Shwetark Ganesh Puja: गणेश प्रतिमाओं का दर्शन विभिन्न मुद्राओं में होता है लेकिन प्रमुख तौर पर वाम एवं दक्षिण सूण्ड वाले गणेश से आमजन परिचित हैं. इनमें सात्विक और सामान्य उपासना की दृष्टि से वाम सूण्ड वाले गणेश और तामसिक एवं असाधारण साधनाओं के लिए दांयी सूण्ड वाले गणेश की पूजा का विधान रहा है. तत्काल सिद्धि प्राप्ति के लिए श्वेतार्क गणपति की साधना भी लाभप्रद है. ऐसी मान्यता है कि रवि पुष्य नक्षत्रा में सफेद आक की जड़ से बनी गणेश प्रतिमा सद्य फलदायी है.
श्वेतार्क गणपति,,,शास्त्रों में श्वेतार्क के बारे में कहा गया है- “जहां कहीं भी यह पौधा अपने आप उग आता है, उसके आस-पास पुराना धन गड़ा होता है. जिस घर में श्वेतार्क की जड़ रहेगी, वहां से दरिद्रता स्वयं पलायन कर जाएगी. इस प्रकार मदार का यह पौधा मनुष्य के लिए देव कृपा, रक्षक एवं समृद्धिदाता है. सफेद मदार की जड़ में गणेशजी का वास होता है, कभी-कभी इसकी जड़ गणशेजी की आकृति ले लेती है
इसलिए सफेद मदार की जड़ कहीं से भी प्राप्त करें और उसकी श्रीगणेश की प्रतिमा बनवा लें. उस पर लाल सिंदूर का लेप करके उसे लाल वस्त्र पर स्थापित करें. यदि जड़ गणेशाकार नहीं है, तो किसी कारीगर से आकृति बनवाई जा सकती है. शास्त्रों में मदार की जड़ की स्तुति इस मंत्र से करने का विघान है-
चतुर्भुज रक्ततनुंत्रिनेत्रं पाशाकुशौ मोदरक पात्र दन्तो।
करैर्दधयानं सरसीरूहस्थं गणाधिनाभंराशि चूùडमीडे।।
- गणेशोपासना में साधक लाल वस्त्र, लाल आसान, लाल पुष्प, लाल चंदन, मूंगा अथवा रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करें. नेवैद्य में गुड़ व मूंग के लड्डू अर्पित करें.
- “ऊँ वक्रतुण्डाय हुम्” मंत्र का जप करें. श्रद्धा और भावना से की गई श्वेतार्क की पूजा का प्रभाव थोड़े बहुत समय बाद आप स्वयं प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने लगेंगे.
- तन्त्र शास्त्र में श्वेतार्क गणपति की पूजा का विधान है. यह आम लक्ष्मी व गणपति की प्रतिमाओं से भिन्न होती है.
- यह प्रतिमा किसी धातु अथवा पत्थर की नहीं बल्कि जंगल में पाये जाने वाले एक पोधे को श्वेत आक के नाम से जाना जाता है.
- इसकी जड़ कम से कम 27 वर्ष से जयादा पुरानी हो उसमें स्वत: ही गणेश जी की प्रतिमा बन जाती है. यह प्रक्रति का एक आश्चर्य ही है.
- श्वेत आक की जड़ (मूल ) यदि खोदकर निकल दी जाये तो निचे की जड़ में गणपति जी की प्रतिमा प्राप्त होगी.
- इस प्रतिमा का नित्य पूजन करने से साधक को धन-धान्य की प्राप्ति होती है. यह प्रतिमा स्वत: सिद्ध होती है. तन्त्र शास्त्रों के अनुसार ऐशे घर में यंहा यह प्रतिमा स्थापित हो , वंहा रिद्धी-सिद्ध तथा अन्नपूर्णा देवी वस् करती है.
श्वेतार्क गणपति प्रतिमा महत्व
श्वेतार्क की प्रतिमा रिद्धी-सिद्ध की मालिक होती है जिस व्यक्ति के घर में यह गणपति की प्रतिमा स्थापित होगी उस घर में लक्ष्मी जी का निवास होता है तथा जंहा यह प्रतिमा होगी उस स्थान में कोई भी शत्रु हानी नहीं पहुंचा सकता. इस प्रतिमा के सामने नित्य बैठकर गणपति जी का मूल मन्त्र जपने से गणपति जी के दर्शन होते हैं तथा उनकी क्रपा प्राप्त होती है.
श्वेतक आक की गणपति की प्रतिमा अपने पूजा स्थान में पूर्व दिशा की तरफ ही स्थापित करें ‘ ओम गं गणपतये नम:’ मन्त्र का प्रतिदिन जप करे जप के लिए लाल रंग का आसन प्रयोग करें तथा श्वेत आक की जड़ की माला से यह जप करें तो जप कल में ही साधक की हर मनोकामना गणपति जी पूरी करते हैं. व्यापार स्थल पर किसी भी प्रकार की समस्या हो तो वहां श्वेतार्क गणपति तथा की स्थापना करें.
गणपति का है स्वरूप
स्वास्थ्य और धन के लिए श्वेत आर्क गणपति: श्वेतार्क वृक्ष से सभी परिचित हैं. इसे सफेद आक, मदार, श्वेत आक, राजार्क आदि नामों से जाना जाता है. सफेद फूलों वाले इस वृक्ष को गणपति का स्वरूप माना जाता है इसलिए प्राचीन ग्रंथों के अनुसार जहां भी यह पौधा रहता है, वहां इसकी पूजा की जाती है. इससे वहां किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती. वैसे इसकी पूजा करने से साधक को काफी लाभ होता है.
किस दिन लाए श्वेतार्क की जड़
अगर रविवार या गुरूवार के दिन पुष्प नक्षत्र में विधिपूर्वक इसकी जड़ को खोदकर ले आएं और पूजा करें तो कोई भी विपत्ति जातकों को छू भी नहीं सकती. ऐसी मान्यता है कि इस जड़ के दर्शन मात्र से भूत-प्रेत जैसी बाधाएं पास नहीं फटकती. अगर इस पौधे की टहनी तोड़कर सुखा लें और उसकी कलम बनाकर उसे यंत्र का निर्माण करें , तो यह यंत्र तत्काल प्रभावशाली हो जाएगा. इसकी कलम में देवी सरस्वती का निवास माना जाता है. वैसे तो इसे जड़ के प्रभाव से सारी विपत्तियां समाप्त हो जाती हैं.
जड़ से बनाए इतनी बड़ी प्रतिमा
इसकी जड़ में दस से बारह वर्ष की आयु में भगवान गणेश की आकृति का निर्माण होता है. यदि इतनी पुरानी जड़ न मिले तो वैदिक विधि पूर्वक इसकी जड़ निकाल कर इस जड़ की लकड़ी में गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर बनाएं. यह आपके अंगूठे से बड़ी नहीं होनी चाहिए. इसकी विधिवत पूजा करें। पूजन में लाल कनेर के पुष्प अवश्य इस्तेमाल में लांए। इस मंत्र ‘‘ ऊँ पंचाकतम् ऊँ अंतरिक्षाय स्वााहा ’’ से पूजन करें और इसके पश्चात इस मंतर
- ‘‘ ऊँ ह्रीं पूर्वदयां ऊँ ही्रं फट् स्वाहा ’’ से 108 आहुति दें
- लाल कनेर के पुष्प शहद तथा शुद्ध गाय के घी से आहुति देने का विधान है.
- इसके बाद 11 माला जप नीचे लिखे मंत्र का करें और प्रतिदिन कम से कम 1 माला करें। ‘‘ ऊँ गँ गणपतये नमः ’’ का जप करें.
- अब ’’ ऊँ ह्रीं श्रीं मानसे सिद्धि करि ह्रीं नमः ’’ मंत्र बोलते हुए लाल कनेर के पुष्पों को नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें.
- श्रद्धा पूर्वक नतमस् तक होकर इस पौधे से कुछ माँगन पर यह अपनी जान देकर भी माँगने वाले की इच्छा पूरी करता है.
ऐसी आस्था भी है कि इसकी जड़ को पुष्प नक्षत्र में विशेष विधिविधान के साथ और धन धान्य की कमी नहीं रहती. श्वेतार्क के ताँत्रिक, लक्ष्मी प्राप्ति, ऋण नाशक, जादू टोना नाशक, नजर सुरक्षा के इतने प्रयोग हैं कि पूरी किताब लिखी जा सकती है
श्वेतार्क गणपति से जुड़े उपाय
- सिद्धी की इच्छा रखने वालों को 3 मास तक इसकी साधन करने से सिद्धी प्राप्त होती है. जिनके पास धन न रूकता हो या कमाया हुआ पैसा उल्टे सीधे कामों में जाता हो उन्हें अपने घर में श्वेतार्क गणपति की स्थापना करनी चाहिए.
- जो लोग कर्ज में डूबे हैं उनके लिए कर्ज मुक्ति का इससे सरल अन्य कोई उपाय नहीं है. जो लोग ऊपरी बाधाओं और रोग विशेष से ग्रसित हैं इसकी पूजा से वायव्य बाधाओं से तुरंत मुक्ति और स्वास्थ्य में अप्रत्याशित लाभ पा सकते हैं.
- जिनके बच्चों का पढ़ने में मन न लगता हो वे इसकी स्थापना कर बच्चों की एकाग्रता और संयम बढ़ा सकते है.
- पुत्रकाँक्षी यानि पुत्र कामना करने वालों को गणपति पुत्रदा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.
- श्वेतार्क गणेश के सम्मुख मंत्र का प्रतिदिन 10 माला जप करना चाहिए तथा ‘‘ ऊँ नमो हस्ति – मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट – महात्मने आं क्रों हीं क्लीं ह्रीं हूं घे घे उच्छिष्टाय स्वाहा ’’ साधना से सभी इष्ट कार्य सिद्ध होते हैं.
श्वेतार्क गणेश साधना
हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को अनेक रूप में पूजा जाता है इनमें से ही एक श्वेतार्क गणपति भी है. धार्मिक लोक मान्ताओं में धन, सुख-सौभाग्य समृद्धि ऐश्वर्य और प्रसन्नता के लिए श्वेतार्क के गणेश की मूर्ति शुभ फल देने वाली मानी जाती है. श्वेतार्क के गणेश आक के पौधे की जड़ में बनी प्राकृतिक बनावट रूप में प्राप्त होते हैं.
इसे पौधे की एक दुर्लभ जाति सफेद श्वेतार्क होती है जिसमें सफेद पत्ते और फूल पाए जाते हैं इसी सफेद श्वेतार्क की जड़ की बाहरी परत को कुछ दिनों तक पानी में भिगोने के बाद निकाला जाता है तब इस जड़ में भगवान गणेश की मूरत दिखाई देती है.
इसकी जड़ में सूंड जैसा आकार तो अक्सर देखा जा सकता है. भगवान श्री गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि के दाता माना जाता है. इसी प्रकार श्वेतार्क नामक जड़ श्री गणेश जी का रूप मानी जाती है श्वेतार्क सौभाग्यदायक व प्रसिद्धि प्रदान करने वाली मानी जाती है. श्वेतार्क की जड़ श्री गणेशजी का रूप मानी जाती है.
श्वेतार्क गणेश पूजन: श्वेतार्क गणपति की प्रतिमा को पूर्व दिशा की तरफ ही स्.थापित करना चाहिए तथा श्वेत आक की जड़ की माला से यह गणेश मंत्रों का जप करने से सर्वकामना सिद्ध होती है. श्वेतार्क गणेश पूजन में लाल वस्त्र, लाल आसान, लाल पुष्प, लाल चंदन, मूंगा अथवा रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करनी चाहिए.
नेवैद्य में लडडू अर्पित करने चाहिए ‘‘ ऊँ वक्रतुण्डाय हुम् ’’ मंत्र का जप करते हुए श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ श्वेतार्क की पूजा कि जानी चाहिए पूजा के श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ श्वेतार्क की पूजा कि जानी चाहिए पूजा के प्रभावस्वरूप् प्रत्यक्ष रूप से इसके शुभ फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है.
श्वेतार्क गणेश महत्व: दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ ही श्वेतार्क गणेश जी का पूजन व अथर्वशिर्ष का पाठ करने से बंधन दूर होते हैं और कार्यों में आई रूकावटें स्वत: ही दूर हो जाती है. धन की प्राप्ति हेतु श्वेतार्क की प्रतिमा को दीपावली की रात्रि में षडोषोपचार पूजन करना चाहिए.
श्वेतार्क गणेश साधना अनेकों प्रकार की जटिलतम साधनाओं में सर्वाधिक सरल एवं सुरक्षित साधना है. श्वेतार्क गणपति समस्त प्रकार के विघनों के नाश के लिए सर्वपूजनीय है. श्वेतार्क गणपति की विधिवत स्थापना और पूजन से समस्त कार्य साधानाएं आदि शीघ्र निर्विघं संपन्न होते है.
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