Sun Tzu: सुन त्जू चीनी जनरल, नेता, दार्शनिक और लेखक थे. सुन त्जू के बारे में कहा जाता है कि इन्होंने कोई लड़ाई नहीं हारी. इतना ही नहीं वो जिस लड़ाई में सेना के कमांडर होते थे वह सेना भी कभी नहीं हारती थी.
सुन त्जू के बारे में कई सारी किवंदती है. लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा उनकी किताब द आर्ट ऑफ़ वॉर (The Art of War) के लिए जाना जाता है. 13 अध्याय की यह किताब संघर्ष और लड़ाई में सफलतापूर्वक शामिल होने के तरीके की एक गाइडलाइन है. सुन त्जू ने अपने बुद्धि और बल से जीवन में जितनी भी लड़ाई जीती हैं उसके बारे में उन्होंने इस किताब में अपने अनुभव लिखे हैं. इसमें युद्ध की हरेक नीति का वर्णन किया गया है. इस किताब का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है.
सुन त्जू ने बदली युद्ध की नीति-रीति
सुन त्जू को चाइना का चाणक्य कहा जाता है. क्योंकि महान सैन्य रणनीतिकार ‘सुन त्जू’ ने युद्ध में क्रांति लाकर युद्ध की नीति-रीति दोनों बदल दी. आज भी चीन की सेना सुन त्जू के नक्शे कदम पर चलती है. युद्ध के लिए चाइना की सेना आज भी सुन त्जू के मेलेट्री स्ट्रेटजी को ही फॉलो करती है. यहां तक कि अमेरिका और कई देशों के मिलिट्री स्कूलों और प्रतिष्ठित स्कूलों में आज रिफरेंस के तौर पर सुन त्जू की इस किताब को पढ़ाया जाता है.
युद्ध के लिए सुन त्जू के विचार
सुन त्जू के अनुसार कोई भी लड़ाई जीतने के लिए बल से ज्यादा बुद्धि की जरूरत होती है. लड़ाई में अगर आप समझदारी दिखाते हैं तो आप आधी लड़ाई पहले ही जीत चुके होते हैं.
सुन त्जू की नीति के अनुसार सबसे बड़ी जीत वह है जिसके लिए किसी लड़ाई की जरूरत ही न हो. क्योंकि युद्ध में धन, समय और ऊर्जा तीनों बर्बाद होते हैं और युद्ध के परिणाम का नुकसान जीतने और हारने वाले दोनों को होता है.
सुन त्जू मानते थे कि दुश्मन को जानने के लिए आपको स्वयं अपना दुश्मन बनना होगा. यदि आपका शत्रु घमंडी है तो उसे और भड़काओं, शत्रु परेशान होता है तो उसे और परेशान करो ताकि वो अधिक से अधिक गलतियां करे और अपना मानसिक संतुलन खोकर खुद ही अपना शत्रु बन बैठे.
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