- 30 अप्रैल रोहिणी व्रत , अक्षय तृतीया
- 01 मई वरद चतुर्थी
- 03 मई गंगा सप्तमी
- 05 मई बगलामुखी जयंती , दुर्गाष्टमी व्रत
- 06 मई सीता नवमी
- 08 मई मोहिनी एकादशी
- 09 मई प्रदोष व्रत , परशुराम द्वादशी
- 11 मई नृसिंह जयंती
- 12 मई चैत्र पूर्णिमा , बुद्ध पूर्णिमा
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