Sawan 2025 Muhurat Live: 11 जुलाई से महादेव पृथ्वी पर वास करेंगे, क्योंकि इस दिन से भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन शुरू हो रहा है और पौराणिक कथा के अनुसार हर साल सावन में शिव जी अपने परिवार संग धरती पर उत्तराखंड के कनखल में अपने ससुराल आते हैं.
सावन में वर्षा ऋतु के कारण वातावरण में नमी और ठंडक रहती है, जो कि शिव जी को विशेष प्रिय है. विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सावन में सोमवार व्रत रखती हैं और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर की प्राप्ति हेतु शिव की पूजा करती हैं.
सावन में कांवड़ यात्रा की परंपरा
सावन में कांवड़ यात्रा करने की परंपरा है. शिवभक्त यानी कांवड़िए गंगा जैसे पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल चलकर अपने क्षेत्र के शिवलिंगों पर जलाभिषेक करते हैं.ये जल सावन शिवलरात्रि के दिन चढ़ाया जाता है.
समुद्र मंथन से सावन का नाता
सावन में समुद्र मंथन के समय विष निकला था लेकिन संसार के अस्तित्व को बचाने के लिए महादेव ने विष ग्रहण कर लिया था. विष के प्रभाव को कम करने के लिए, देवताओं ने भगवान शिव पर जल चढ़ाया, और इसी से सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
शिव परिवार की पूजा का महीना है सावन
सावन में सिर्फ सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत ही नहीं बल्कि मंगलवा का व्रत भी बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन मंगला गौरी व्रत किया जाता है. मान्यता है इससे पति की आयु लंबी होती है और परिवार में खुशहाली आती है.
सावन 2025 में कब से कब तक
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन मास 11 जुलाई 2025 से शुरू होगा और 9 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान हर सोमवार को विशेष पूजा की जाती है, जिसे ‘सावन सोमवार व्रत’ कहा जाता है. इस बार कुल 4 सोमवार पड़ेंगे जो शिव भक्ति के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं.
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