Dementia Symptoms on Eyes : आंखे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. आंखों के द्वारा किसी भी इंसान की सेहत का पता लगाया जा सकता है. यहीं नहीं आंखों में होने वाले बदलाव से भूलने वाली बीमारी डिमेंशिया का भी पता लगाया जा सकता है. एक शोध में ये बात सामने आई है कि आंखों में होने वाले बदलाव से डिमेंशिया का पता लगाया जा सकता है. शोध में पाया गया है कि डिमेंशिया होने पर दिमाग में दिमाग में होने वाले बदलाव से रेटिना पर असर होता है. इस कारण से रंग को पहचानने में परेशानी और कुछ भी पढ़ने या दूर का देखने में दिक्कत होती है.
डिमेंशिया का पता लगाने का तरीका
देखने में बदलाव होना
रंग को पहचानने मेंं दिक्क्त होना या दूर का देखने में परेशानी होना डिमेंशिया का लक्षण हो सकते हैं. ऐसे लोग दूरी का अंदाजा लगाने में कठिनाई महसूस करते हैं. पढ़ने लिखने में भी परेशानी होती है. अगर आपके साथ ये सारी चीजें हो रही है तो आपको तुरंत आपनी आंखे डॉक्टर को दिखाने की आवश्यकता है.
कमजोर विजुअल मेमोरी
डिमेंशिया के लक्षण में कमजोर विजुअल मेमोरी भी शामिल है. ऐसे में डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति देखी हुई चीजों को याद नहीं रख पाता है. इसके कारण व्यक्ति, स्थान या कोई चीज को याद करने में दिक्कत होती है.
रेटिना का पतला होना
शोध के अनुसार, 40-50 की आयु वाले लोगों में कई कारणों से रेटिना पतला होने लगता है. रेटिना पतली होने पर मानसिक परीक्षणों में खराब प्रदर्शन और कामकाज में गिरावट होने लगती है.
इस कारण से आंखों में हो रहा है बदलाव
आजकल हर व्यक्ति मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है. मोबाइल की स्क्रीन बहुत समय तक देखने से आंखों में ऊपर बताई हुई दिक्कते होने लगती है. इसके अलावा आज के समय में ज्यादातर लोगों का काम कंप्यूटर या लैपटॉप पर ही होता है. इसके चलते मजबूरी में लोगों को स्क्रीन के सामने टिका रहना पड़ता है. इंडियन इंस्टिट्यूट और मैनेजमेंट (आईआईएम) रोहतक की स्टडी के अनुसार, भारत में औसतन लोग साढ़े तीन घंटे स्क्रीन देखते हैं. पुरुषों का औसत स्क्रीन टाइम 6 घंटे 45 मिनट है. वहीं महिलाओं का औसत स्क्रीन टाइम 7 घंटे 5 मिनट है.
इस तरह रखें आपनी आंखों का ध्यान
काम भी हर इंसान के लिए जरूरी है. इसी कारण स्क्रीन से दूर रहना मुश्किल है. इस समस्या के समाधान के लिए आपको नियमित रूप से आंंखों की जांच करानी चाहिए. अगर आपको आंखों से धुंंधला दिख रहा है, या आपको कलर पहचानने में दिक्कत हो रही है तो आपको आंखों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया तो डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ सकता है. स्टडी के अनुसार, जिन लोगों को कोई नेत्र रोग नहीं था, उनकी तुलना में जिन लोगों को आयु-संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन था, उनमें डिमेंशिया का खतरा 26 प्रतिशत ज्यादा था. मोतियाबिंद वाले लोगों में 11 प्रतिशत और डायबिटीज से संबंधित नेत्र रोग वाले लोगों में 61 प्रतिशत जोखिम ज्यादा था.
आंखों की रोशनी बढ़ाने के उपाय
आजकल की लाइफस्टाइल ने लोगों की सेहत पर बहुत असर डाला है. अगर आप अपनी लाइफस्टाइल बदल लें और अपने खाने में कुछ चीजें शामिल करें तो आप अपनी आंखों की रोशनी बढ़ा सकते हैं. अपने खाने में ताजी हरी सब्जियों को शामिल करें. इसके अलावा स्प्राउट्स, सूखे मेवे और ताजे फलों का सेवन करें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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